सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है, जिसमें सिविल जज (Civil Judge) भर्ती के लिए तीन साल की अनिवार्य कानूनी प्रैक्टिस (Legal Practice) की शर्त के आधार पर भर्ती प्रक्रिया पर रोक लगा दी गई थी। यह विवाद तब शुरू हुआ जब हाई कोर्ट (High Court) ने संशोधित पात्रता नियमों (Eligibility Rules) को लागू करने के बाद भर्ती प्रक्रिया को स्थगित कर दिया था।
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यह था संशोधित भर्ती नियमों का विवाद
जून 2023 में मध्य प्रदेश न्यायिक सेवा (Madhya Pradesh Judicial Service) के भर्ती और सेवा शर्तों के नियम, 1994 में संशोधन किया गया था। इसके तहत सिविल जज प्रवेश-स्तर की परीक्षा (Entry-Level Examination) में बैठने के लिए उम्मीदवारों के लिए न्यूनतम तीन साल की कानूनी प्रैक्टिस अनिवार्य की गई थी।
हालांकि, इस संशोधन को शुरू में हाई कोर्ट ने बरकरार रखा था। लेकिन, जब दो असफल उम्मीदवार, ज्योत्सना डोहलिया (Jyotsna Dholia) और वर्षा श्रीवास्तव (Varsha Srivastava), ने तर्क दिया कि नए नियम उन्हें पात्र बना देंगे, तो उन्होंने इसके खिलाफ अपील दायर की गई और कट-ऑफ अंकों (Cut-off Marks) की समीक्षा की मांग की। इसके परिणामस्वरूप भर्ती प्रक्रिया पर विवाद और बढ़ गया।
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हाई कोर्ट का आदेश
13 जून 2024 को हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि प्रारंभिक परीक्षा (Preliminary Examination) पास करने वाले सभी उम्मीदवार, जो नए पात्रता नियमों को पूरा नहीं करते, उन्हें बाहर कर दिया जाए। इस आदेश का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि भर्ती प्रक्रिया संशोधित नियमों के अनुसार हो।
सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया
सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश पर प्रतिक्रिया देते हुए हाई कोर्ट के इस आदेश पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस निर्णय से भर्ती प्रक्रिया अस्थायी रूप से निलंबित हो गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की अपील को ध्यान में रखते हुए यह आदेश दिया कि जब तक अंतिम निर्णय नहीं आ जाता, तब तक भर्ती प्रक्रिया पुनः शुरू हो सकती है।
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उम्मीदवारों की याचिका
मुख्य परीक्षा (Main Examination) में आगे न बढ़ पाने के कारण, उम्मीदवार ज्योत्सना डोहलिया और वर्षा श्रीवास्तव ने 25 मई 2024 को एक समीक्षा याचिका (Review Petition) दायर की थी। इसे हाई कोर्ट ने स्वीकार कर लिया था। इसके बाद, हाई कोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया को रोकने का आदेश दिया, जिससे भर्ती प्रक्रिया को फिर से निलंबित कर दिया गया।
उच्च न्यायालय का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगाते हुए उच्च न्यायालय की व्याख्या के खिलाफ तर्क दिया कि संशोधित कट-ऑफ अंकों के आधार पर नई मुख्य परीक्षा आयोजित करने से उम्मीदवारों के लिए समान अवसर बाधित होंगे। इस निर्णय ने विवाद को और जटिल बना दिया।
पुनः चालू होगी भर्ती प्रक्रिया
इस निर्णय के बाद, सिविल जज के पदों पर भर्ती की प्रक्रिया अब सुप्रीम कोर्ट के अंतिम निर्णय तक पुनः चालू हो जाएगी। न्यायमूर्ति हृषिकेश रॉय (Justice Hrishikesh Roy) और एसवीएन भट्टी (SVN Bhatti) ने हाई कोर्ट के आदेश को निलंबित करते हुए कहा कि सभी पक्षों से उचित जवाब की प्रतीक्षा की जाएगी।
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