बीजेपी मंडल अध्यक्ष को पुलिसकर्मी कॉलर पकड़कर ले गए, नेताओं ने किया हंगामा तो तीन लाइन अटैच. दो सस्पेंड

मध्यप्रदेश के महू में एक विवाद सुलझाने के दौरान बीजेपी के मंडल अध्यक्ष की कॉलर पकड़ना पुलिस वालों को महंगा पड़ गया। मामले में सहायक थानेदार सहित तीन पुलिसकर्मी लाइन अटैच और दो सिपाही सस्पेंड कर दिए गए... 

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Sanjay gupta
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INDORE. बीजेपी के महू के मंडल अध्यक्ष मनोज पाटीदार की कॉलर पकड़ना पांच पुलिस वालों पर भारी पड़ गया। बीजेपी नेताओं के हंगामा करने और बात उच्च स्तर तक करने के बाद सहायक थानेदार सहित तीन पुलिसकर्मी लाइन अटैच हो गए और दो सिपाही को सस्पेंड कर दिया गया है। 

इन पर हुई कार्रवाई

सहायक थानेदार जयदेव गोरखड़े के साथ ही सिपाही सुखराम गिरवाल, विजय अंडेलकर को लाइन अटैच किया गया है। वहीं सिपाही योगेंद्र चौहान, कृष्णा मालवीय को सस्पेंड किया गया है।

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यह है मामला

कोदरिया गांव की अयोध्यापुरी कॉलोनी जो पाटीदार के पिता और बीजेपी नेता अशोक पाटीदार ने काटी थी ( अब उनका निधन हो गया है )। यहां पर एक खाली प्लाट पर मंदिर निर्माण को लेकर विवाद हुआ, जो बताया जाता है कि पाटीदार की है। मौके पर मुकेश पाटीदार और नायब तहसीलदार भी थे। इस दौरान विवाद होने पर टीआई संजय दिवेदी को शिकायत हुई, उन्होंने वहां पर सहायक थानेदार और पांच पुलिसकर्मी को पहुंचाया।

पुलिस और पाटीदार के बीच हुई हुज्जत

इस दौरान कहा जाता है कि पुलिसकर्मियों और पाटीदार के बीच ही हुज्जत शुरू हो गई। पाटीदार ने अपनी नेतागिरी दिखाई और आरोप है कि अपशब्द कहे। इस पर पुलिस वाले भी तैश में आ गए और कॉलर पकड़कर घसीटकर उन्हें पुलिस जीप में बैठाकर थाने ले आए। थाने पर पहुंचने की खबर लगने पर बीजेपी नेताओं का मजमा लग गया और विधायक उषा ठाकुर भी एक्शन में आ गई। कहा गया कि पुलिस ने गलत व्यवहार किया और खुद पाटीदार ने ही पुलिस को विवाद सुलझाने बुलाया और उन पर ही उलटे कार्रवाई कर दी। इसके बाद वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने संज्ञान लिया और कार्रवाई कर दी।

पाटीदार पर लग चुका डकैती का आरोप

पाटीदार की तीखे तेवर पहले से ही चर्चित है और अधिकारियों के साथ उलझना उनके लिए नई बात नहीं है। वन विभाग के डिप्टी रेंजर आरएस दुबे ने वन विभाग की जमीन पर काम होने पर डंपर व अन्य वाहन जब्त किए तो इस पर तत्कालीन मंत्री उषा ठाकुर, पाटीदार व अन्य ने जाकर इन्हें छुड़ा लिया। इस पर दुबे ने इन सभी पर डकैती डालने की पुलिस में शिकायत कर दी। हालांकि, बाद में मामले में इनका तो कुछ नहीं हुआ, लेकिन दुबेजी निपट गए और उनका ट्रांसफर हो गया था।

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