इंदौर हाईकोर्ट में केस डायरी ( Case diary ) समय पर नहीं भेजने के मामले में जस्टिस संजीव एस कलगांवकर की बेंच में सुनवाई हुई। इसमें पुलिस कमिशनर इंदौर राकेश गुप्ता के साथ ही खंडपीठ दायरे के सभी जिलों के एसपी मौजूद रहे। जस्टिस ने सीधा सवाल किया कि केस डायरी भेजने में क्या दिक्कत आ रही है?
पुलिस कमिशनर गुप्ता यह बोले
गुप्ता ने इस पर कहा कि साल 2023 से पहले के केस में डायरी सर्च करने में देरी होती है। यदि इसमें एक सप्ताह का समय मिले तो समय पर डायरी हो जाएगी। इस पर जस्टिस ने कहा कि मैंने अभी आदेश में जो कहा था, इसमें सभी 2024 के नए केस थे, लेकिन इसमें भी समस्या आई।
एसपी ने यह बताए कारण
धार एसपी मनोज सिंह ने कारण बताया कि फ्लैगिंग गलत हो गई थी। जबकि कुछ एसपी ने बताया कि कभी केस नंबर गलत आ जाता है। वहीं अन्य एसपी ने कहा कि एक सप्ताह का समय मिए जाए तो समय पर डायरी पहुंचेगी। राजगढ़ एसपी ने कहा कि इंदौर से राजगढ़ डायरी जाने में पांच घंटे लगते हैं। कभी दिन कम मिलने पर कोर्ट में पुटअप होने में देरी हो जाती। समन्वय की कमी की बात भी सामने आई।
कोई कुछ कहना चाहेगा
एसपी धार, मनोज सिंह ने कहा कि पांच मामलों की केस डायरी समय पर उपलब्ध हो गई थी, लेकिन शुक्रवार को आने वाली डायरी में देरी हुई क्योंकि त्योहार और छुट्टी के कारण समय पर सूचित नहीं किया जा सका। उन्होंने सुझाव दिया कि अगर तीन दिन पहले सूचना दी जाए, तो केस डायरी समय पर पहुंचाई जा सकेगी।
सीसीटीएनएस नेटवर्क से होगा काम
सभी की समस्या सुनने पर जस्टिस ने पूछा कि ऑनलाइन में कोई समस्या है क्या, सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम) पर सब अपडेट रहता है? इस पर सभी ने हां कहा और इस पर सहमति जताई कि ऑनलाइन केस डायरी जल्द भेजी जा सकती है। सीपी गुप्ता ने भी कहा कि सीसीटीएनएस में सब तैयार होता है। इससे सुविधा होगी। इंदौर के सीपी और सभी डीसीपी के साथ ही रतलाम, नीमच, बड़वानी, मंदसौर, धार, अलीराजपुर, देवास, झाबुआ, आगर, खरगोन, राजगढ़, शाजपापुर, उज्जैन के एसपी मौजूद थे।
इसलिए उठा यह मुद्दा, यह बोले जस्टिस
हाईकोर्ट जस्टिस संजीव एस कलगांवकर की बैंच में खरगोन के फरियादी की जमानत का आवेदन लगा, लेकिन अधिवक्ता मनीष यादव ने बताया कि केस डायरी नहीं आई है। इसके बाद जस्टिस ने इस पर खासी आपत्ति ली और कई अन्य केस की रिपोर्ट निकलवाई।
सिर्फ सात दिन में 35 से ज्यादा केस में सामने आया कि कई अहम मामले केवल पुलिस द्वारा केस डायरी नहीं पहुंचाने के कारण सुनवाई में अटक जाते हैं। इस पर जस्टिस ने खासी आपत्ति ली और कहा कि केवल केस डायरी के कारण जमानत, प्रापर्टी सीज व अन्य मामलों में देरी होती है और संबंधित के मौलिक अधिकारों का हनन होता है। यह समस्या बार-बार कोर्ट के सामने आ रही है। इसलिए इसका निराकरण जरूरी है।
केस की लिस्ट भी लिखित आदेश में बताई
जस्टिस द्वारा इस संबंध में जारी लिखित आदेश में बकायदा करीब 35 केस की लिस्ट भी दी गई है। इसमें कहा गया है कि इन सभी केस को केवल इसलिए टालना पड़ रहा है क्योंकि केस डायरी नहीं आई है।
इंदौर के इन थानों सहित अन्य थानों की थी लापरवाही
जस्टिस ने केवल 20 से 27 अगस्त के बीच के केसों की ही लिस्ट बनवाई, जिसमें केस डायरी नहीं होने से केस सुनवाई टालनी पड़ी। इसमें इसमें नारकोटिक्स सेल इंदौर, राजेंद्र नगर थाना इंदौर, खाचरौद उज्जैन थाना, नीलांगना उज्जैन थाना, बाणगंगा थाना इंदौर, मनावर थाना धार, उज्जैन एक्साइज विभाग, सुथालिया राजगढ़ थाना, नारकोटिक्स सेल नमीच, मंदसौर, क्राइम ब्रांच इंदौर, बदनावर थाना इंदौर, ताल रतलाम थाना, जावद नीमच थाना, बलकवाड़ा थाना खरगोन, बदनावर थाना धार, तेजाजीनगर थाना इंदौर, महिला थाना इंदौर, महिला थाना राजगढ़, कांटाफोड़ थाना देवास, थांदला थाना झाबुआ, देवास इंडस्ट्रियल एरिया थाना, राघवी उज्जैन थाना, आजादनगर थाना इंदौर, एक्साइज सर्कल बड़वानी खरगोन, विजयनगर थाना इंदौर, आगर शाजापुर, चंदननगर थाना इंदौर, कुक्षी थाना धार, सीबीएन नीमच शामिल है।
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