भोपाल में ई-रिक्शा बैन, आज से ई-रिक्शा में नहीं बैठ पाएंगे स्कूली बच्चे, कलेक्टर का आदेश

भोपाल में सोमवार से स्कूली बच्चों के लिए ई-रिक्शा पर प्रतिबंध लगाया गया है। कलेक्टर ने इसे बच्चों के लिए असुरक्षित मानते हुए आदेश जारी किया। यह कदम बच्चों की सुरक्षा और ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार के लिए उठाया गया है।

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Manya Jain
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भोपाल में आज सोमवार से स्कूली बच्चों के लिए ई-रिक्शा के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने इसे बच्चों के लिए असुरक्षित मानते हुए यह आदेश जारी किया।

यह कदम तब उठाया गया जब कई स्कूलों में बच्चों को घर से स्कूल लाने-ले जाने के लिए ई-रिक्शा का इस्तेमाल बढ़ रहा था। इस फैसले का उद्देश्य बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और ट्रैफिक व्यवस्था को सुधारना है।

जिसके चलते अब सोमवार से छात्र-छात्राओं को घर से स्कूल लाने ले जाने के लिए ई-रिक्शा का इस्तेमाल नहीं होगा।

ई-रिक्शा की असुरक्षा के कारण 🚫

ई-रिक्शा में बच्चों को स्कूल भेजने की योजना शुरू से ही सवालों के घेरे में रही थी। कलेक्टर ने बताया कि ई-रिक्शा में पलटने का खतरा अधिक होता है, जो बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है।

इसके अलावा, ई-रिक्शा में सीट बेल्ट और सुरक्षा उपायों का अभाव होता है, जो यात्रा के दौरान सुरक्षा सुनिश्चित करने में मददगार नहीं होते।

इसीलिए, यह फैसला लिया गया है कि बच्चों को ई-रिक्शा से स्कूल भेजने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

🚜ई-रिक्शा पर रोक से आने वाले बदलाव🚜

Bhopal: 4,000 E-Rickshaws Run Without Permit

  • ई-रिक्शा का उपयोग बंद होगा, जिससे बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी।

  • स्कूलों को परिवहन व्यवस्था बदलनी होगी, जिससे नए और सुरक्षित विकल्प उपलब्ध कराए जाएंगे।

  • ट्रैफिक व्यवस्था में सुधार होगा, विशेष रूप से स्कूलों के आसपास।

  • दुर्घटनाओं का जोखिम घटेगा, क्योंकि ई-रिक्शा में पलटने का खतरा अधिक होता है।

  • सुरक्षा उपायों के प्रति जागरूकता बढ़ेगी, जिससे अन्य स्कूलों और शहरों में भी सुरक्षा मानकों को सुधारने की प्रेरणा मिलेगी।

ये भी पढ़ें...भोपाल में ट्रैफिक पुलिस की नई सख्ती, शहर के चार रुट्स से 11 हजार ई-रिक्शा हटाने की तैयारीक्या यह फैसला सही है? 

  • कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने यह भी बताया कि यह आदेश पुलिस और विशेषज्ञों की राय के बाद लिया गया है।
  • भोपाल में अभी तक इस प्रकार का कोई हादसा तो नहीं हुआ है, लेकिन अन्य शहरों में इस तरह के हादसे हो चुके हैं।
  • इसलिए यह कदम उठाया गया है ताकि भविष्य में किसी भी प्रकार की दुर्घटना से बचा जा सके।

क्या ई-रिक्शा बच्चों के लिए एक खतरनाक साधन है? ⚡

इस आदेश (order of Bhopal Collector) के साथ यह सवाल उठता है कि क्या ई-रिक्शा वास्तव में बच्चों के लिए एक खतरनाक साधन है। विशेषज्ञों का मानना है कि बच्चों के लिए सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए केवल सुरक्षित और मान्यता प्राप्त साधनों का ही इस्तेमाल किया जाना चाहिए।

Accident | Four farmers travelling in e-rickshaw killed when truck rammed  the three-wheeler in Malda on Tuesday - Telegraph India

जब तक ई-रिक्शा के लिए कुछ कठोर सुरक्षा उपायों को लागू नहीं किया जाता, तब तक इनका इस्तेमाल बच्चों के लिए उचित नहीं है।

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स्कूलों में कब लागू होगा निर्णय ? 🏫

कलेक्टर ने स्पष्ट किया कि यह आदेश केवल उन स्कूलों के लिए है जो बच्चों को ई-रिक्शा से लाते-ले जाते हैं। इसके तहत, सभी स्कूलों के संचालकों को निर्देश दिए जाएंगे कि वे बच्चों को ई-रिक्शा से स्कूल आने जाने की अनुमति न दें।

डीईओ (जिला शिक्षा अधिकारी) सभी स्कूलों के संचालकों से संपर्क करेंगे और इस आदेश का पालन सुनिश्चित करेंगे।

इस फैसले से बच्चों की सुरक्षा में कितना सुधार होगा? 🔒

इस आदेश से बच्चों की सुरक्षा में निश्चित रूप से सुधार होगा, क्योंकि ई-रिक्शा के पलटने का खतरा बच्चों के लिए गंभीर हो सकता है।

इसके साथ ही, प्रशासन ने कहा है कि वे स्कूलों के आसपास की ट्रैफिक व्यवस्था पर कड़ी नजर रखेंगे ताकि भविष्य में बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।

FAQ

क्या ई-रिक्शा बच्चों के लिए सबसे सुरक्षित तरीका है?
ई-रिक्शा बच्चों के लिए सबसे सुरक्षित नहीं है, क्योंकि इसका पलटने का खतरा रहता है, जिससे बच्चों की सुरक्षा पर असर पड़ सकता है।
क्या कलेक्टर का निर्णय स्थायी है?
यह निर्णय भोपाल में फिलहाल लागू हुआ है, लेकिन यह भविष्य में अन्य शहरों में भी लागू हो सकता है, यदि इसमें सफलता मिलती है।
क्या बच्चों के लिए सुरक्षित अन्य परिवहन उपाय होंगे?
कलेक्टर ने ई-रिक्शा के बजाय अन्य सुरक्षित परिवहन व्यवस्था की बात की है, जैसे कि बसें या अधिक संरक्षित वाहनों का उपयोग।
क्या इस फैसले से स्कूलों को कोई परेशानी होगी?
हां, स्कूलों को परिवहन व्यवस्था में बदलाव लाना होगा, और वे नए समाधान के लिए समय और संसाधन खर्च कर सकते हैं।
क्या सरकार इस मामले में और कदम उठाएगी?
यह निर्णय ट्रैफिक विशेषज्ञों और पुलिस की राय पर लिया गया है। यदि इसमें कोई कमी नजर आती है, तो सरकार और उपाय कर सकती है।

 

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