बोल हरि बोल: MP में फिर हनी-बनी का जिन्न, टूट रहे दिल और अब होली की चर्चा

देश में आम चुनाव से तीन माह पहले ही दल- बदल की राजनीति की गाड़ी चल पड़ी है। कांग्रेस की ट्रेन से उतरकर नेता बीजेपी की डबल इंजन वाली ट्रेन में सवार होने लगे हैं।

Advertisment
author-image
Pratibha Rana
New Update
nnn

बोल हरि बोल

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

डॉक्टर साहब के दौरे और कुर्सी के किस्से बाजार में, पंडितजी की दुकान फिर चल पड़ी

हरीश दिवेकर @ bhopal 
प्यार, मोहब्बत, इकरार और इजहार के इस मौसम में कहीं दिल टूट रहे हैं तो कहीं फूल खिल रहे। वफा और बेवफाई की बातें हो रही हैं। कोई 'हाथ' छिटक रहा तो कोई 'खिल' रहा है। हां भैया, सियासत का मिजाज ही कुछ ऐसा होता है। नेता पति- पत्नी की तरह नहीं होते, जो सात जन्मों तक साथ निभाएंगे। उनका तो लिव-इन-रिलेशनशिप रहता है। कल था, आज खत्म। इसमें शोक क्या मानना और क्या ही खुशी ( bol hari bol )। 

देश में आम चुनाव से तीन माह पहले ही दल- बदल की राजनीति की गाड़ी चल पड़ी है। कांग्रेस की ट्रेन से उतरकर नेता बीजेपी की डबल इंजन वाली ट्रेन में सवार होने लगे हैं। हाल के कुछ दिनों में मध्यप्रदेश में दो दर्जन नेता बीजेपी की सेमी हाईस्पीड ट्रेन में सवार हो चुके हैं। हनीट्रैप कांड में कई 'बनी' भी बिगड़े-बिगड़े घूम रहे हैं। बोतल से निकले जिन्न ने कई नाम खोल दिए और पुरानों के घाव पर 'नमक' छिड़क दिया है (   harish diwekar special column )।

ये खबर भी पढ़िए...PM मोदी का आज झाबुआ दौरा, 7500 करोड़ के विकास कार्यों की देंगे सौगात

अजी छोड़िए जनाब! अपन को क्या...

हम तो प्रदेश ( mp news )की बात करते हैं। आज सूबे की सियासत के लिए बड़ा दिन है। पंत प्रधान आज क्रांतिकारी चंद्रशेखर की जन्मस्थली झाबुआ पहुंच रहे हैं। हर नेता सियासी 'ऊर्जा' से भरा है। आदिवासी बहुल झाबुआ में पंत प्रधान का दौरा इसलिए भी खास है कि वे यहां 7550 करोड़ रुपए से ज्यादा की विकास परियोजनाओं की आधारशिला रखेंगे। साथ ही सूबे में लोकसभा चुनाव का बिगुल फूंकेंगे। 
देश- प्रदेश में खबरें तो और भी हैं, पर आप तो सीधे नीचे उतर आईए और 'बोल हरि बोल' के रोचक किस्सों का आनंद लीजिए।

साहब की कुर्सी का किस्सा

डॉक्टर साहब सूबे की जनता का हर मर्ज दूर करने के प्रयास में जुटे हुए हैं। उनके सिपहसालार भी कहां पीछे रहते। पिछले दिनों इंदौर में हुए एक कार्यक्रम में डॉक्टर साहब की कुर्सी दूसरे नेताओं से सटाकर क्या लगी, मामले ने तूल पकड़ लिया। सीएमओ से तुरंत फरमान जारी हुआ कि मंच पर 'साहब' की कुर्सी और बाकी नेताओं की कुर्सी का खास ध्यान रखा जाए। 'लाइन' डॉक्टर साहब की बड़ी होनी चाहिए, वे दूसरों से बड़े हैं तो कार्यक्रमों में नजर भी आना चाहिए। इस सूचना के लिए बाकायदा कलेक्टर साहब को फोन करके ताकीद दी गई है। 

ये खबर भी पढ़िए...मां ताप्ती परिक्रमा: 17वें साल की परिक्रमा का समापन 17 को मुलताई में

होली कब है… कब है होली!

शोले फिल्म का डॉयलॉग...'होली कब है, कब है होली...' एक जमाने में काफी चर्चित रहा है, लेकिन इन दिनों ब्यूरोक्रेसी में इसकी चर्चा है। दरअसल, हॉट सीट पर बैठीं मैडम 31 मार्च तक रिटायर होने वाली हैं। चाहने वाले मैडम को 6 माह का एक्सटेंशन मिलने की दुआ कर रहे हैं, लेकिन हाल ही में दिल्ली से लौटे एक साहब मैडम के रिटायर होने के इंतजार में बैठे हैं। उन्होंने हॉट सीट पर आने के लिए दिल्ली से लेकर संघ तक में हाथ- पैर मारने में कसर नहीं छोड़ी है। यही नहीं, तीसरे दावेदार भी हैं, जो डार्क हॉर्स बनकर कभी भी सामने आ सकते हैं। इन सबको होली यानी 25 मार्च तक का बेसब्री से इंतजार है, क्योंकि ये वो समय होगा, जब मैडम का भविष्य तय हो रहा होगा। यानी कि वे हॉट सीट पर रहेंगी या फिर जाएंंगी।  

