एमपी के कॉलेजों में अब साल में दो बार होंगे एडमिशन, यूजी में फिर से सेमेस्टर सिस्टम लागू

एमपी के कॉलेजों में अब साल में दो बार एडमिशन होंगे। यूजी के कोर्सों के लिए अब फिर से सेमेस्टर प्रणाली लागू होगी। इसके लिए बनाई गई कमेटी ने कई सुझाव दिए हैं।

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Rohit Sahu
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मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) की उच्च शिक्षा (Higher Education) व्यवस्था में एक बड़ा सुधार होने जा रहा है। अब राज्य के कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में साल में दो बार एडमिशन (Admission) की सुविधा मिलेगी पहला सत्र जुलाई/अगस्त में और दूसरा जनवरी/फरवरी तक होगा। इसके साथ ही, स्नातक (UG) पाठ्यक्रमों में फिर से सेमेस्टर प्रणाली (Semester System) को लागू करने की तैयारी है। इस बदलाव की सिफारिश 7 सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति ने की है, जिसकी अध्यक्षता मध्य प्रदेश निजी विश्वविद्यालय विनियामक आयोग के अध्यक्ष डॉ. भरत शरण सिंह ने की।

सेमेस्टर सिस्टम और GER में सुधार

समिति का मानना है कि यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 (NEP 2020) के अनुरूप है और इससे छात्रों को अतिरिक्त अवसर मिलेंगे। साथ ही, यह राज्य के सकल नामांकन अनुपात (GER: Gross Enrollment Ratio) में भी इजाफा करेगा।

अभी है ये व्यवस्था

अभी कॉलेजों में एडमिशन केवल जुलाई/अगस्त में होते हैं साथ ही मई जून में सत्र होता है। हर साल करीब 5 लाख छात्रों का एडमिशन होता है। इस दौरान कई यूनिवर्सिटी सालाना परिक्षा लेते हैं वहीं कहीं कहीं सेमेस्टर लागू है।

अब क्या होगी व्यवस्था

अब साल में 2 बार एडमिशन होंगे। पहला सत्र जुलाई/अगस्त में और दूसरा जनवरी/फरवरी तक होगा। जनवरी सत्र की प्रक्रिया 31 दिसंबर तक पूरी होगी। वहीं जुलाई सत्र की प्रक्रिया 30 जून तक पूरी होगी।

समिति ने सुझाए ये विकल्प

1.सभी गवर्मेंट,नॉन गवर्मेंट पीएम एक्सीलेंस में जनवरी सत्र में एडमिशन व्यवस्था लागू हो जहां पहले से सेमेस्टर प्रणाली है।
2.हर जिले में एक अतिरिक्त कॉलेज चिह्नित किया जाए, पीएमसीओई कॉलेजों को पूल-ए व पूल-बी में बांटा जाए।
3.जनवरी सत्र में दाखिला लेने वाले छात्र ऑनलाइन माध्यम से 50% क्रेडिट अर्जित करें।
4. दो शिफ्ट में कक्षाएं चलाने योग्य कॉलेज चुने जाएं, अलग शिक्षक व स्टाफ नियुक्त किए जाएं।

कब से होगा लागू?

यह नया सिस्टम जनवरी-फरवरी 2026 से पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया जाएगा। शुरुआत में इसे ऑटोनॉमस कॉलेजों में यूजी और पीजी स्तर पर लागू किया जाएगा। हालांकि इसे लागू करने में कई समस्याएं आएंगी।

लागू होने में ये समस्याएं

जैसे की साल में 2 बार परीक्षा होने से अतिरिक्त भार आएगा। इसके लिए ज्यादा से ज्यादा कॉलेजों को ऑटोनॉमस बनाना पड़ेगा। स्टाफ की कमी होगी। नए पदों पर भर्ती करनी होगी। इसके साथ ही ई-कंटेंट की जरूरत भी पड़ेगी।राज्य स्तर पर सभी कोर्स के लिए ई-कंटेंट तैयार करने पड़ेंगे। सहायक स्टाफ की कमी दूर करने के लिए क्लास-2, 3 और 4 के कर्मचारियों की भर्ती करनी पड़ेगी।

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सेमेस्टर सिस्टम का इतिहास

एमपी में 2008-09 यूजी और पीजी में सेमेस्टर सिस्टम लागू रहा। 2017-18 छात्र संगठनों के विरोध के कारण यूजी में हटाया गया अब कुछ कॉलेजों में यह लागू है।

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