पानी में बहे MP के 2 पुल, इन अधिकारियों पर लटकी जांच की तलवार

मध्य प्रदेश के लोक निर्माण विभाग में सरकारी स्तर पर बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। प्रदेश के सिवनी-छिंदवाड़ा जिले में तीन साल पहले दो पुल ढह गए थे। इसके निर्माण कार्य में लापरवाही बरती गई थी, जिसके चलते पुल ढह गया।

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Raj Singh
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मध्य प्रदेश के लोक निर्माण विभाग में सरकारी स्तर पर बड़ी अनियमितता सामने आई है। सिवनी-छिंदवाड़ा में तीन साल पहले दो पुल ढह गए थे। दोनों में एक ही अधिकारी शामिल थे और पहले मामले की तरह ही दूसरे मामले में भी लापरवाही बरती गई। हालांकि, अब खबरें हैं कि एक मामले में कार्रवाई की तैयारी की जा रही है, जबकि दूसरे मामले में तत्कालीन ईएनसी ने क्लीन चिट दे दी है। इसका खुलासा होने के बाद अब दोबारा जांच की प्रक्रिया शुरू हो गई है। शासन स्तर से फाइल ईएनसी कार्यालय भेज दी गई है।

भारी-भरकम लागत से बना था पुल

दरअसल, सिवनी जिले के केवलारी-पलारी-भीमगढ़-छपारा मार्ग पर 5 करोड़ रुपये की लागत से पुल बनाया गया था, जो 27-28 अगस्त 2020 की बारिश में बह गया था। इस संबंध में पुल के निर्माण और डिजाइन में लापरवाही बरतने वाले 4 इंजीनियरों को पहले ही आरोप पत्र भेजे जा चुके थे और 8 को नोटिस भेजे गए थे। अब इनके द्वारा दिए गए जवाब असंतोषजनक पाए गए हैं। साथ ही अब इस मामले की जांच तकनीकी विशेषज्ञों की निगरानी में कराने की तैयारी चल रही है।

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जांच के दायरे में ये लोग 

इस जांच में ब्रिज डिवीजन सिवनी के तत्कालीन ईई संजय डहेरिया, जिले सिंह बघेल, संजय मस्के, एसएस ठाकुर, प्रभारी ईई पीएस परिहार, सहायक यंत्री एसएन डोंगरे, एमपी अहिरवार, एसडीओ पीके पटवा, वसीम खान और सब इंजीनियर एके सैयाम शामिल हैं। भोपाल के तत्कालीन चीफ इंजीनियर वीके भूगांवकर और असि. इंजीनियर संजय श्रीवास्तव भी जांच के दायरे में बताए जा रहे हैं।

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साक-हलालपुर मार्ग पर बना पुल भी बहा

वहीं, छिंदवाड़ा जिले में पेंच नदी पर साक-हलालपुर मार्ग पर पांच करोड़ रुपये की लागत से बना पुल भी बह गया। पुल का पाया बह जाने के बाद निर्माण से जुड़े लोगों को नोटिस जारी किए गए। विजिलेंस के नोट और नोटिस का चीफ इंजीनियर ने जवाब दिया। तत्कालीन ईएनसी आरके मेहरा ने बताया कि माचागोरा डैम के सभी गेट खोलने से पुल के ऊपर ढाई मीटर पानी आ गया। उन्होंने आगे बताया कि पुल की डिजाइनिंग के समय एचएफएल 107.30 मीटर था लेकिन पुल ढहने के समय एचएफएल 113.25 मीटर था। इस कारण सभी इंजीनियर दोषमुक्त हो गए। इसमें ईई जिले सिंह, एसएस ठाकुर, संजय मस्के, डीपी रोहितास, वसीम खान, पीके अग्रवाल और एचएस जायसवाल शामिल थे।

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