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Photograph: (the sootr)
INDORE. देश के 12 राज्यों में एकसाथ एसआईआर की प्रक्रिया चल रही है। मध्यप्रदेश मेें बीएलओ के लिए एसआईआर(स्पेशल इंटेसिव रिवीजन) का तनाव जानलेवा बन गया है। चुनाव आयोग इसके लिए कलेक्टर पर लगातार दबाव डाल रहा है। इसके चलते कलेक्टर भी निचले स्तर पर यह आगे दबाव बना रहे हैं। नतीजतन फील्ड पर काम करने वाले बीएलओ अब नौकरी छोड़ने, जान देने जैसे कदम उठा रहे हैं।
इंदौर में महिला बीएलओ ने साफ लिखा तनाव है-
इंदौर में विधानसभा चार की एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को बीएलओ बनाया गया था। इस बीएलओ ने बुधवार शाम को क्षेत्र के चुनाव अधिकारी/एसडीएम को अपना इस्तीफा ही दे दिया। इस एक पेज के इस्तीफे में साफ लिखा कि वह चुनाव के एसआईआर काम से बेहद तनाव में हैं।
एसडीएम, तहसीलदार, सुपरवाईजर सभी तनाव दे रहे हैं, इस वजह से बेहद तनाव मे हैं। इसलिए इस्तीफा दे रही हूं। गुरूवार सुबह अधिकारियों ने उसे बुलाया, काउंसलिंग की और समझाया इसके बाद वह फिर काम के लिए मैदान में गई।
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झाबुआ में हार्ट अटैक से मौत
झाबुआ में इसी तनाव में एक स्कूल शिक्षक की मौत हो गई। परिजनों का कहना है कि झाबुआ के ग्राम सोलिया में शिक्षक भुवान सिंह चौहान को बीएलओ का काम दिया गया। इसके बाद से ही वह बेहद तनाव में थे। काम में लापरवाही के चलते उन्हें मंगलवार 18 नवंबर को सस्पेंड कर दिया गया। बुधवार को वह बेहोश हो गए और हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई।
SIR से बीएलओ पर तनाव को ऐसे समझेंSIR के तहत चुनाव आयोग ने बढ़ाया दबाव: मध्यप्रदेश में स्पेशल इंटेसिव रिवीजन (SIR) के कारण चुनाव आयोग ने कलेक्टर पर दबाव बढ़ाया, जिसके कारण बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) पर काम का भारी दबाव बना। बीएलओ की इस्तीफे की घटनाएं: इंदौर में एक महिला बीएलओ ने तनाव के कारण इस्तीफा दे दिया, जबकि अधिकारियों ने समझाया और काउंसलिंग के बाद वह फिर से काम पर लौट आईं। झाबुआ में हार्ट अटैक से मौत: झाबुआ के शिक्षक भुवान सिंह चौहान को बीएलओ का काम सौंपा गया था, लेकिन तनाव के कारण हार्ट अटैक से उनकी मौत हो गई। दतिया में टीचर ने किया सुसाइड: दतिया में स्कूल टीचर उदयबान सिंह सिहारे ने बीएलओ के काम के तनाव में आत्महत्या कर ली, क्योंकि उन्हें मोबाइल चलाने की जानकारी नहीं थी। तकनीकी समस्याएं और फार्म वितरण में देरी: चुनाव आयोग द्वारा लॉन्च किए गए एप में तकनीकी दिक्कतें आईं, जिससे फार्म अपलोड नहीं हो पाए और फार्म वितरण में देरी हुई। |
दतिया में स्कूल टीचर का सुसाइड
दतिया में 11 नवंबर को स्कूल टीचर उदयबान सिंह सिहारे ने सुसाइड किया। उनके परिजनों का कहना है कि उन्हें मोबाइल चलाना नहीं आता था। ग्राम सालोन में वर्षीय सिहारे के भाई ने बताया कि बीएलओ के काम के तनाव में आकर सुसाइड किया है।
नया एप भी नहीं चल रहा है
चुनाव आयोग इधर नए-नए प्रयोग कर रहा है। डिजिटलाइजेशन के लिए बना पहला एप नहीं चला। इसके चलते इंदौर में ही करीब डेढ़ लाख फार्म अपलोड नहीं हो सके हैं। रात को एक-दो बजे तक सभी अधिकारी कलेक्टोरेट और कंट्रोल रूम पर बैठे रहे। फिर नया एप बीएलओ 2.0 दिया गया। गुरुवार दोपहर तक वह भी ढंग से नहीं चल रहा था। यानी फार्म भरकर आ रहे हैं तो वह आयोग के एप पर अपलोड नहीं हो पा रहे हैं।
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इसके पहले फार्म ही दस दिन देरी से मिले
उधर पूरे एमपी में फार्म छांपने का ठेका सिंगल वेंडर अतुल मेहता को चुनाव आयोग ने दिया। इसके चलते जो फार्म 4 नवंबर को सभी बीएलओ को मिलने थे, वह 11-12 तारीख से मिलना शुरू हुए। इसके बाद फार्म बांटे गए और अब बीएलओ इन्हें जमा कराने में जुटे हैं।
शहरी सीमा में मूवमेंट अधिक होने से करीब 30-40 फीसदी मतदाता मौके पर मिल ही नहीं रहे हैं। ऐसे में इनके वितरण में समस्या आ रही है। छोड़ दिया तो नाम कट जाएगा और ऐसे में नया बवाल होना है। फार्म वितरण हो चुके हैं, वो मतदाता इन्हें लौटाने में देरी कर रहे हैं।
राजनीतिक बूथ लेवल एजेंट से बीएलओ और प्रशासन को कोई मदद नहीं मिल रही है, चाहे वह बीजेपी के हो या फिर कांग्रेस के। ऐसे में मैदानी मुश्किलें ज्यादा है। सबसे बड़ी समस्या है कि अभी चुनाव दूर-दूर तक नहीं हैं, ऐसे में मप्र मे मतदाता एकदम सुस्त है। उसे सूची से नाम हटने, कटने या जुड़वाने जैसा कोई लोड नहीं है। इसके चलते भी समस्या बढ़ गई है।
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