निजी अस्पतालों का पंजीयन निरस्त करने का मामला, लिखित आदेश से मुकर गए CMHO

जबलपुर के सीएमओ के द्वारा निजी अस्पताल पर की गई कार्रवाई का आदेश स्वास्थ्य महकमे सहित शहर में हास्य का विषय बन गया है। क्योंकि एक तीर से दो निशाने साधने के चक्कर में CMHO संजय मिश्रा अपने ही जारी किए गए आदेश से मुकरते हुए नजर आए है।

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Neel Tiwari
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जबलपुर में दो निजी अस्पतालों का पंजीकरण निरस्त करने के लिए आदेश जारी किए गए थे। आदेश के अनुसार इन निजी अस्पतालों के ऊपर कार्रवाई क्यों की गई है। इसका स्पष्ट उल्लेख धाराओं और कारणों के साथ जारी किए गए आदेश में है। जब इस मामले में जबलपुर CMHO संजय मिश्रा से जानकारी मांगी गई तो अपने ही आदेश को धत्ता बताते हुए उन्होंने यह कह दिया कि यह कार्रवाई निजी अस्पतालों की रिक्वेस्ट पर ही की गई है। इस तरह जबलपुर के CMHO इन निजी अस्पतालों की साख बचाते हुए नजर आए।

शिकायतों के आधार पर हुई कार्रवाई

जबलपुर में जिन दो अस्पतालों पर करवाई हुई है उनके नाम कोठारी अस्पताल और एप्पल अस्पताल है। जबलपुर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी के कार्यालय से जारी किए गए आदेश के अनुसार सुभद्रा कुमारी चौहान वार्ड, गेट नंबर 4 स्थित कोठारी अस्पताल के खिलाफ 28 नवंबर 2024 को शिकायत दर्ज की गई थी। जिसमें अस्पताल के नगर निगम नियमों और म्युनिसिपल कानूनों का उल्लंघन करने की बात सामने आई थी। नगर निगम की जांच में पाया गया कि भवन की स्वीकृति केवल "आवासीय उद्देश्य" के लिए थी, लेकिन इसके विपरीत अस्पताल संचालित किया जा रहा था। अस्पताल के पास फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट मानकों के अनुरूप नहीं था, जो राष्ट्रीय भवन संहिता (NBC) के खंड 04 की कंडिका 1.2 के तहत आवश्यक है। अस्पताल के लिए विकास अनुज्ञा (डेवलपमेंट परमिशन) भी जारी नहीं की गई थी, जिसका उल्लेख म.प्र. नगर एवं ग्राम निवेश विभाग के पत्र क्रमांक 152, दिनांक 10 फरवरी 2025 में किया गया। अस्पताल प्रबंधन को 10 जनवरी 2025 को कारण बताओ नोटिस (शो-कॉज नोटिस) जारी किया गया, लेकिन दो महीने बीत जाने के बाद भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला। इसके चलते अस्पताल का पंजीयन तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया।

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वहीं एप्पल हॉस्पिटल जो शारदा चौक बेदी नगर, नागपुर रोड पर स्थित है। उसके खिलाफ तीन शिकायतें प्राप्त हुईं थी। 10 मई 2024 को शिकायतकर्ता धीरज कुकरेजा और स्वप्निल सराफ (अधिवक्ता), 28 नवंबर 2024 को शिकायतकर्ता प्रशांत वैश्य और 22 फरवरी 2025 को शिकायतकर्ता संदीप गर्ग ने अस्पताल के खिलाफ शिकायत दी थी। नगर निगम ने अपनी रिपोर्ट (पत्र क्रमांक 983, दिनांक 24 जनवरी 2025) में बताया कि अस्पताल आवासीय क्षेत्र में संचालित किया जा रहा था, जबकि इसकी स्वीकृति केवल आवासीय उद्देश्य के लिए थी।अस्पताल के पास संस्थागत भवन अनुज्ञा पत्र नहीं था और नगर निगम से कंपाउंडिंग स्वीकृत नक्शा भी प्रस्तुत नहीं किया गया। म.प्र. नगर एवं ग्राम निवेश विभाग के पत्र क्रमांक 152, दिनांक 10 फरवरी 2025 के अनुसार, अस्पताल के पक्ष में विकास अनुज्ञा जारी नहीं की गई। जिसके बाद 10 जनवरी 2025 को अस्पताल को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, लेकिन समय सीमा बीतने के बाद भी जवाब संतोषजनक नहीं था, जिसके कारण अस्पताल का पंजीयन (क्रमांक NH/1724/जून 2024, दिनांक 19 जून 2024) तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया गया।

