यूका के कचरे के लिए बनेगा 250 किमी का ग्रीन कॉरिडोर, जानें सबकुछ

भोपाल में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के गोदाम में रखे 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को 12 कंटेनरों में भरकर पीथमपुर ले जाया जाएगा। इसके लिए 250 किलोमीटर लंबा ग्रीन कॉरिडोर बनाया जाएगा

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Ravi Singh
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bhopal union carbide waste green corridor pithampur Photograph: (the sootr)

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भोपाल में यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री के गोदाम में रखे 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को 12 कंटेनरों में भरकर पीथमपुर ले जाया जाएगा। इसके लिए 250 किमी लंबा ग्रीन कॉरिडोर बनाया जाएगा, कचरे को जंबो बैग में भरने का काम सोमवार को पूरा हो गया। देर रात इन बैगों को कंटेनरों में लोड करना भी शुरू कर दिया गया। इस प्रक्रिया में करीब 24 घंटे लगने की संभावना है। ये कंटेनर मंगलवार रात या बुधवार तक भोपाल से पीथमपुर के लिए रवाना हो सकते हैं।

कर्मचारी पीपीई किट और दस्ताने पहनकर भर रहे कचरा

रविवार दोपहर से ही यूका से जहरीला कचरा ले जाने की तैयारी शुरू हो गई थी। 1 कंटेनर में औसतन 30 टन कचरा भरा जा रहा है। कचरा भरने में 200 से ज्यादा कर्मचारी लगे हुए हैं, लेकिन उनकी शिफ्ट 8 घंटे की जगह 30 मिनट की तय की गई है। हर कर्मचारी की जेब में ब्लड प्रेशर मॉनिटर है। हर कर्मचारी पीपीई किट और दस्ताने पहनकर कचरा भर रहा है। घबराहट की स्थिति बनते ही काम तुरंत रोक दिया जाता है। पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी की जा रही है।

200 मीटर इलाका सील 

बता दें कि, रविवार 29 दिसंबर को विशेषज्ञों की मौजूदगी में 12 कंटेनरों में कचरा भरने की प्रक्रिया शुरू हुई थी। सोमवार देर रात तक कचरा भरने की प्रक्रिया जारी रही। इस दौरान परिसर के 200 मीटर दायरे के इलाके को सील कर दिया गया है। सभी प्रवेश मार्ग बंद कर दिए गए हैं। 100 से ज्यादा पुलिसकर्मी सुरक्षा व्यवस्था में लगे हुए हैं। गैस त्रासदी के 40 साल बाद पीथमपुर इंडस्ट्रियल वेस्ट मैनेजमेंट (रामकी) कंपनी के विशेषज्ञों की निगरानी में कर्मचारी कंटेनरों में कचरा भर रहे हैं।

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अलग-अलग तरह का कचरा भेजा जाएगा

मिट्टी: उक्का परिसर में बिखरे कूड़े को एकत्र करने के साथ ही परिसर की मिट्टी भी एकत्र की गई।

रिएक्टर अवशेष: उक्का में कीटनाशकों के निर्माण के लिए रिएक्टर था। रिएक्टर में बचे रसायन भी एकत्र किए गए हैं।

सीवन अवशेष: उक्का द्वारा निर्मित कीटनाशक का नाम सीवन था। यह बचा हुआ कीटनाशक भी कूड़े में मौजूद है।

नेफ्थॉल अवशेष: जिस एमआईसी गैस प्लांट से रिसाव हुआ, वह नेफ्थॉल से बना था। यह नेफ्थॉल भी परिसर में बड़ी मात्रा में मौजूद था।

प्रक्रिया के बीच में छूटा रसायन: कीटनाशक निर्माण प्रक्रिया बंद होने से प्रक्रिया के बीच में छूटा रसायन।

कचरा फेंकते समय बरती जा रही सावधानी 

जहां भी जहरीला कचरा रखा जाता है, वहां की मिट्टी भी ले जाई जाएगी। जहरीला कचरा फेंकते समय विशेष सावधानी बरती जा रही है। 1984 में यूनियन कार्बाइड गैस के हवा में फैलने से 5 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी। इसीलिए यूसीए परिसर में 3 जगहों पर हवा की गुणवत्ता की निगरानी के लिए उपकरण लगाए गए हैं। इनके जरिए पीएम 10 और पीएम 2.5 के साथ ही नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड आदि की जांच की जा रही है। जिस जगह कचरा रखा गया है, वहां की धूल भी कचरे के साथ जाएगी। अगर कहीं कचरा गिरा है तो उस जगह की मिट्टी भी पीथमपुर ले जाई जाएगी। इस मिट्टी और धूल की भी जांच की जाएगी। जांच की जाएगी कि मिट्टी भी जहरीली हो गई है या नहीं।