साहब को लगा दिखावे का शौक

कभी ब्यूरोक्रेसी में ईमानदार और उसूलों पर चलने वाली छवि रखने वाले एक साहब पॉवर सेंटर में रहकर अब बिगड़ गए हैं। मामा के राज में पांचवीं मंजिल पर बैठकर इन साहब ने खूब हुक्म चलाया था, लेकिन मोहन बाबू ने आते ही साहब को लूपलाइन में डाल दिया। जैसे- तैसे ज्ञान गणित बैठाकर साहब फिर मुख्यधारा में तो आ गए, लेकिन अबकी बार साहब बदले- बदले नजर आ रहे हैं। साधारण से रहने वाले इन साहब को झंके- बंके की आदत लग गई है। अब देखो न... हैं तो प्रमुख सचिव, लेकिन उन्हें पुराने मंत्रालय में चीफ सेक्रेटरी वाला कमरा भा गया, कोई आवाज न उठाए, इसलिए साहब ने अपने सेक्रेटरी को भी एसीएस वाला कमरा अलॉट कर दिया। 

ये खबर भी पढ़िए...

ये खबर भी पढ़िए...लाड़ली बहना योजना की वजह से विभागों के बजट में अड़ंगा,छात्रवृत्ति अटकी

चल पड़ी पंडितजी की दुकान

सूबे के मुखिया के दोस्त… अरे अपने पंडितजी की बात कर रहा हूं। हां, भई अब उनकी दुकान चल पड़ी है। सारे अफसरान पंडितजी के यहां चिलम भरते नजर आ रहे हैं। मामा के राज में पंडितजी व्यापमं कांड में बुरी तरह उलझ गए थे। जैसे- तैसे बच पाए। कहते हैं न कि हर किसी के दिन ​फिरते हैं तो पंडितजी के भी दिन फिर गए। उनका दोस्त जो मुखिया बन गया। वैसे पंडितजी बड़े खिलाड़ी हैं, कई कारोबार में उनका हाथ- पैर सब घुसा हुआ है, चाहे फिर वो रियल स्टेट का मामला हो या फिर खदान का। अब पंंडितजी मीडिया में भी एंट्री मार रहे हैं, सुना है कोई बड़ा चैनल लेकर आ रहे हैं। 

हनी ट्रैप के जिन्न ने उड़ाई नींद

जब- जब हनी ट्रैप का जिन्न बोतल से बाहर निकलने की कोशिश करता है, तब- तब रसिया अफसर, नेता और कारोबारियों की नींद उड़ जाती है। मामला भले ही पांच साल पुराना हो गया हो, लेकिन इसमें हनी अभी भी बाकी है। हनी के चक्कर में बनी बनकर उलझे रसिया लोग बोलने लगे हैं कि खाया- पिया चार आना, गिलास फोड़ा बारह आना... हो गया है। दरअसल जब- जब ये जिन्न बाहर निकलता है तो उसे फिर बोतल में बंद करने के लिए काफी तेल- पानी खर्च हो जाता है। सही भी है बॉस, ये राज यदि राज ही रहे तो कई परिवार बच जाएंगे, नहीं तो कई नेता अफसरों को तलाक मिल सकता है।

डॉक्टर साहब और उनके दिल्ली दौरे 

इन दिनों डॉक्टर साहब के दिल्ली दौरों के खूब चर्चे हैं। वे दिल्ली पहुंचते हैं तो उनके जलने वालों के कान खड़े हो जाते हैं। जब दिग्गज नेताओं से मुलाकात का उनका फोटो सामने आता है तो धड़कनें और तेज हो जाती हैं। तो 'भाईसाहब' आपकी जानकारी के लिए बता दें कि मामला वैसा बिल्कुल नहीं है, जैसा आप सोच रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, 24- 25 फरवरी को उज्जैन में डॉक्टर साहब के चिरंजीव का विवाह है। इसी समारोह का निमंत्रण पत्र देने के लिए वे बार-बार दिल्ली जा रहे हैं। बीते दिनों उन्होंने मोदी, शाह और नड्डा को निमंत्रण दिया था।

ये खबर भी पढ़िए...

ये खबर भी पढ़िए...EPFO से आई खुशखबरी, अब PF पर मिलेगा 8.25% ब्याज


  • ये झूठे, नाते हैं नातों का क्या...
    कस्मे, वादे, प्यार, वफा सब, बातें हैं बातों का क्या...
    कोई किसी का नहीं ये झूठे, नाते हैं नातों का क्या...
    वर्ष 1967 में आई फिल्म 'उपकार' में मन्ना डे ने इस सुरीले गीत को अपनी आवाज दी थी। तब से अब तलक प्यार में धोखा खाने वालों के लिए ये गाना दिलासा देने का काम करता है। फिलवक्त तो मध्यप्रदेश की सियासत में यह गाना बड़ा फिट बैठता है। दल- बदल का दौर तेज हो गया है। कई कांग्रेस नेता बीजेपी ज्वाइन कर चुके हैं और अभी कई कतार में हैं। इनमें कुछ नाम तो बड़े चौंकाने वाले हैं। हम तो बस इतना कहेंगे कि जो दल बदलना चाहता है उसे मत रोको, जाने दो। रोका तो वह उस समय जाएगा, जब उसका जाना और भी बुरा होगा। मित्रो, आपकी शाश्वत पूंजी निष्ठावान कार्यकर्ता ही हैं। जमीनी कार्यकर्ता कभी दल छोड़कर नहीं जाते।
MP News BOL HARI BOL बोल हरि बोल Harish Diwekar Special Column