/sootr/media/media_files/2025/09/17/lawyer-yawar-khan-2025-09-17-22-56-14.jpg)
मध्यप्रदेश। नाबालिग से दुष्कर्म और देह व्यापार से जुड़े चर्चित भोपाल रेप कांड में मुख्य आरोपियों की पैरवी करने वाले वकील यावर खान को हाईकोर्ट से राहत नहीं मिली है। यावर खान की गिरफ्तारी को चुनौती देने के लिए उनके भाई मजहर मुस्तफा खान ने हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी।
इस याचिका में यह आरोप लगाए गए थे कि यावर खान को गलत ढंग से गिरफ्तार किया गया है और उसे जेल में रखना अवैध हिरासत है। लेकिन अदालत ने साफ कर दिया कि गिरफ्तारी की वैधता को चुनौती देने के लिए यह याचिका सही नहीं है।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिविजनल बेंच ने किसी भी तरह की राहत देने से इनकार कर दिया इसके बाद याचिकाकर्ता की ओर से याचिका को विड्रॉ कर लिया गया। अब यावर खान के पास केवल जमानत याचिका का विकल्प बचा है।
पीड़िता ने कोर्ट में पहचाना था वकील को
जनवरी 2023 में एक नाबालिग लड़की भोपाल से लापता हुई थी। पुलिस ने उसे इस साल 23 जनवरी 2025 को इशागरह से बरामद किया। बरामदगी के बाद पीड़िता ने पांच लोगों पर यौन शोषण और दुष्कर्म के आरोप लगाए। इसी केस की पैरवी अधिवक्ता यावर खान कर रहे थे।
24 अगस्त 2025 को जब मामला विशेष POCSO कोर्ट में सुना जा रहा था, तब नाबालिग ने अपने बयान में यावर खान का नाम लिया। उसने बताया कि वकील ने भी बिट्टन मार्केट स्थित मकान और अपने ऑफिस में कई बार उसके साथ ज्यादती की।
नाबालिग का कहना था कि उसे अब तक वकील का नाम याद नहीं था, लेकिन जब कोर्ट में अन्य अधिवक्ता ने आरोपी के वकील का नाम लिया, तभी उसे याद आया कि वह यावर खान थे।
पॉक्सो एक्ट सहित अन्य धाराओं में दर्ज है मामला
नाबालिग के बयान के आधार पर अदालत ने 11 सितंबर को अशोका गार्डन पुलिस को कार्रवाई का निर्देश दिया। इसके बाद पुलिस ने यावर खान को गिरफ्तार किया।
उन पर POCSO अधिनियम, दुष्कर्म, अपहरण, देह व्यापार और संगठित अपराध से जुड़े गंभीर आरोप दर्ज किए गए हैं। पुलिस ने अब तक इस पूरे नेटवर्क में 14 आरोपियों के नाम लिए हैं, जिनमें से कुछ अभी भी फरार बताए जा रहे हैं।
ये खबर भी पढ़ें...कानून मंत्री के किस बयान से नाराज हुए वकील, आज जयपुर-जोधपुर में कार्य बहिष्कार
भोपाल कोर्ट में हुआ था जमानत याचिका पर हंगामा
गिरफ्तारी के बाद यावर खान ने जिला कोर्ट में जमानत की याचिका दायर की, लेकिन एडीजे अदालत ने इसे खारिज कर दिया। सुनवाई के दौरान कोर्ट परिसर में तनाव की स्थिति बन गई।
वकीलों और समर्थकों ने नारेबाजी की, वहीं इस दौरान कवरेज कर रहे दो पत्रकारों पर भी हमला किया गया। इसके बाद मामले की गूंज न केवल अदालत परिसर में बल्कि शहरभर में सुनाई दी।
हैबियस कॉरपस नहीं है राहत पाने का रास्ता
जबलपुर हाईकोर्ट ने साफ किया कि बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका केवल तब स्वीकार की जाती है जब किसी व्यक्ति को पूरी तरह अवैध तरीके से हिरासत में लिया गया हो। लेकिन जब मामला दर्ज हो चुका है और गिरफ्तारी कानूनी प्रक्रिया के तहत हुई है, तो इस याचिका का उपयोग गिरफ्तारी को चुनौती देने के लिए नहीं किया जा सकता। अदालत ने कहा कि यावर खान चाहें तो नियमित जमानत का विकल्प तलाश सकते हैं, लेकिन हैबियस कॉर्पस के जरिए उन्हें कोई राहत नहीं दी जा सकती।
यावर खान फिलहाल जेल में हैं और उसके खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज है। कानूनी जानकारों के अनुसार, अब उसकी कानूनी रणनीति का अगला कदम जमानत याचिका ही होगा। इस बीच पुलिस पूरे नेटवर्क की गहन जांच कर रही है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि नाबालिग से जुड़े इस अपराध में और कौन-कौन लोग शामिल हैं।