छतरपुर में आदिवासियों से मारपीट का मामला: 3 पुलिसकर्मी निलंबित, बच गए टीआई साहब

नौगांव थाना पुलिस पर आरोप है कि उन्होंने 4 निर्दोष आदिवासी युवकों को उठाया। उन्हें चोरी के झूठे मामले में फंसाया गया। पुलिस ने उन्हें थाने में घंटों तक बेरहमी से पीटा।

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Sandeep Kumar
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Chhatarpur 3 policemen suspended
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नीरज सोनी@ छतरपुर

मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में पुलिस द्वारा प्रताड़ना के आरोप सामने आए हैं। यह मामला आदिवासी समुदाय से जुड़ा है, जहां नौगांव थाना पुलिस ने 4 आदिवासी युवकों को झूठे आरोपों में फंसा कर बेरहमी से पीटा। छतरपुर एसपी अगम जैन ने तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया और पूरी घटना की जांच के आदेश दिए हैं। बताया जा रहा है कि इस घटना के प्रमुख आरोपी टीआई पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है। इस घटना के बाद आदिवासी समुदाय में नाराजगी बनी हुई है।

झूठे केस में फंसाने का आरोप

नौगांव थाना पुलिस पर आरोप है कि उन्होंने 4 निर्दोष आदिवासी युवकों को उठाया। उन्हें चोरी के झूठे मामले में फंसाया गया। इनमें एक दिव्यांग युवक भी था। पुलिस ने उन्हें थाने में घंटों तक बेरहमी से पीटा। पीड़ितों के परिजनों का कहना है कि उनका चोरी से कोई संबंध नहीं था। फिर भी पुलिस ने उन्हें झूठे आरोपों में फंसाया और मारपीट की।

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तीन दिन तक मारपीट का आरोप

पीड़ितों ने बताया कि पुलिस ने उन्हें घेर कर थाने लाया और फिर बेरहमी से पीटा। जब उन्होंने चोरी के आरोप से इंकार किया, तो पुलिस ने गाली देकर और मारपीट शुरू कर दी। यह सिलसिला तीन दिनों तक चलता रहा। पहले दिन उन्हें थाने में रातभर रखा गया, और अगले दिन चार लोगों को फिर से बुलाकर पीटा गया।

4 प्वांइट्स में समझें पूरी स्टोरी

👉 मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के नौगांव थाना पुलिस पर आरोप हैं कि उन्होंने 4 आदिवासी युवकों को झूठे आरोपों में फंसा कर बेरहमी से पीटा। इनमें एक दिव्यांग युवक भी था।

👉 पीड़ितों ने बताया कि पुलिस ने उन्हें थाने में घेर कर बेरहमी से पीटा। जब उन्होंने चोरी के आरोप से इंकार किया, तो पुलिस ने उन्हें गाली देकर मारपीट जारी रखी। यह सिलसिला तीन दिनों तक चलता रहा।

👉 इस घटना के बाद एसपी ने तीन पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया और जांच के आदेश दिए। हालांकि, प्रमुख आरोपी टीआई के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई।

👉पीड़ितों ने एसडीओपी और एसपी कार्यालय के सामने धरना दिया और न्याय की मांग की। एसपी ने मामले की जांच का आदेश दिया और आदिवासियों को न्याय का भरोसा दिलाया।

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गुप्तांग में मिर्ची डालने का आरोप

मीडिया में मामला सामने आने के बाद विपक्ष और क्षेत्रीय लोगों ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए। पीड़ित आदिवासियों और उनके परिजनों ने एसडीओपी और एसपी कार्यालय पर धरना दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मियों ने उनके साथ अत्याचार किया, एक ने गुप्तांग में मिर्ची डालने का भी आरोप लगाया। हालांकि, एमएलसी में इसका कोई प्रमाण नहीं मिला।

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एसपी ने दिए जांच के आदेश

पीड़ित आदिवासियों ने एसपी से कहा कि वे गरीब हैं, इसलिए पुलिस ने बिना किसी कारण के उनके साथ मारपीट की। धरना देर रात तक जारी रहा और आखिरकार एसपी अगम जैन ने एसडीओपी को जांच के आदेश दिए। इसके बाद आदिवासियों को न्याय का भरोसा दिलाकर घर भेज दिया गया।

निलंबन की कार्रवाई में भेदभाव!

एसपी के निर्देश पर एसडीओपी ने मामले की जांच पूरी की और रिपोर्ट रविवार को एसपी को सौंप दी। मामले की गंभीरता को देखते हुए एसपी अगम जैन ने नौगांव थाने के एएसआई शिवदयाल, प्रधान आरक्षक अरविंद शर्मा और आरक्षक राम जाट को निलंबित कर दिया। हालांकि, प्रमुख आरोपी थाना प्रभारी (टीआई) के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जिससे आदिवासी समाज और जनप्रतिनिधियों में निराशा है।

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