लॉ कॉलेजों की मान्यता पर खतरा, फैकल्टी के बिना कोर्स चलाने पर बीसीआई की सख्ती

बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से संबद्ध लॉ कॉलेजों के विधि स्नातक डिग्री के बावजूद अदालतों में प्रेक्टिस नहीं कर पा रहे हैं। वजह बीसीआई यानी बार काउंसिल ऑफ इंडिया की नाराजगी है। क्योंकि काउंसिल इन लॉ स्नातक छात्रों का पंजीयन नहीं कर रही है।

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Sanjay Sharma
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Photograph: (the sootr)

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BHOPAL. बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से संबद्ध लॉ कॉलेजों के विधि स्नातक डिग्री के बावजूद अदालतों में प्रेक्टिस नहीं कर पा रहे हैं। वजह बीसीआई यानी बार काउंसिल ऑफ इंडिया की नाराजगी है। क्योंकि काउंसिल इन लॉ स्नातक छात्रों का पंजीयन नहीं कर रही है। बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से संबद्ध लॉ कॉलेजों में फैकल्टी की कमी को पूरा नहीं करने की वजह से बीसीआई ने सख्त रुख अपना लिया है। इन कॉलेजों में लॉ कोर्स तो चलाए जा रहे हैं लेकिन फैकल्टी तो ठीक स्थायी प्राचार्य तक नहीं हैं। अब वहीं कॉलेजों में विधि पाठ्यक्रम का संचालन भी संकट में है। 

राजधानी भोपाल सहित बैतूल, विदिशा, होशंगाबाद, हरदा, सीहोर, रायसेन और राजगढ़ जिले बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के दायरे में आते हैं। इन जिलों के सरकारी, प्राइवेट और सरकारी मदद से संचालित लॉ कॉलेज बीयू से संबद्ध है। विश्वविद्यालय प्रबंधन की अनदेखी की वजह से इनमें से ज्यादातर प्राइवेट और वित्त पोषित लॉ कॉलेज बीसीआई की गाइडलाइन की अनदेखी कर रहे हैं। ऐसे कॉलेजों में न केवल फैकल्टी का टोटा है बल्कि प्राचार्य तक नहीं हैं। इस वजह से विधि पाठ्यक्रमों में पढ़ाई नहीं हो रही है। छात्र केवल रस्मअदायगी के लिए ही कॉलेज आते-जाते हैं। 

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पंजीयन न होने से मुश्किल में विधि स्नातक 

बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से संबद्धता लेकर लॉ कोर्स चला रहे ऐसे कॉलेजों की शिकायतें लगातार बार काउंसिल ऑफ इंडिया पहुंचती रही हैं। काउंसिल द्वारा कॉलेजों में सुधार के लिए विश्वविद्यालय प्रबंधन को मौका दे चुका है। हांलाकि पूरा सत्र बीतने के बाद भी कॉलेजों द्वारा फैकल्टी का इंतजाम नहीं किया गया। इन कॉलेजों की यह स्थिति भी बीसीआई की नजर में आई है। निर्देशों की अनदेखी पर अब काउंसिल ने सख्त रुख अपनाया है। यही वजह है कि जब इन कॉलेजों से डिग्री हासिल कर छात्र पंजीयन कराने पहुंच रहे हैं तो बीसीआई उन्हें लौटा रही है। जिससे उन्हें वकालत करने का मौका ही नहीं मिल पा रहा। ऐसे छात्रों ने अब हाईकोर्ट की शरण ली है जिसकी सुनवाई अभी जारी है। इस मामले के बाद कॉलेजों की मनमानी और विश्वविद्यालय की अनदेखी चर्चा में है और विधि स्नातक छात्रों को भविष्य की चिंता परेशान कर रही है। 

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फैकल्टी की कमी के बाद भी दी संबद्धता 

राजधानी भोपाल सहित आसपास के आठ जिलों के कॉलेजों में बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से संबद्धता लेकर विधि पाठ्यक्रम चलाए जा रहे हैं। इस कोर्स की अनुमति के लिए बार काउंसिल ऑफ इंडिया द्वारा गाइडलाइन निर्धारित है। इसके तहत फैकल्टी से लेकर अन्य संसाधन भी जरूरी हैं। बीते सालों में बरकत उल्ला विश्वविद्यालय से संबद्धता हासिल करने वाले ये कॉलेज  विधि पाठ्यक्रम के संचालन के लिए जरूरी शर्तों का पालन नहीं कर रहे हैं। यही नहीं विश्वविद्यालय इसे नजरअंदाज कर विधि पाठ्यक्रम में प्रवेश के लिए होने वाली काउंसलिंग में शामिल कर देता है। जिससे उन्हें छात्र मिल जाते हैं। कॉलेजों में सीट फुल हो जाती है और वे फीस भी वसूल लेते हैं, लेकिन छात्रों को पढ़ाने के लिए फैकल्टी नहीं मिलती। 

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बीयू ने की अपने अधिनियम की अनदेखी 

बीयू न केवल संबद्धता लेने वाले कॉलेजों की  मनमानी को नजरअंदाज कर रहा है बल्कि अपने ही अधिनियम को भी अनदेखा कर रहा है। विश्वविद्यालय अधिनियम के कोड-28 के तहत कॉलेजों में असिस्टेंट प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और प्रोफेसरों की नियुक्ति जरूरी है लेकिन प्रोफेसर तो दूर कॉलेजों में नियमित प्राचार्य ही नहीं हैं। विश्वविद्यालय से संबद्धता हासिल करने वाले ऐसे कॉलेजों की जानकारी सामने आने के बाद बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने मान्यता रोक दी है। वहीं मान्यता के बिना ही कई कॉलेजों अगले सत्र में एडमिशन की तैयारी में लग गए हैं। इसको देखते हुए उच्च शिक्षा विभाग ने लॉ काउंसलिंग में शामिल होने के लिए कॉलेजों के पास पहले से ही मान्यता और संबद्धता की शर्त जोड़ दी है। इस शर्त के बाद कई कॉलेजों का बीसीआई की मान्यता के बिना काउंसलिंग में शामिल हो पाना मुश्किल लग रहा है।

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