गांधी सागर वन्यजीव अभ्यारण्य में सीएम डॉ. मोहन यादव ने छोड़े दो चीते पावक और प्रभास

मध्य प्रदेश में वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। कूनो नेशनल पार्क में दो साल बिताने के बाद अफ्रीकी मूल के दो चीते प्रभाष और पावक को गांधी सागर वन्यजीव अभ्यारण्य में बसाया गया है। 

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Sandeep Kumar
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MP News: गांधी सागर वन्यजीव अभ्यारण्य में सीएम मोहन यादव ने दो चीते प्रभाष और पावक छोड़ा है। उन्होंने इसे चीतों के पुनर्वास की दिशा में मील का पत्थर बताया। दरअसल दक्षिण अफ्रीका से फरवरी 2023 में भारत लाए गए प्रभाष और पावक नामक दो चीतों ने कूनो नेशनल पार्क में दो साल बिताए है। इन चीतों को अब गांधी सागर वन्यजीव अभ्यारण्य में छोड़ा गया है। रविवार यानी आज 20 अप्रैल की दोपहर को दोनों चीते यहां पहुंचे और शाम को सीएम मोहन यादव ने उन्हें नए बाड़े में छोड़कर नया इतिहास रचा।

वन्यजीवों के संरक्षण का नया अध्याय: सीएम

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि यह केवल चीतों का स्थान परिवर्तन नहीं, बल्कि भारत में वन्यजीवों के संरक्षण का नया अध्याय है। उन्होंने कहा गांधी सागर क्षेत्र संसाधनों से भरपूर है और यहां की जलवायु और भौगोलिक स्थिति चीतों के लिए अनुकूल है।

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आने वाले हैं और चीते, बढ़ेगा कुनबा

मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि अगले महीने बोत्सवाना से चार और चीते भारत लाए जाएंगे। इसके अलावा केन्या और दक्षिण अफ्रीका से भी चीतों को लाने की योजना है। यह प्रक्रिया भारत में चीतों की संख्या बढ़ाने और उनकी नस्ल को संरक्षित करने के लिए की जा रही है।

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चीतों का भारत आगमन

प्रभाष और पावक दोनों अफ्रीका के वाटरबर्ग बायोस्फीयर रिजर्व के मूल निवासी हैं। इनकी उम्र लगभग 6 साल है। भारत में इनका आगमन चीतों के पुनर्वास और संरक्षण की अंतरराष्ट्रीय परियोजना का हिस्सा है। इनको अफ्रीका से भारत लाया गया था।

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गांधी सागर: चीतों का दूसरा घर

गांधी सागर अभ्यारण्य मध्य प्रदेश के नीमच और मंदसौर जिलों में फैला है। यह क्षेत्र अब प्रदेश में चीतों का दूसरा निवास स्थल बन गया है। कूनो नेशनल पार्क के बाद यह दूसरा वन्यजीव क्षेत्र है जहां चीतों को बसाया गया है। यह स्थान अपने ऐतिहासिक और प्राकृतिक महत्व के लिए भी प्रसिद्ध है। 

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