भोपाल में बरकतुल्लाह विश्वविद्यालय से जुड़ा एक गंभीर मामला सामने आया है, जिसमें शहीद भगत सिंह शासकीय पीजी महाविद्यालय पिपरिया में एक चपरासी ने हिंदी विषय की उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया। यह मामला तब उजागर हुआ, जब इन कॉपियों की जांच का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिससे उच्च शिक्षा विभाग हरकत में आ गया। जांच में खुलासे के बाद चपरासी व एक अतिथि शिक्षक पर जांच के आदेश देते हुए प्रभारी प्राचार्य डॉ. राकेश कुमार वर्मा एवं डॉ. रामगुलाम पटेल को निलंबित कर दिया गया।
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जांच की कार्रवाई
वीडियो वायरल होने के बाद, उच्च शिक्षा विभाग ने मामले की गंभीरता को समझते हुए तुरंत जांच शुरू की। जांच में यह पता चला कि विश्वविद्यालय ने अपनी उत्तर पुस्तिकाओं को कॉलेज में मूल्यांकन के लिए भेजा था, लेकिन यह जिम्मेदारी एक अतिथि शिक्षक खुशबू पगारे को दी गई थी। उन्होंने इन उत्तर पुस्तिकाओं को एक बुक लिफ्टर राकेश कुमार मेहर को सौंप दिया, जिसे 7 हजार रुपए का भुगतान किया गया था। राकेश कुमार ने फिर पन्नालाल से जांच कराने का सौदा 5 हजार रुपए में किया।
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चपरासी की भूमिका
ठेका मिलने के बाद चपरासी पन्नालाल ने खुद ही उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन किया। इसके बाद, 3 अप्रैल को जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट उच्च शिक्षा विभाग को सौंपते हुए आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की। इस मामले में प्रभारी प्राचार्य डॉ. राकेश कुमार वर्मा और डॉ. रामगुलाम पटेल को निलंबित कर दिया गया।
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नैतिक और कानूनी चिंताएं
यह घटना शिक्षा के क्षेत्र में नैतिकता और विश्वास की समस्या को उजागर करती है। उत्तर पुस्तिकाओं का मूल्यांकन केवल योग्य और प्रमाणित शिक्षकों द्वारा किया जाना चाहिए, न कि कॉलेज के चपरासी द्वारा। इस घटना से यह सवाल उठता है कि क्या शिक्षा के प्रति इतनी लापरवाही से विद्यार्थी के भविष्य को खतरे में डाला जा रहा है।
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