PM मोदी और राष्ट्रपति से चीफ जस्टिस की शिकायत, जानें क्या है मामला

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट बार काउंसिल के सदस्य रविंद्र नाथ त्रिपाठी ने यह शिकायत की है। उनका कहना है कि चीफ जस्टिस के बंगले में स्थित यह मंदिर प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व का है। मंदिर न्यायपालिका के वरिष्ठ सदस्यों के लिए पूजा-अर्चना का स्थान रहा है।

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Neel Tiwari
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जबलपुर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के निवास पर एक प्राचीन मंदिर को तोड़े जाने की शिकायत हुई है। हाईकोर्ट बार काउंसिल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया संजीव खन्ना को इसकी शिकायत की है। आरोप है कि चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत के बंगले में बना हनुमान मंदिर तोड़ा गया है। इस मामले ने नई बहस को जन्म दे दिया है।

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट बार काउंसिल के सदस्य रविंद्र नाथ त्रिपाठी ने यह शिकायत की है। उनका कहना है कि चीफ जस्टिस के बंगले में स्थित यह मंदिर प्राचीन और ऐतिहासिक महत्व का है। मंदिर न्यायपालिका के वरिष्ठ सदस्यों के लिए पूजा-अर्चना का स्थान रहा है। 'द सूत्र' ने जब त्रिपाठी से पूछा कि क्या आपने मंदिर टूटा हुआ देखा है, तो इस पर उन्होंने कहा कि मैं कभी वहां नहीं गया, लेकिन जो लोग वहां जाते रहते हैं, उन्होंने इसकी जानकारी दी है। इसी आधार पर उन्होंने शिकायत की है। 

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पूर्व चीफ जस्टिस करते थे इसी मंदिर में पूजा

शिकायत में बताया गया है कि इस मंदिर में हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस शरद बोबडे, एम.खानविलकर और हेमंत गुप्ता नियमित पूजा करते थे। इन सभी ने बाद में सर्वोच्च न्यायालय में जज के रूप में अपनी सेवाएं दीं। जस्टिस खानविलकर भारत के लोकपाल भी बने। इस तरह शिकायत में बताया गया कि इस मंदिर का ऐतिहासिक महत्व है।

इस मंदिर को बताया धार्मिक एकता का उदाहरण

शिकायत में यह भी कहा गया है, मंदिर का महत्व इतना है कि जब चीफ जस्टिस के पद पर जब रफत आलम और रफीक अहमद रहे, तब भी मंदिर में पूजा-अर्चना होती रही। दोनों चीफ जस्टिस ने कभी इस धार्मिक स्थल पर आपत्ति नहीं जताई, बल्कि धार्मिक सहिष्णुता का उदाहरण प्रस्तुत किया। शिकायत में यह भी कहा गया है कि यह मंदिर सरकारी संपत्ति का हिस्सा है और इसका पुनर्निर्माण समय-समय पर सरकारी राशि से होता रहा है। 

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हाई लेवल जांच की मांग

हाईकोर्ट बार काउंसिल के अध्यक्ष डीके जैन ने 'द सूत्र' को बताया कि यह मंदिर वर्षों पुराना है। हमेशा से यह चीफ जस्टिस के बंगले में स्थित है, लेकिन अब इस मंदिर को तोड़ दिए जाने के बाद मामले को दबाने के लिए यह कहा जा रहा है कि यहां कभी मंदिर था ही नहीं, जबकि इसका साक्ष्य कई कर्मचारी और पूर्व चीफ जस्टिस रहे हैं। अब शिकायत में इस मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की गई है। साथ ही यह भी अनुरोध किया गया है कि घटना की वास्तविक स्थिति को सार्वजनिक किया जाए, ताकि अधिवक्ताओं और जनता के बीच व्याप्त आक्रोश और आशंकाओं का समाधान हो सके।

हाईकोर्ट में लंबित है थानों में बने हनुमान मंदिरों का मामला

गौरतलब है कि जबलपुर हाइकोर्ट में एक अन्य मामला भी चल रहा है, जिसमें प्रदेश के पुलिस थानों में बने हनुमान मंदिरों के निर्माण पर सवाल उठाए गए हैं। याचिकाकर्ता ने दावा किया है कि ये मंदिर सरकारी जमीन पर बनाए गए हैं, जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के खिलाफ हैं। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से इस संबंध में जवाब मांगा है। साथ ही थानों परिसरों में धार्मिक स्थलों पर निर्माण पर रोक लगा दी गई है। इस मामले में मध्यप्रदेश बार काउंसिल ने भी हस्तक्षेप किया है।

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