भोपाल में पेड़ों की कटाई: 488 नहीं 8000 से ज्यादा पेड़ काटे जा रहे, HC में विधानसभा के प्रिंसिपल सेक्रेटरी तलब

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने भोपाल में पेड़ों की कटाई पर रोक लगाई। कोर्ट को यह पता चला कि 8000 से अधिक पेड़ काटे जा रहे हैं। पहले यह मामला 488 पेड़ों की कटाई का था। कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई और अधिकारियों को तलब किया।

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Neel Tiwari
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JABALPUR. भोपाल में पेड़ों की अवैध कटाई को लेकर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में आज सुनवाई हुई। सुनवाई चीफ जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिविजनल बेंच में हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने भोपाल में पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी है। दरअसल 488 पेड़ों की कटाई पर कोर्ट ने संज्ञान लिया था।

सुनवाई में खुलासा हुआ की 488 नहीं 8000 से अधिक पेड़ पूरे भोपाल में काटे जा रहे हैं। हाईकोर्ट ने इस पूरे मामले पर सरकार को फटकार लगाते हुए अधिकारियों को तलब किया है।

कोर्ट ने सरकार को लगाई फटकार

सरकार ने कोर्ट को बताया कि भोपाल में 488 पेड़ काटे जा रहे हैं। यह कटाई मंत्री और विधायकों के रेजिडेंशियल कंपलेक्स के लिए की जा रही है। हस्तक्षेपकर्ता ने ट्रांसपोर्टेशन के समय पेड़ों की तस्वीरें दिखाई।

कोर्ट के सामने खुलासा हुआ कि पेड़ों की कटाई जारी है। परिवहन के दौरान पेड़ों के जीवित रहने की संभावना नहीं है। कोर्ट ने यह गंभीरता से लिया और सरकार को फटकार लगाई। फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को भी चेतावनी दी गई है।

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पेड़ों को खत्म करने की कोशिश

हस्तक्षेपकर्ता हरप्रीत सिंह गुप्ता ने कोर्ट को बताया। पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने के बजाय काटा जा रहा है। इससे पेड़ पूरी तरह खत्म हो जाएंगे। कोर्ट के आदेश के बावजूद कटाई जारी है। पेड़ों की शाखाएं इतनी ज्यादा हटाई जा रही हैं कि उन्हें बचाया नहीं जा सकता।

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पेड़ ट्रांसप्लांट की पॉलिसी 

सरकार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि विधानसभा सचिवालय से मिले पत्र के आधार पर फॉरेस्ट विभाग ने अनुमति दी थी। कोर्ट ने ट्रांसप्लांटेशन पॉलिसी पेश करने को कहा। सुनवाई में यह खुलासा हुआ कि मध्यप्रदेश में कोई पॉलिसी नहीं है।

विधानसभा सचिवालय का पत्र फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को ट्रांसप्लांट की परमिशन नहीं देता था। पत्र में सिर्फ यह कहा गया कि शाखाओं की लड़कियां निकल रही हैं। इन्हें जनउपयोग में लिया जाएगा।

पेड़ों की कटाई पर कोर्ट नाराज

कोर्ट में फॉरेस्ट विभाग की अनुमति के दस्तावेज सामने आए। इन दस्तावेजों से स्पष्ट हुआ कि शाखाएं काटी गईं। कोर्ट ने कहा कि पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने की मंशा नहीं थी। बिना शाखाओं वाले तने को गाड़ने से पेड़ जीवित नहीं रह सकते।

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 8000 पेड़ों की कटाई का आरोप

हस्तक्षेपकर्ता ने बताया कि भोपाल में रेलवे प्रोजेक्ट के लिए 8000 पेड़ काटे जा रहे हैं। यह पर्यावरण संरक्षण कानूनों की अवहेलना है। कोर्ट ने सरकार पर नाराजगी जताई और पेड़ों की कटाई पर रोक लगा दी।

पेड़ों की कटाई पर लगी रोक

अदालत ने आदेश दिया कि अगले आदेश तक पूरे भोपाल में किसी भी पेड़ की कटाई या ट्रांसप्लांटेशन पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगा। यह रोक किसी भी विभाग, प्रोजेक्ट या सरकारी अनुमति पर प्राथमिकता से लागू होगी। कोर्ट ने आदेश दिया कि ट्रांसप्लांट किए गए पेड़ों की तस्वीर अगली सुनवाई में पेश की जाए।

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अब अधिकारी खुद देंगे जवाब, नोटिस जारी

कोर्ट ने सरकार के रुख पर कड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि अब फाइलों से नहीं, बल्कि अधिकारी खुद अदालत में उपस्थित होकर जवाब देंगे। अदालत ने विधानसभा सचिवालय और फॉरेस्ट डिपार्टमेंट के अधिकारियों को नोटिस जारी किया। उन्हें खुद अदालत में उपस्थित रहने का आदेश दिया गया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 26 नवंबर को दोपहर 12:30 बजे तय की गई है।

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