संजय गुप्ता, INDORE. द सूत्र द्वारा 16 मार्च को ही खुलासा कर दिया गया था कि बीजेपी के शंकर लालवानी ( Shankar Lalwani ) के सामने कांग्रेस के अक्षय बम ही इंदौर लोकसभा सीट पर आमने-सामने होंगे। शनिवार रात को आई कांग्रेस की सूची में यही हुआ। लेकिन 35 साल से बीजेपी का गढ़ रही इस सीट पर अब सवाल यही है कि आखिर बम वोटिंग के लिए बचे हुए 50 दिन में बीजेपी को बीते चुनाव मे मिले 10.68 वोट में से कितने में सेंध लगा सकेंगे और साथ ही कांग्रेस को मिले 5.20 लाख वोट में से कितने बचा सकेंगे।
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बीजेपी का नारा 8 लाख पारा सबसे बड़ी चुनौती
कांग्रेस 1989 से लगातार नौ लोकसभा चुनाव इंदौर में हार चुकी है, आठ बार सुमित्रा महाजन ने हराया तो एक बार शंकर लालवानी ने। बीजेपी इस सीट पर जीत की तो बात कर ही नहीं रही है, उसका मिशन है इस बार यहां से जीत 8 लाख वोट से पार होना चाहिए। असल चुनौती तो बम की यही दिख रही है कि वह बीजेपी के इस महत्वाकांक्षी मिशन को कहां तक रोक पाते हैं।
8 लाख पार यानि देश की सबस बड़ी जीत होगी बीजेपी की
साल 2019 के चुनाव में देश में सबसे बड़ी जीत बीजेपी के सीआर पाटिल (नवसारी, गुजरात) की हुई थी। उन्होंने कांग्रेस के धर्मेश पटेल को 6 लाख 89 हजार 668 वोटों से हराया था। यानी बीजेपी का मिशन देश की सबसे बड़ी जीत का मिशन है। मप्र में वोटों के लिहाज से इंदौर की 5.47 लाख वोट की जीत दूसरे नंबर पर थी। होशंगाबाद में बीजेपी के उदय प्रताप सिंह की 5.53 लाख वोट की जीत प्रदेश में सबसे बड़ी थी।
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पुराने वोट प्रतिशत से चलें तो भी 6 लाख के वोट का गड्ढ़ा
साल 2019 के चुनाव में बीजेपी को कुल डले वोट 16.24 लाख में से 10.68 लाख यानी करीब 66 फीसदी हासिल हुआ था। वहीं कांग्रेस को करीब 32 फीसदी वोट हासिल हुए थे। वोटिंग प्रतिशत 69.33 फीसदी था। यदि इसी हिसाब को 2024 के चुनाव में लागू करें तो कुल वोट 25.13 लाख में से 70 फीसदी वोटिंग के लिहाज से 17.60 लाख करीब वोट गिरेंगे। इसमें से बीजेपी को साल 2019 जैसे ही यदि 66 फीसदी वोट जाते हैं तो उसे 11.61 लाख वोट और कांग्रेस को 32 फीसदी के हिसाब से 5.63 लाख के करीब वोट बनते हैं। यानी बीजेपी की जीत 6 लाख के करीब छूती है।
इंदौर में बीजेपी की सबसे बड़ी जीत 2019 की ही थी
बीजेपी 1989 से लगातार जीत रही है लेकिन सबसे बड़ी जीत तो साल 2019 की ही रही थी। हालांकि इसके पहले 2014 में महाजन ने भी सबसे बड़ी जीत का रिकार्ड बनाया और करीब साढ़े चार लाख वोट से जीत हासिल की थी। लेकिन शंकर लालवानी ने 2019 में ही इस रिकार्ड को तोड़ दिया और 5.47 लाख वोट से जीत हासिल की।
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लालवानी और बम एक नजर में
लालवानी- उम्र 62 साल, ग्रेज्युट है। साल 2019 में पहली बार सांसद बने। इंदौर बीजेपी नगराध्यक्ष रह चुके हैं, तीन बार पार्षद रहे और एक बार निगम सभापति भी बने। आईडीए चेयरमैन भी रह चुके हैं।
डॉ. अक्षय कांति बम- उम्र 44 साल, पीएचडी है। मप्र कांग्रेस अल्पसंख्यक विभाग में प्रदेश उपाध्यक्ष, अखिल भारतीय प्रोफेशनल कांग्रेस, प्रदेश सचिव भी है। कॉलेज का संचालन करते हैं। इंदौर विधानसभा चार से इस बार 2023 चुनाव में टिकट मांग रहे थे, नहीं मिला था। अब सीधे लोकसभा में पार्टी ने उतारा है। पहले कोई चुनाव नहीं लड़ा।
(साल 2019 चुनाव में बीजेपी के शंकर लालवानी को 10.68 लाख वोट और कांग्रेस के पंकज संघवी को 5.20 लाख वोट मिले थे)