मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत ने उज्जैन नगर निगम की कार्यशैली पर सख्त टिप्पणी की है। एक भुगतान नहीं किए जाने पर उन्होंने कहा कि महाकाल की नगरी में ही अकाल ढा रहे हो। यहां तक कहा कि यदि उज्जैन नगर निगम के पास फंड नहीं है, जैसा वह बता रहे हैं तो मप्र सरकार को इसे लेना चाहिए और टेक केयर करना चाहिए।
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इसलिए सख्त हुए सीजे
चीफ जस्टिस सुरेश कैत और जस्टिस एसए धर्माधिकारी की बेंच में मंगलवार को मेसर्स विमल जैन विरूद्ध मप्र शासन पीएस नगरीय विभाग व उज्जैन नगर निगमायुक्त के खिलाफ केस की सुनवाई हुई। जैन की ओर से अधिवक्ता लकी जैन ने तर्क रखे। उन्होंने कहा कि चार साल में भी उज्जैन निगम ने उनके काम के 70 लाख रुपए नहीं दिए हैं। इस पर बेंच ने कहा कि उज्जैन महाकाल की नगरी है और वहीं अकाल डाल रहे हो। इस पर तर्क दिया गया कि फंड की कमी है। इस पर बेंच ने कहा कि यदि ऐसा है तो फिर मप्र सरकार को उज्जैन निगम को ले लेना चाहिए और उन्हें इसका ध्यान रखना चाहिए। अधिवक्ता जैन के साथ ही अधिवक्ता निमेष पाठक भी याचिकाकर्ता की ओर से उपस्थित थे।
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फिर आपको तो वेतन मिल रहा है
जस्टिस ने यह भी कहा कि आप लोगों को तो वहां से वेतन मिल रहा है। इसमें तो कोई समस्या नहीं आ रही है फिर गरीब व्यक्ति की राशि क्यों रोकी जा रही है। चार सप्ताह में इसका क्रियान्वयन करें, अन्यथा निगमायुक्त के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई की जाएगी।
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यह है मामला
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता जैन और पाठक ने बताया कि फरियादी मेसर्स विमल जैन की ओर से नीलेश जैन की यह याचिका थी। उज्जैन नगर निगम ने गंधर्व तालाब के सौंदर्यीकरण का काम का टेंडर इन्हें दिया था, 70 लाख का काम दे दिया फिर निगम ने काम रोककर इसे स्मार्ट सिटी को दे दिया। लेकिन चार साल से काम की 70 लाख राशि नहीं दी। इसे लेकर याचिका लगाई गई थी जिस पर हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी औपचारिक ऑर्डर आना शेष है।
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