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मध्यप्रदेश की शिवराज सिंह चौहान सरकार के दौरान बनाई गई सामाजिक कल्याण बोर्डों की योजनाएं आज कागजों में ही सिमट कर रह गई हैं। जिन बोर्डों को समाज के पारंपरिक हुनर को सशक्त करने के नाम पर खड़ा किया गया था, वे आज खुद अपने अस्तित्व को बचाने के लिए सरकार के सामने गुहार लगा रहे हैं। इन बोर्डों पर करोड़ों रुपए खर्च हुए लेकिन सिर्फ कुर्सी गाड़ियों पर ही न किसी समाज से कोई टैलेंट निकल पाया न ही कार्यक्रम हुए।
करोड़ों खर्च, फिर भी एक भी ट्रेनिंग नहीं
सरकार ने 14 सामाजिक बोर्ड (अलग अलग समाज के बोर्ड) बनाकर दावा किया था कि समाज के परंपरागत काम के अनुसार युवाओं को प्रशिक्षण दिलाया जाएगा। हकीकत ये है कि अब तक एक भी बोर्ड कोई ट्रेनिंग कार्यक्रम शुरू नहीं कर पाया। वहीं दूसरी ओर, इन बोर्डों पर दो साल में करीब 56 करोड़ रुपए केवल कुर्सी, गाड़ी और मानदेय पर खर्च कर दिए गए।
काम के लिए पैसा नहीं, पर फर्नीचर खरीद रहे
अब जब 14 में से चार बोर्डों का कार्यकाल अप्रैल में खत्म हो चुका है और बाकी का जुलाई से अक्टूबर तक समाप्त होने वाला है, तब उनके अध्यक्ष और सदस्य सरकार से कार्यकाल बढ़ाने और योजनाओं की मंजूरी की मांग कर रहे हैं। बोर्ड सदस्यों का आरोप है कि उन्हें केवल नाम, गाड़ी और मानदेय मिला, लेकिन कोई फंड, कोई योजना, कोई प्रशिक्षण मंजूर नहीं हुआ। दिलचस्प यह है कि सरकार द्वारा कार्यकाल भी नहीं बढ़ाया गया, लेकिन ऑफिसों के लिए अभी भी फर्नीचर और उपकरण खरीदे जा रहे हैं।
प्रोजेक्ट तो दिए, पर स्वीकृति ही नहीं मिली
स्वर्णकार बोर्ड
गुजरात जाकर गहनों की डिजाइनिंग और तराशने के काम पर विस्तृत प्रोजेक्ट तैयार किया गया। लेकिन उसे मंजूरी नहीं मिली।
तेलघानी बोर्ड
पारंपरिक तरीके से तेल निकालने का प्लान दिया गया, पर योजना फाइलों में ही अटक गई।
अन्य बोर्ड
कई अन्य बोर्डों ने भी समाज के पारंपरिक कार्यों पर आधारित योजनाएं तैयार की थीं, जिनमें सिलाई-कढ़ाई, केश शिल्प, लोहारगीरी जैसे कौशल शामिल हैं। मगर अब तक शासन से एक भी हरी झंडी नहीं मिली।
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बोर्ड अध्यक्षों की गुहार, कार्यकाल बढ़ाइए
प्रेम नारायण विश्वकर्मा, एमपी के विश्वकर्मा कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष हैं। उनका कहना है कि हमने अपने समाज के लिए पारंपरिक कार्यों को लेकर प्रोजेक्ट बनाकर दिए हैं, लेकिन अभी तक कोई मंजूरी नहीं मिली। कार्यकाल के लिए शासन स्तर पर प्रक्रिया चल रही है।
कुशवाह समाज बोर्ड के अध्यक्ष नारायण सिंह कुशवाह बोले-हमने शासन को ट्रेनिंग आधारित प्रोजेक्ट सौंपा है। मंजूरी मिलने पर समाज के लोगों को ट्रेनिंग देंगे।
एमपी स्किल डेवलपमेंट बोर्ड का जवाब
एमपी स्टेट स्किल डेवलपमेंट बोर्ड के सीईओ गिरीश शर्मा ने कहा कि जिन बोर्डों ने प्रस्ताव दिए हैं, उन्हें शासन को लिखा गया है। जैसे ही मंजूरी मिलेगी, ट्रेनिंग शुरू की जाएगी। जिन बोर्डों का कार्यकाल पूरा हो चुका है, उनकी जानकारी भी शासन को दी गई है।
खबर को आसान भाषा में समझिए
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विधानसभा चुनाव से पहले शिवराज सरकार ने 14 समाजों के बोर्ड बनाए थे, जिनका मकसद पारंपरिक हुनर को बढ़ावा देना था।
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दो साल में 56 करोड़ खर्च हो गए, लेकिन एक भी ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू नहीं हुआ।
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बोर्ड अध्यक्षों ने शासन को कई प्रशिक्षण योजनाएं दीं, लेकिन अब तक कोई मंजूरी नहीं मिली।
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कुछ बोर्डों का कार्यकाल खत्म हो गया है, बाकी के भी जल्द खत्म होंगे, पर फर्नीचर की खरीद अब भी चालू है।
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अब बोर्ड के अध्यक्ष खुद सरकार से मांग कर रहे हैं कि कार्यकाल बढ़ाया जाए और योजनाओं को मंजूरी दी जाए।
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