जंबो बैग में पैक किया जा रहा कचरा

फैक्ट्री के अंदर 337 टन जहरीला कचरा थैलियों में रखा है। इसे खास जंबो बैग में पैक किया जा रहा है। ये एचडीपीई नॉन रिएक्टिव लाइनर से बने हैं। इससे मैटेरियल में किसी तरह की रिएक्शन नहीं हो सकती। थैलियों में कचरा भरने के लिए 50 से ज्यादा कर्मचारी लगे हुए हैं। ये सभी पीपीई किट पहने हुए हैं। ताकि केमिकल के संपर्क में आने पर शरीर को नुकसान न पहुंचे। कंटेनर को भेजने से पहले यहां उसका वजन किया जाएगा और पीथमपुर पहुंचने पर वहां भी उसका वजन किया जाएगा। कचरा रखने के लिए पीथमपुर में लकड़ी का प्लेटफॉर्म बनाया गया है। यह प्लेटफॉर्म जमीन से करीब 25 फीट ऊपर बनाया गया है। इस कचरे को कब जलाना है, यह सीपीसीबी के वैज्ञानिकों की टीम तय करेगी। इसे जलाने की पूरी प्रक्रिया वही तय करेंगे। इसे किस मौसम में, कितने तापमान पर और कितनी मात्रा में जलाना है, यह तय करने से पहले सैंपल टेस्टिंग भी की जाएगी।

बनेगा 250 किमी का ग्रीन कॉरिडोर

जहरीले कचरे को 250 किमी का ग्रीन कॉरिडोर बनाकर कड़ी सुरक्षा में पीथमपुर भेजा जाएगा। यहां रैमकी एनवायरो में कचरे को जलाया जाएगा। बता दें कि हाईकोर्ट ने 6 जनवरी तक इसे हटाने के निर्देश दिए थे। सरकार को 3 जनवरी को हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश करनी है। इसका मतलब है कि कचरे को 2 जनवरी तक हर हाल में पीथमपुर भेजना है। रैमकी कंपनी इसे अंजाम देगी। कचरे को जलाने में लगेगा इतना समय रैमकी एनवायरो में 90 किलो प्रति घंटे की रफ्तार से कचरे को जलाने में 153 दिन यानी 5 माह 1 दिन का समय लगेगा। अगर इसे 270 किलो प्रति घंटे की रफ्तार से नष्ट किया जाए तो इसे नष्ट करने में 51 दिन का समय लगेगा।

3 जनवरी को बंद का आह्वान

कचरे को पीथमपुर में जलाने को लेकर विरोध प्रदर्शन भी हो रहा है। यहां के कई लोग दिल्ली के जंतर-मंतर में प्रदर्शन करेंगे। कांग्रेस भी प्रदर्शन कर चुकी है। 10 से ज्यादा संगठनों ने किया 3 जनवरी को बंद का आह्वान कचरा जलाने के विरोध में 10 से ज्यादा संगठनों ने 3 जनवरी को पीथमपुर बंद का आह्वान किया है। पीथमपुर क्षेत्र रक्षा मंच, पीथमपुर ट्रेड यूनियन संघर्ष समिति, मप्र किसान सभा सहित कई संगठनों का कहना है, भोपाल का कचरा अमेरिका भेजा जाए। वहीं पीथमपुर बचाओ समिति 2 जनवरी को दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रदर्शन करने की तैयारी में है।

कचरे के निस्तारण पर सवाल उठाए

इंदौर के डॉक्टरों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। इंदौर के महात्मा गांधी मेमोरियल हॉस्पिटल एलुमनाई एसोसिएशन ने पीथमपुर में यूनियन कार्बाइड के 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरे को जलाने के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। एसोसिएशन के सदस्य डॉ. संजय लोंढे और अन्य सदस्यों की ओर से दायर इस याचिका में बिना ट्रायल और रिसर्च के कचरे के निस्तारण पर सवाल उठाए गए हैं। स्थानीय नागरिकों ने भी इसका विरोध किया है। विशेषज्ञों की मौजूदगी में रविवार को कचरे को भरने की प्रक्रिया शुरू हुई।

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