काम की खबर : टोल नियमों में हुआ बड़ा बदलाव, अब 20 किलोमीटर तक नहीं देना होगा टोल टैक्स

केंद्र सरकार ने देश के टोल नियमों में बदलाव कर GNSS पर आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम लागू कर दिया है। नए नियमों के अनुसार अब GNSS से लैस निजी वाहनों को 20 किलोमीटर तक टोल टैक्स नहीं देना होगा।

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Sourabh Bhatnagar
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केंद्र सरकार ने टोल नियमों में बड़ा बदलाव किया है। देश में अब ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम ( GNSS ) पर आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम लागू हो गया है। नए नियमों के अनुसार, अब GNSS से लैस निजी वाहनों को 20 किलोमीटर तक टोल टैक्स नहीं देना होगा। दरअसल, नए नियमों में बताया गया है कि वैश्विक नेविगेशन उपग्रह प्रणाली (जीएनएसएस) से लैस निजी वाहनों के मालिकों से राजमार्गों और एक्सप्रेसवे ( Highway and Expressway ) पर रोजाना 20 किलोमीटर तक के सफर के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। एक अधिसूचना ( Notification ) जारी कर सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी है।

अधिसूचना में क्या कहा गया है

इस संबंध में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ( Ministry of Road Transport and Highways ) ने अधिसूचना जारी की है। राष्ट्रीय परमिट ( National Permit ) रखने वाले वाहनों को छोड़कर राष्ट्रीय राजमार्ग का उपयोग करने वाले अन्य वाहन चालकों से  20 किलोमीटर की यात्रा तक कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। जीएनएसएस ( Global Navigation Satellite System ) आधारित उपयोगकर्ता शुल्क संग्रह प्रणाली के तहत यह लागू होगा।

इसके अलावा अधिसूचना में बताया गया है कि इससे अधिक की दूरी तय करने पर वाहन मालिक से जितनी दूरी वह तय करेंगे उसके हिसाब से टोल टैक्स लिया जाएगा। आपको बता दें कि इसमें राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों और संग्रह का निर्धारण) नियम, 2008 में संशोधन किया गया है।

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ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम क्या है?

जीएनएसएस एक तरह का सैटेलाइट सिस्टम है जो गाड़ी की लोकेशन से जुड़ी जानकारी देता है। यह सिस्टम गाड़ी की गतिविधि को ट्रैक करता है और गाड़ियों में लगे ऑन बोर्ड यूनिट (OBU) की मदद से कितना टोल लिया जाना है उसकी गणना करती है। यह सिस्टम FASTag के साथ भी काम करेगा।

कैसे काम करेगा नया सिस्टम 

इस स‍िस्‍टम के तहत वाहनों में ऑन बोर्ड यूनिट (OBU)  लगाई जाएंगी। ये यूनिट ट्रैकिंग डिवाइस की तरह काम करेंगी और गाड़ी की लोकेशन की जानकारी सैटेलाइट को भेजते रहेंगी। सैटेलाइट जानकारी का इस्तेमाल कर गाड़ी की तय की गई दूरी की गणना करेगा। आपको बता दें कि OBU को FASTag की तरह ही सरकारी पोर्टल से खरीदा जा सकेगा। फिलहाल देश में जीएनएसएस से लैस वाहनों की संख्या कम होने के कारण यह व्यवस्था हाइब्रिड मोड पर काम करेगी।

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पायलट प्रोजेक्‍ट का हुआ था ट्रायल 

जुलाई में सड़क परिवहन मंत्रालय ने कहा था कि उसने FASTag के साथ एक अतिरिक्त सुविधा के रूप में चुनिंदा राष्ट्रीय राजमार्गों पर इस सिस्टम को पायलट प्रोजेक्‍ट के आधार पर लागू करने का फैसला किया है। आपको बता दें कि इस प्रोजेक्‍ट के ट्रायल रन बेंगलुरु-मैसूर हाईवे (NH-275) और पानीपत-हिसार (NH-709) पर किए गए थे।

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