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मप्र बीजेपी में जिलाध्यक्ष और नगराध्यक्ष के लिए मचे घमासान के बीच पार्टी ने उच्च स्तर पर तय हो गया है कि यहां भी छत्तीसगढ़ मॉडल ही लागू किया जाना है। इस तर्ज पर बात करें तो किसी भी जिलाध्यक्ष और नगराध्यक्ष का रिपीट होना बहुत ही मुश्किल है। वहीं जिन्हें लंबा समय हो गया है वह पद से विदा हो रहे हैं। इंदौर महानगर अध्यक्ष का पांच साल से कार्यकाल संभाल रहे गौरव रणदिवे की विदाई तय हो गई है।
छत्तीसगढ़ मॉडल में क्या है
- वहां महिलाओं को भी 35 में से तीन जगह जिलाध्यक्ष कमान दी गई।
- एसटी, एससी व अन्य वर्ग को भी संतुलन साधा गया है और सभी को मौका मिला।
- संगठन में ही सक्रिय रहने वालों को खासकर महामंत्री को प्रमोट किया गया है।
- परिवार वाद पूरी तरह से दरकिनार, किसी खास के परिजनों को पद रिपीट नहीं किया गया है और नए चेहरों को लेकर जो संगठन में सक्रिय है उन्हें मौका दिया गया।
BJP जिलाध्यक्षों की नियुक्ति में बदलाव! नए चेहरों को मिलेगा मौका
इंदौर में रणदिवे नहीं तो फिर कौन
यदि छत्तीसगढ़ में सबसे बड़े महानगर रायपुर की बात करें तो वहां सभी दबाव प्रभाव को परे करते हुए संगठन महानगर मंत्री को आगे बढ़ाया गया है। अन्य जिलों में भी पार्टी ने वहां पर संगठन के ही लोगों को प्रमोशन दिया है और उन्हें जिलाध्यक्ष, नगराध्यक्ष पद सौंपे गए हैं। किसी भी बड़े नेता के दबाव को दरकिनार किया गया है। इंदौर की बात करें तो यहां पर नगर महामंत्री में संदीप दुबे, सुधीर कोल्हे और सविता अखंड हैं। इसमें से सुधीर कोल्हे का नाम रायशुमारी में भी गया था। वहीं रायशुमारी की बात करें और युवा नेतृत्व की तो फिर दीपक टीनू जैन और सुमित मिश्रा का नाम रायशुमारी में सबसे आगे रहा है। वहीं अभिषेक बबलू शर्मा का नाम भी दौड़ में शामिल है।
महामंत्री तो सक्रिय ही नहीं रहे
हालांकि, इंदौर की बात करें तो यहां महामंत्री को पद मिलना मुश्किल है। कारण है कि संदीप दुबे पार्षद पति बनने के बाद बीजेपी दफ्तर से दूर हो गए, तो वहीं सुधीर कोल्हे विधानसभा दो से बाहर ही नहीं निकले और सविता अखंड की अपनी कार्य सीमाएं थीं। ऐसे में संगठन में ही सक्रिय अन्य नेता को मौका मिलने की पूरी संभावना है और फिर ऐसे में टीनू जैन आगे निकल रहे हैं।
चिंटू वर्मा के लिए भी आसान नहीं राह
उधर, ग्रामीण जिलाध्यक्ष इंदौर में भले ही चिंटू वर्मा केवल 9 माह पहले ही पद पर आए हैं लेकिन उनका रिपीट होना इतना आसान नहीं होने वाला है। मंत्री तुलसी सिलावट ने पेंच तो फंसाया ही है। वहीं मंत्री कैलाश विजयवर्गीय गुट के होने के चलते विधायक उषा ठाकुर, विधायक मनोज पटेल ने भी चिंटू के लिए कम चुनौतियां नहीं पेश की है। ऐसे में यहां भी कोई नया चेहरा दिख जाए तो कोई बड़ी बात नहीं होगी।
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