इंदौर के CBSE स्कूल बोले, सरकार ने बस, एडमिशन और कॉशन मनी को भी ट्यूशन फीस में कर लिया शामिल

सीबीएसई स्कूलों ने बताया है कि ट्रांसपोर्ट फीस, ट्यूशन फीस, एडमिशन फीस, मैस फीस, स्पोर्ट्स फीस, कॉशन मनी आदि सभी अलग–अलग हैं, लेकिन सरकार उसे ट्यूशन फीस ही मान रही है।

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Vishwanath Singh
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Sourabh345
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इंदौर के सीबीएसई स्कूलों और पैरेंट्स के बीच चले आ रहे फीस वृद्धि के विवाद में अब एक नया मोड़ आ गया है। पैरेंट्स ने आरोप लगाया था कि सरकार के आदेश के बावजूद स्कूलों द्वारा 10 प्रतिशत से ज्यादा स्कूल फीस में बढ़ोतरी की जा रही है। इसको लेकर अब स्कूलों ने पैरेंट्स से ली जा रही ट्यूशन फीस को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है।

स्कूलों ने यह किया खुलासा

CBSE स्कूलों ने बताया है कि ट्रांसपोर्ट फीस, ट्यूशन फीस, एडमिशन फीस, मैस फीस, स्पोर्ट्स फीस, कॉशन मनी आदि सभी अलग–अलग हैं, लेकिन सरकार उसे ट्यूशन फीस ही मान रही है। ऐसे में हम अगर ट्यूशन फीस न बढ़ाकर सिर्फ ट्रांसपोर्ट या मेस फीस भी बढ़ाते हैं तो उसे भी फीस वृद्धि बता दी जाती है। इसके संबंध में डीपीआई केके द्विवेदी का कहना है कि अभी मुझे कोई पत्र नहीं मिला है और ना ही मेरे संज्ञान में आया है। अगर मेरे पास कोई पत्र या शिकायत आएगी तो हम उसका निराकरण करेंगे।

स्कूलों को यह आ रही है पोर्टल पर परेशानी

असल में मप्र सरकार के शिक्षा विभाग ने स्कूलों की फीस को लेकर एक पोर्टल तैयार किया है। इसमें स्कूलों को अपनी फीस के स्ट्रक्चर को अपलोड करना है। इसमें जो सबसे बड़ी परेशानी स्कूलों को आ रही है वह यह है कि पोर्टल पर स्कूल बस फीस और ट्यूशन फीस अलग-अलग दर्ज करने के बावजूद वह सभी को समाहित कर लेता है और उसे पूरी ट्यूशन फीस बता देता हैं। ऐसे में जब स्कूल अपनी बस फीस में वृद्धि होना दर्ज करवाते हैं तो चूंकि पोर्टल उसे भी ट्यूशन फीस के हिस्से में दर्ज कर रहा है तो गलत आंकड़े पेश कर रहा है। इससे ऐसा प्रतीत हो रहा है कि स्कूल निर्धारित 10 प्रतिशत से ज्यादा फीस ले रहे हैं।

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यह भी आ रही है परेशानी

स्कूलों में नए एडमिशन के छात्रों को एडमिशन फीस और कॉशन मनी आदि देनी होती है, लेकिन पुराने छात्रों पर यह नियम लागू नहीं होता है। ऐसी स्थिति में जब स्कूल एक ही कक्षा की अलग-अलग फीस (नए और पुराने छात्रों की) दर्ज करते हैं तो भी वह फीस वृद्धि निर्धारित प्रारूप से ज्यादा बता देता है।

रिमार्क में भी लिखते हैं, फिर भी कोई जवाब नहीं मिलता

स्कूलों का कहना है कि पोर्टल पर एक रिमार्क का ऑप्शन भी होता है। वे उसमें भी स्कूल फीस के सेग्रीगेशन की जानकारी भरते हैं, लेकिन विभाग की तरफ से उस पर भी कोई ध्यान नहीं दिया जाता है। ऐसी स्थिति में स्कूल मैनेजमेंट को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। उनका कहना है कि पोर्टल को अपडेट करने की जरूरत है। 

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यह पत्र लिखा है स्कूलों ने शिक्षा विभाग को

शहर के सीबीएसई स्कूलों के कई प्रिंसिपल ने बताया कि शिक्षा विभाग के पोर्टल के कारण होने वाली परेशानी को लेकर उन्होंने भोपाल के अफसरों को पत्र लिखा है। जिसमें उन्हाेंने पोर्टल की खामियां उजागर की है। सीबीएसई स्कूलों का कहना है कि जब तक इस पोर्टल पर पूरे फीस स्ट्रक्चर को सेग्रीगेट नहीं किया जाएगा, तब तक यह परेशानी हल नहीं होगी।

कुछ स्कूल ही एक साथ ले रहे थे पूरी फीस

शहर के सीबीएसई स्कूलों के प्रिंसीपलाें ने नाम ना छापने के आग्रह पर बताया कि सभी स्कूलों में इस तरह की परेशानी नहीं है। केवल कुछ ही स्कूल ऐसे हैं जहां पर कि ट्यूशन फीस और ट्रांसपोर्ट फीस एक साथ ली जा रही है। ऐसे में वे स्कूल भी अब भोपाल में अफसरों से बात करके इसे ठीक कर रहे हैं। जल्दी ही इस समस्या को सुलझा लिया जाएगा।

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भोपाल के अफसरों को दे दी जानकारी

सहोदया के पूर्व अध्यक्ष और एनी बेसेंट स्कूल के डायरेक्टर मोहित यादव का कहना है कि ट्यूशन फीस और बस फीस को लेकर जो संशय था उसको लेकर भोपाल के अफसरों से चर्चा हो चुकी है। हमारी तरफ से जो भी परेशानियां थीं उसको लेकर जानकारी दे दी गई है। अब भोपाल स्तर से ही आगे की कार्रवाई होगी।

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