BHOPAL. नगरीय निकायों में विवादित कामों की फेहरिस्त छोटी होने का नाम ही नहीं ले रही है। नियमों को ताक पर रखकर भवन निर्माण की अनुमति देना हो या फिर टाउन एंड कंट्री प्लानिंग से नक्शा पास कराए बिना चल रहे निर्माण कार्यों की अनदेखी, भोपाल नगरनिगम भी कारनामों से अछूता नहीं है। गड़बड़झालों की इसी फेहरिस्त में ताजा विवाद भोपाल की पॉश कॉलोनी में निर्माण की अनुमति देने से जुड़ा है। नगर निगम के जिम्मेदार इंजीनियरों ने टीएंडसीपी के नियमों की परवाह किए बिना ही दानिश कुंज में ओपन लैंड पर भवन निर्माण की अनुमति जारी कर दी। हांलाकि फर्जीवाड़ा पकड़ में आने के बाद अनुमति निरस्त कर दी गई है।
सिटी प्लानर ने पकड़ी हेराफेरी
शहर की पॉश कॉलोनी दानिश कुंज में करीब डेढ़ एकड़ ओपन लैंड है। ओपन लैंड पर भवन निर्माण की अनुमति का मामला साल 2021 से चल रहा है। इस आवेदन को पूर्व में भी खारिज किया जा चुका है। इसके बावजूद प्रकरण को नए सिरे से दोबारा अनुमति के लिए भेजा गया लेकिन चीफ सिटी प्लानर अनूप गोयल ने इसे निरस्त कर दिया था। अप्रेल 2025 में चीफ सिटी प्लानर के अवकाश पर जाने के बाद भोपाल नगर निगम के इंजीनियर नंदकिशोर डेहरिया और अजय राजावत ने इसी प्रकरण को प्रभारी सिटी प्लानर के सामने पेश कर इसे स्वीकृत करा लिया। हांलाकि 5 मई को चीफ सिटी प्लानर वापस लौटे तो इंजीनियरों की कारस्तानी उनकी पकड़ में आ गई। गोयल ने इंजीनियरों के इस फर्जीवाड़े की जानकारी निगम आयुक्त सहित अधिकारियों को दी जिसके बाद अनुमति को निरस्त कर दिया गया।
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निर्माण से बिगड़ रहा ईको सिस्टम
ओपन लैंड पर निर्माण अनुमति को लेकर पहले भी गड़बड़ी सामने आ चुकी है और ईओडब्ल्यु में जांच जारी है। वहीं अब फर्जी हस्ताक्षर के जरिए भवन निर्माण शाखा द्वारा ओपन लैंड को बंधक मुक्त करने की अनुमति जारी करने पर शाहजहांनाबाद थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई गई है।भोपाल में कॉलोनाइजर और बिल्डर्स की नजरें ऐसी जमीनों पर हैं। नियम विरुद्ध ग्रीन बेल्ट, ओपन लैंड, मार्जिनल और फ्लोर एरिया में भवन निर्माण की अनुमति के मामले लगातार सामने आते रहे हैं। ऐसे बेहिसाब मामलों में ईओडब्ल्यू, पुलिस और विभागीय स्तर पर कई जांचें जारी हैं। कॉलोनियों में बंधक भूमि पर निर्माण की वजह से ईको सिस्टम भी प्रभावित हो रहा है।
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करोड़ों की जमीन पर सबकी नजर
बीते चार सालों से ओपन लैंड पर स्कूल भवन के निर्माण की कोशिश की जा रही है। निर्माण की अनुमति को दो बार चीफ सिटी प्लानर पहले ही निरस्त कर चुके हैं। इसके बावजूद करोड़ों कीमत की इस जमीन से मोहभंग नहीं हो रहा है। भवन निर्माण की अनुमति की कोशिश में असफल रहने के बाद अब नगर निगम के इंजीनियर और भवन निर्माण शाखा के अधिकारियों से भी साठगांठ की गई है, हांलाकि चीफ सिटी प्लानर की नजरों से ये फर्जीवाड़ा छिप नहीं पाया और खुलासा होने से निर्माण की कोशिश फिर अटक गई है।