नियमों को ताक पर रखकर तैयार किया गया था जहरीला कोल्ड्रिफ कफ सिरप, कंपनी को लेकर हुआ बड़ा खुलासा

मध्य प्रदेश में कोल्ड्रिफ कफ सिरप से 15 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई है। इसे तमिलनाडु की श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स कंपनी बना रही थी। अब कंपनी को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है।

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Dablu Kumar
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Bhopal. कोल्ड्रिफ कप सिरप से मध्यप्रदेश में 15 से ज्यादा बच्चों की मौत हो गई है। तमिलनाडु की एक कंपनी श्रीसन फार्मास्यूटिकल्स यह जहरीला कफ सिरप बना रही थी। अब कंपनी के बारे में बड़ा खुलासा हुआ है। जहां दवा की गुणवत्ता के सारे मानकों को नजरअंदाज किया जा रहा था। यह सिरप कांचीपुरम में एक छोटी सी फैक्ट्री में बनता था, जो सिर्फ 2000 वर्ग फीट में फैली थी, यानी एक बड़े 3 बीएचके फ्लैट जितनी जगह में। इस छोटी सी जगह में कंपनी 60 से ज्यादा प्रोडक्ट बना रही थी।

इसके बावजूद फैक्ट्री का कभी भी ठीक से निरीक्षण या परीक्षण नहीं किया गया। यहां से बने सिरप की सप्लाई पूरे देश में की जा रही थी। इस फैक्ट्री को रंगनाथन नामक व्यक्ति चला रहा था, जो कंपनी का मालिक और डायरेक्टर भी है, और अब वह फरार है। तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल विभाग उसकी तलाश कर रहा है।

फैक्ट्री में बहुत से मशीन में लग चुके थे जंग

एक अखबार में छपी खबर के मुताबिक, फैक्ट्री में बहुत से उपकरण में जंग लग चुके थे और कर्मचारियों को कोई ट्रेनिंग नहीं दी गई थी। फैक्ट्री में माइक्रोबायोलॉजी लैब भी नहीं थी, जो दवा बनाने के लिए जरूरी होती है। इसके अलावा क्वालिटी कंट्रोल लैब के लिए जगह भी काफी कम थी।

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 कोल्ड्रिफ कंपनी को लेकर खुलासा वाली खबर पर एक नजर

  1. कोल्ड्रिफ कफ सिरप से 18 बच्चों की मौत: मध्य प्रदेश में जहरीला कफ सिरप पीने से 18 बच्चों की मौत हो गई, जिसे तमिलनाडु की श्रीसन फार्मास्युटिकल्स कंपनी बना रही थी।

  2. फैक्ट्री की खराब स्थिति: कांचीपुरम में स्थित इस कंपनी की फैक्ट्री सिर्फ 2000 वर्ग फीट में थी, जहां 60 से ज्यादा प्रोडक्ट बन रहे थे। यहां का निरीक्षण कभी ठीक से नहीं हुआ था और कई मशीनों पर जंग लग चुका था।

  3. फैक्ट्री के मालिक फरार: कंपनी के मालिक और डायरेक्टर रंगनाथन फरार हैं, और तमिलनाडु ड्रग कंट्रोल विभाग उनकी तलाश कर रहा है।

  4. कंपनी का कानूनी इतिहास: 2009 में श्रीसन फार्मास्युटिकल्स को कानूनी रूप से बंद कर दिया गया था, लेकिन 2011 में रंगनाथन ने नया लाइसेंस लेकर कंपनी को फिर से शुरू किया।

  5. दवा कंपनी के लिए जगह का नियम: भारत में दवा कंपनी खोलने के लिए कम से कम 30 वर्ग मीटर जगह जरूरी होती है, और 2023 की नई गाइडलाइन में वेंटिलेशन, सफाई और जगह को अलग करने पर जोर दिया गया है। 

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कई उपकरणों पर जंग लगने के बाद श्रीसन फार्मास्युटिकल्स को 2009 में कानूनी रूप से बंद कर दिया गया था। फिर कंपनी ने अपना नाम बदलकर फिर से काम शुरू कर लिया। 

2009 में बंद हुई थी कंपनी

रंगनाथन पफाले श्रीसन फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड नाम की कंपनी चलाते थे। यह कंपनी 1990 में कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय में पंजीकृत हुई थी। कंपनी की आखिरी बैठक 2009 में हुई थी और मंत्रालय के पोर्टल पर इसका स्टेटस स्ट्राइक ऑफ यानी कानूनी रूप से बंद था। जब किसी कंपनी को स्ट्राइक ऑफ किया जाता है, तो उसे फिर से शुरू करने के लिए एनसीएलटी से मंजूरी लेनी पड़ती है।

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2011 में फिर शुरू हुई कंपनी

इसके बाद 2011 में रंगनाथन ने नया लाइसेंस लेकर श्रीसन फार्मास्युटिकल्स मैन्युफैक्चर के नाम से कंपनी को फिर से शुरू किया। यह लाइसेंस हर साल रिन्यू होता रहा। कंपनी का कारोबार तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान और पुडुचेरी में मुख्य रूप से चलता था। 

क्या कहता है नियम 

भारत में ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट, 1940 के तहत दवा कंपनियों के लिए जगह की कुछ नियम तय किए गए हैं। इसके अनुसार टैबलेट और सिरप बनाने के लिए 30 वर्ग मीटर, क्रीम बनाने के लिए 25 वर्ग मीटर और इंजेक्शन जैसी स्टेराइल यूनिट के लिए 50 वर्ग मीटर जगह जरूरी होती है। इसका मतलब यह है कि अगर आपके पास एक हॉल जितनी जगह हो, तो आप कोल्ड्रिफ कफ सिरप (Coldrif Cough Syrup) दवा कंपनी शुरू कर सकते हैं।

हालांकि, तमिलनाडु की दवा कंपनी इतनी कम जगह पर 60 से ज्यादा दवा प्रोडक्ट्स तैयार किए जा रहे थे। 2023 की नई गाइडलाइन में वेंटिलेशन, सफाई और जगह को अलग करने पर ध्यान दिया गया है। 250 करोड़ रुपये तक के टर्नओवर वाली छोटी कंपनियों को इन नियमों को लागू करने के लिए 31 दिसंबर 2025 तक की छूट दी गई है।

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