मध्यप्रदेश विधानसभा में पूर्व परिवहन मंत्री भूपेंद्र सिंह ने सौरभ शर्मा की नियुक्ति को लेकर एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने विधानसभा में स्वीकार किया कि सौरभ शर्मा की नियुक्ति गलत हुई थी और यह नियमों के खिलाफ थी। उनका कहना था कि सौरभ शर्मा की नियुक्ति उनके द्वारा अनुशंसा से नहीं हुई थी, और इसके लिए उन्होंने कभी कोई आदेश नहीं दिया था।
विधानसभा में हुए सवाल-जवाब
खुरई विधायक भूपेंद्र सिंह ने कांग्रेस के सदस्य हेमंत कटारे के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि उन्होंने सौरभ शर्मा की नियुक्ति में कोई भूमिका नहीं निभाई थी। उन्होंने सदन में यह स्पष्ट किया कि सौरभ शर्मा की नियुक्ति अक्टूबर 2016 में हुई थी, जबकि भूपेंद्र सिंह 2018 तक मंत्री थे। उन्होंने कहा कि मैंने न तो नियुक्ति की अनुशंसा की और न ही आदेश दिया, तो मैं दोषी कैसे हो सकता हूं?
भूपेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि इस पूरे मामले को राजनीतिक तरीके से मोड़ा जा रहा है। उनका आरोप था कि विपक्षी दल केवल उनकी छवि को धूमिल करने के लिए ऐसे मुद्दों को उठा रहे हैं। उन्होंने अपनी सफाई में यह भी कहा कि यदि सौरभ शर्मा की नियुक्ति हुई थी, तो वह सात महीने तक बिना पोस्टिंग के थे और उनकी परिवीक्षा अवधि चल रही थी।
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नियुक्ति पर सवाल
भूपेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि किसी भी आरक्षक की नियुक्ति के बाद उसे सात महीने तक पोस्टिंग नहीं मिलती है और न ही उसका फील्ड में कोई काम शुरू होता है। इसलिए उन्होंने कहा कि उनके समय में न तो सौरभ शर्मा की नियुक्ति हुई, न ही उसकी पोस्टिंग और न ही उसे कोई कार्य सौंपा गया।
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मंत्री का अंतिम बचाव
अपने बचाव में भूपेंद्र सिंह ने यह भी कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत प्रतिष्ठा और करियर का सवाल था, इसलिए वह झूठे आरोपों का जवाब दे रहे थे। उन्होंने कहा कि चुनाव आचार संहिता के दौरान पोस्टिंग न होने के बावजूद उन्हें दोषी ठहराना गलत है।
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