इंदौर में बिल्डर्स और भू स्वामी एक बड़ी जांच में घिर गए हैं। यह वह बिल्डर्स और भूस्वामी हैं, जो रेशो डील का ज्वाइंट डेवलपमेंट एग्रीमेंट (जेडीए) करते हैं। इन सभी एग्रीमेंट की कॉपी आयकर विभाग इंदौर के टीडीएस विभाग ने जुटाना शुरू कर दिया है और इनकी जांच हो रही है।
टैक्स चोरी में उलझेंगे?
प्रॉपर्टी में किसी भी सौदे, एग्रीमेंट के लिए जरूरी होता है कि उसे रजिस्टर्ड कराया जाए। इसी के तहत रेशो डील का सौदा भी पंजीयन दफ्तर में रजिस्टर्ड होता है। रेशो डील के तहत बिल्डर्स और भूस्वामी के बीच डील होती है, जिसमें जमीन पर डेवलप कर टाउनशिप या कोई प्रोजेक्ट पूरा करने का काम बिल्डर करता है। इसके बदले में विकसित प्लॉट का सौदा व अन्य लेन-देन का सौदा रहता है, प्रोजेक्ट बनने पर कितना हिस्सा कौन रखेगा। इस पूरी डील पर लागू होता है 10 फीसदी टीडीएस, जो डेवलपर यानी बिल्डर को काटकर आयकर विभाग में जमा करना होता है। आयकर एक्ट में इसके प्रावधान दिए हुए हैं।
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एक-दो नहीं 6 साल के रिकॉर्ड जुटा रहा है विभाग
आयकर विभाग भी एक-दो साल के रेशो डील एग्रीमेंट नहीं ले रहा है, बल्कि वह साल 2017-18 के वित्तीय साल यानी एक अप्रैल 2017 से हुए जेडीए रिकॉर्ड जुटा रहा है। इंदौर में हर साल सैकड़ों की संख्या मे जेडीए होते हैं, छोटे प्लॉट पर कमर्शियल प्रोजेक्ट बनाना हो या बड़ी जमीन पर टाउनशिप, जमीन की कीमत अधिक होने से इंदौर में अब जेडीए पर ही सौदे अधिक होते हैं। यानी कि हजारों प्रोजेक्ट के रेशी डील एग्रीमेंट जांच में आ चुके हैं।
आगे क्या होगा?
टीडीएस काटकर नहीं भरना आयकर एक्ट में बड़ा अपराध है, जिसमें पेनल्टी के साथ ही ब्याज देना होता है। साथ ही कुछ प्रावधानों में तीन माह से लेकर सात साल की सजा का भी प्रावधान होता है। टीडीएस काटना और इसे सरकार के पास जमा कराना दोनों ही जरूरी होता है।
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