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अपने ही आदेश से मुकर गए CMHO

इन दोनों अस्पतालों के पंजीकरण को निरस्त करने के लिए जो आदेश जारी हुए थे। उसमें जबलपुर के CMHO संजय मिश्रा के हस्ताक्षर भी है लेकिन मीडिया को जानकारी देते हुए CMHO अपने ही आदेश से मुकर गए। उन्होंने बताया कि इन दोनों अस्पतालों ने खुद यह आवेदन दिया था कि वह अस्पताल को बंद करके किसी और जगह स्थानांतरित करना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि जहां कोठारी अस्पताल के संचालक अब 100 बेड का अस्पताल संचालित ना कर उसे छोटे अस्पताल का रूप देना चाहते हैं। वहीं एप्पल अस्पताल के संचालक अस्पताल के बेड और बढ़ाकर इसे दूसरी जगह स्थानांतरित करना चाहते हैं। जिसके लिए उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को आवेदन दिया था जिस पर विचार करते हुए उनका पंजीकरण निरस्त किया गया है। अब सीएमएचओ के बयान के अनुसार यह दोनों अस्पताल अलग जगह पर अपने अस्पताल दोबारा खोलना चाहते हैं और ऐसे में सीएमएचओ के बयान को इन निजी अस्पतालों की साख बचाने के लिए किए गए प्रयास के रूप में देखा जा रहा है। स्वास्थ्य महकमे के गलियारों में तो यह भी चर्चा है कि जबलपुर के सीएमएचओ निजी अस्पतालों के पब्लिक रिलेशन ऑफिसर बने हुए है, क्योंकि जब निजी अस्पतालों पर कार्रवाई करने की बात होती है तो उनका ढुलमुल रवैया नजर आता है लेकिन जब की गई कार्रवाई को छुपाने की बात हो तो उस पर वह अव्वल नजर आते हैं।

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कॉपी पेस्ट कर जारी हुआ आदेश या CMHO ने दिया झूठा बयान

सीएमएचओ के द्वारा हस्ताक्षरित  आदेश जो अस्पतालों के पंजीकरण को निरस्त करने के लिए जारी किया गया है। उसमें साफ-साफ शिकायतों सहित उन धाराओं का भी उल्लेख है जिसके अंतर्गत इन अस्पतालों में कमी पाई गई और उनका पंजीयन निरस्त किया गया। लेकिन सीएमएचओ के बयान के अनुसार यह कार्रवाई प्रशासन के द्वारा नहीं बल्कि अस्पतालों के निवेदन पर की गई है, अब यहां पर सबसे बड़ा सवाल यह खड़ा हो रहा है कि या तो इस आदेश में जिन नियमों के तहत कार्रवाई की गई है। वह पुराने फॉर्मेट को कॉपी पेस्ट कर जारी किया गया है या सीएमएचओ के द्वारा दिया मीडिया को दिया गया बयान निजी अस्पतालों की साख बचाने के लिए प्रयास है। क्योंकि नजर तो यह आ रहा है कि इस तरह से आदेश जारी कर नियम विरुद्ध संचालित हो रहे अस्पताल के खिलाफ मिली शिकायतों का भी निराकरण कर दिया गया। अब संचालकों के लिए नई जगह पर नए सिरे से अस्पताल शुरू करने के रास्ते भी खोल दिए गए हैं।

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