चुनावी​ मिठाई की कीमतों में इजाफा, सीधे 200 रुपए तक बढ़ गए रेट

लोकसभा चुनाव 2024 में प्रत्याशियों के खर्च की गणना के लिए खानपान समेत अन्य सामग्री के रेट तय करने के लिए बैठक हुई। इस बैठक में नगर निगम ने इस बार मिठाई के रेट 200 रुपए किलो तक बढ़ाने का प्रस्ताव रखा।

Advertisment
author-image
Sandeep Kumar
एडिट
New Update
SWEET

मिठाई के रेट 200 रुपए किलो तक बढ़ाने का प्रस्ताव

Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

BHOPAL. आजाद भारत में जब पहला आम चुनाव हुआ था, तब चुनाव आयोग ने पूरे चुनाव पर लगभग साढ़े 10 करोड़ रुपए खर्च किए थे, लेकिन अब चीजें बहुत बदल गई हैं। अब आम चुनाव कराने में हजारों-हजार करोड़ का खर्च आता है। ये तो सिर्फ चुनाव आयोग का खर्च है। अगर इसमें राजनीतिक पार्टियों और उम्मीदवारों के खर्च को भी जोड़ दिया जाए तो ये बहुत ज्यादा हो जाता है। इसी क्रम में लोकसभा चुनाव ( Lok Sabha Elections ) में प्रत्याशियों के खर्च की गणना के लिए खानपान समेत अन्य सामग्री के रेट तय करने के लिए बैठक हुई। नगर निगम ने इस बार मिठाई ( sweets ) के रेट 200 रुपए किलो तक बढ़ाने का प्रस्ताव रखा। इस पर कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों ( parties ) ने आपत्ति जताई। कांग्रेस ने कहा कि छह माह में इतनी महंगाई नहीं बढ़ी। इधर, पूड़ी-सब्जी व पोहे समेत अन्य सामग्री के रेट वही हैं, जो विस चुनावों में थे। कलेक्टर इस पर अंतिम मुहर लगाएंगे।

ये खबर भी पढ़िए..लोकसभा चुनाव : नहीं हो सके MP के कांग्रेस उम्मीदवारों के नाम फाइनल

मिठाई- विधानसभा में थे ये दाम - लोकसभा के लिए ये दाम प्रस्तावित

मिल्क केक- 484 रुपए किलो-  580 रुपए किलो

बादाम बर्फी-  464 रुपए किलो-550 रुपए किलो

काजू कतली- 869 रुपए किलो-1040 रुपए किलो

गुलाब जामुन- 435 रुपए किलो- 520 रुपए किलो

स्पेशल अंजीर- 1045 रुपए किलो-1250 रुपए किलो

बंगाली मिठाई-  470  रुपए किलो - 560 रुपए किलो

ये खबर भी पढ़िए..MP की 6 और CG की 1 Lok Sabha सीट के लिए 20 से भरे जाएंगे नामांकन फॉर्म

सेंटर फॉर मीडिया का अनुमान

सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज का अनुमान है कि इस बार आम चुनाव में 1.20 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो सकते । अगर ऐसा होता है तो ये दुनिया का अब तक का सबसे महंगा चुनाव होगा।  इतना ही नहीं, हर पांच साल में चुनावी खर्च दोगुना होता जा रहा है। 2019 के चुनाव में 60 हजार करोड़ रुपए खर्च होने का अनुमान है, जबकि इससे पहले 2014 में लगभग 30 हजार करोड़ के खर्च की बात कही जाती है।

ये खबर भी पढ़िए..संकल्प पत्र को गीता-रामायण बताने वाले सीएम भूल गए किसानों को 2700 रुपए समर्थन मूल्य देना

कितना महंगा हो रहा है चुनाव ?

चुनाव कराने का पूरा खर्च सरकारें उठाती हैं। अगर लोकसभा चुनाव हैं, तो सारा खर्च केंद्र सरकार उठाएगी। विधानसभा चुनाव का खर्च राज्य सरकारें करती हैं। अगर लोकसभा और विधानसभा चुनाव साथ-साथ हैं तो फिर खर्च केंद्र और राज्य में बंट जाता है। चुनाव आयोग के मुताबिक, पहले आम चुनाव में 10.45 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। 2004 के चुनाव में पहली बार खर्च हजार करोड़ रुपए के पार पहुंचा। उस चुनाव में 1,016 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। 2009 में 1,115 करोड़ और 2014 में 3,870 करोड़ रुपये का खर्च आया था। 2019 के आंकड़े अभी तक सामने नहीं आए हैं।

ये खबर भी पढ़िए..इलेक्टोरल बांड को लेकर छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने बीजेपी पर लगाए गंभीर आरोप, बीजेपी की मान्यता रद्द करने की मांग

 

Lok Sabha elections कांग्रेस प्रस्ताव parties sweets