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मध्यप्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता में गड़बड़ियों को लेकर लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन ने जनहित याचिका दायर की थी। गुरुवार को इस पर जबलपुर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई। जस्टिस अतुल श्रीधरन और जस्टिस अनुराधा शुक्ला की बेंच ने CBI को अहम आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा है कि वह अपनी जांच में "सुटेबल" घोषित किए गए नर्सिंग कॉलेजों की फाइलों को स्कैन करे और याचिकाकर्ता को उपलब्ध कराए। कोर्ट ने कहा कि इस काम के लिए जरूरी संसाधन राज्य शासन द्वारा मुहैया कराए जाएंगे। रिकॉर्ड की सुरक्षा की जिम्मेदारी CBI की होगी।
सीबीआई ने बताई थी संसाधनों की कमी
गौरतलब है कि 3 जुलाई को कोर्ट ने CBI को निर्देश दिया था कि वह नर्सिंग कॉलेजों की जांच से जुड़े सभी दस्तावेज स्कैन कर एक प्रति याचिकाकर्ता को सौंपे। लेकिन CBI ने इसके खिलाफ एक आवेदन दाखिल कर कोर्ट को बताया कि उनके पास लगभग 800 कॉलेजों के एक लाख से अधिक दस्तावेज हैं। जिनको स्कैन करना उनके मौजूदा संसाधनों और कर्मचारियों से संभव नहीं है। साथ ही उन्होंने डेटा के दुरुपयोग की संभावना भी जताई थी। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए हैं कि जरूरी संसाधन सीबीआई को उपलब्ध कराए जाएं और इन फाइलों को स्कैन किया जाए।
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कोर्ट ने लाइव देखी थी फर्जी मार्कशीट
मामले की पिछली सुनवाई में CBI के जवाब पर याचिकाकर्ता विशाल बघेल ने सेंधवा स्थित नर्सिंग कॉलेज का उदाहरण पेश किया। उन्होंने बताया कि CBI जांच में यह कॉलेज दो बार सुटेबल पाया गया था। कॉलेज की फैकल्टी की मार्कशीट फर्जी पाई गई।
इस पर पिछली सुनवाई में याचिकाकर्ता ने नर्सिंग काउंसिल के पोर्टल से चलती सुनवाई के दौरान फर्जी मार्कशीट कोर्ट में लाइव दिखा दी थी। जस्टिस श्रीधरन ने खुद पोर्टल से मार्कशीट डाउनलोड की और इसकी पुष्टि करते हुए हैरानी भी जताई थी।
मामले में सही पक्ष रखने सीबीआई की फाइलें है जरूरी
सुनवाई में याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विशाल बघेल ने बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि जब तक CBI द्वारा सुटेबल घोषित कॉलेजों की फाइलें नहीं मिलतीं, याचिकाकर्ता अपना पक्ष नहीं रख सकता। इस पर कोर्ट ने CBI को निर्देशित किया कि वह अपने अधिकारी की निगरानी में रिकॉर्ड स्कैन कर कोर्ट में पेश करे। उसकी एक प्रति याचिकाकर्ता को दे। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस काम में CBI को तकनीकी, लॉजिस्टिक और मैनपावर की सहायता मध्यप्रदेश सरकार द्वारा दी जाएगी।
5 पॉइंट्स में समझें पूरी स्टोरी👉 मध्यप्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों की मान्यता में गड़बड़ियों को लेकर लॉ स्टूडेंट एसोसिएशन ने जनहित याचिका दायर की थी। कोर्ट ने CBI को आदेश दिया है कि वह "सुटेबल" घोषित किए गए नर्सिंग कॉलेजों की फाइलों को स्कैन करे और याचिकाकर्ता को उपलब्ध कराए। 👉 सीबीआई ने यह तर्क दिया था कि उनके पास संसाधनों की कमी है और 800 कॉलेजों के दस्तावेजों को स्कैन करना संभव नहीं है। कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया कि वह सीबीआई को आवश्यक संसाधन, मैनपावर और लॉजिस्टिक सहायता प्रदान करे। 👉 कोर्ट ने सीबीआई से कहा कि वह अपने अधिकारी की निगरानी में कॉलेजों की फाइलों को स्कैन कर कोर्ट में पेश करे और याचिकाकर्ता को इसकी एक प्रति दे। 👉 इस मामले की अगली सुनवाई 7 अगस्त 2025 को होगी। कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि किसी कॉलेज को सुटेबल घोषित किया गया है, तो उसकी पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और जांच योग्य होनी चाहिए। |
MPOnline को पहले ही मिल चुकी है चेतावनी
इससे पहले की सुनवाई में जब फर्जी मार्कशीट कोर्ट में देखी गई थी। तब हाईकोर्ट ने एमपी ऑनलाइन लिमिटेड को निर्देश दिए थे कि नर्सिंग काउंसिल के पोर्टल पर मौजूद किसी भी डेटा में कोई छेड़छाड़ न की जाए। यदि ऐसा हुआ तो उसके खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं के तहत कार्रवाई की जाएगी।
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अगली सुनवाई 7 अगस्त को
कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि अगर किसी कॉलेज को सुटेबल घोषित किया गया है, तो उसकी पूरी प्रक्रिया पारदर्शी और जांच योग्य होनी चाहिए। मामले की अगली सुनवाई 7 अगस्त 2025 को तय की गई है।
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