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मध्य प्रदेश के परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच चल रही है। उनके सहयोगी चेतन सिंह गौर की इनोवा कार से 11 करोड़ रुपए नकद और 52 किलो सोना बरामद किया गया था। इस मामले में सौरभ शर्मा, चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल न्यायिक हिरासत में हैं। saurabh sharma और उनके सहयोगियों के खिलाफ चल रही जांच में बरामद नकदी और सोना अब सरकारी खजाने में जमा किया जाएगा। क्योंकि आयकर विभाग ने लोकायुक्त पुलिस से सौरभ शर्मा के खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी थी, लेकिन पूरी जानकारी अब तक नहीं मिली है।
आयकर विभाग की कार्रवाई
आयकर विभाग ने बरामद नकदी और सोने को स्टेट बैंक में जमा कराया है। चूंकि Saurabh sharma, चेतन सिंह गौर और शरद जायसवाल ने पूछताछ के दौरान इस संपत्ति पर कोई दावा नहीं किया है, आयकर विभाग अब इसे सरकारी संपत्ति घोषित करने की प्रक्रिया में है।
संभावित जुर्माना और कर
यदि Saurabh sharma या चेतन सिंह गौर में से कोई भी जब्त नकदी और सोने पर दावा करता है, तो उन्हें इस संपत्ति के स्रोत की जानकारी देनी होगी। ऐसी स्थिति में, ईडी 200% तक का जुर्माना और कर लगा सकती है। इसके अलावा, आयकर विभाग भी अलग से जुर्माना और ब्याज वसूल सकता है।
जांच एजेंसियों के बीच समन्वय की कमी
इस मामले में लोकायुक्त पुलिस, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग के बीच समन्वय की कमी देखी गई है। आयकर विभाग ने लोकायुक्त पुलिस से सौरभ शर्मा के खिलाफ की गई कार्रवाई की जानकारी मांगी थी, लेकिन पूरी जानकारी अब तक नहीं मिली है। इससे जांच प्रक्रिया में देरी हो रही है।
क्या है अप्रेजल रिपोर्ट
आयकर विभाग प्रत्येक कार्रवाई के बाद एक अप्रेजल रिपोर्ट तैयार करता है, जिसमें पूरी जांच प्रक्रिया, संपत्ति का मूल्यांकन और अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां शामिल होती हैं। यह रिपोर्ट केंद्रीय वित्त मंत्रालय को भेजी जाती है, जो आगे की कार्रवाई के लिए आधार बनती है।
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सौरभ शर्मा केस की पूरी स्टोरी 4 बिंदुओं में समझिए
✅ आरटीओ के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा और उनके सहयोगी चेतन सिंह गौर की कार से 11 करोड़ रुपए नकद और 52 किलो सोना बरामद हुआ। यह संपत्ति आय से अधिक संपत्ति और भ्रष्टाचार के मामले में जब्त की गई।
✅ किसी ने इस संपत्ति पर दावा नहीं किया, इसलिए इसे सरकारी खजाने में जमा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
नकदी और सोने को पहले ही स्टेट बैंक में जमा कराया जा चुका है।
✅ लोकायुक्त पुलिस, ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) और आयकर विभाग के बीच समन्वय की कमी देखी गई। आयकर विभाग को लोकायुक्त पुलिस से पूरी जानकारी नहीं मिली, जिससे जांच में देरी हो रही है।
✅ आयकर विभाग इस संपत्ति का मूल्यांकन कर अप्रेजल रिपोर्ट तैयार करेगा। यह रिपोर्ट केंद्रीय वित्त मंत्रालय को भेजी जाएगी, जो आगे की कार्रवाई का आधार बनेगी।
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