इंदौर में कॉलोनी विकास मंजूरी सिस्टम ( Colony Development Approval ) को ट्रैक पर लाने के बाद कलेक्टर आशीष सिंह ( Collector Ashish Singh ) ने क्रेडाई के साथ नियमित बैठक कर समस्याओं को सुनने और उसे दूर करने की पहल की है। इसी के तहत बुधवार को भी क्रेडाई के साथ बैठक हुई।
इसमें रियल सेक्टर के हिसाब से कई अहम बिंदुओं पर चर्चा हुई और सहमति बनी। बैठक में कलेक्टर सिंह, कॉलोनी सेल के प्रभारी अपर कलेक्टर गौरव बैनल, जिला पंचायत सीईओ सिदार्ध जैन के साथ क्रेडाई प्रेसीडेंट संदीप श्रीवास्तव, सचिव अतुल झंवर व अन्य उपस्थित थे।
दो फीसदी चरनोई में सशर्त देंगे मंजूरी
हाल के समय में कॉलोनी में रोड को लेकर कलेक्टर सिंह और कॉलोनी सेल ने सख्ती दिखाई है। यह पुरानी समस्या रही है, जिसमें बिना रोड प्रावधान के ही मंजूरी जारी होती रही है, जो अब रुक गई है। इसमें गांव मे दो फीसदी चरनोई जमीन की उपलब्धता को लेकर रिपोर्ट मांगी जा रही है, रिकार्ड में मद परिवर्तन किया जा रहा है। पटवारी रिपोर्ट जिसमें पॉजीटिव लग चुकी है, इसमें तय हुआ है कि कॉलोनी सेल सशर्त मंजूरी जारी करेगा।
रिकार्ड में मद परिवर्तन की प्रक्रिया चलती रहेगी, लेकिन इसके चलते विकास मंजूरी फाइल को रोका नहीं जाएगा। वहीं जहां पर दो फीसदी चरनोई नहीं है, वहां के लिए क्या सिस्टम होगा इस पर इस पर अभी और चर्चा की जाएगी। क्रेडाई ने कहा कि मास्टर प्लान में तो चरनोई का जिक्र ही नहीं है। वहां आवासीय, कमर्शियल, ग्रीन बेल्ट ही है। ऐसे में मंजूरी रूक जाएगी। कलेक्टर ने इस पर फिर विचार कर आगे बढ़ने की बात कही।
कमी रह गई तो फिर प्रेजेंटेशन की जरूरत नहीं हो
क्रेडाई ने यह भी कहा कॉलोनी विकास, कार्यपूर्णता के लिए बैठक होती है, प्रेजेंटेशन होता है। इसमें यदि कोई कमी पाई जाती है तो इसे फाइल में नोट करा दिया जाए। साथ ही मेंसन हो जाए कि यह कमी पूरी कर लें तो यह विकास मंजूरी, पूर्णता जारी हो जाए। इसके लिए फिर से फाइल को प्रेजेंटेशन में रखने की जरूरत नहीं हो। कलेक्टर ने इस बात पर भी सहमति दी।
लॉटरी की जरूरत नहीं, नियम में ही नहीं है
क्रेडाई की ओर से यह भी बात रखी गई कि कॉलोनी में ईडब्ल्यूएस, एलआईजी ग्रुप के लिए प्लाट होते हैं, लेकिन इनकी बिक्री में पहले ही समस्या आती है। इसमें लॉटरी सिस्टम लागू किया हुआ है, जो नियम में ही नहीं है। वहीं जो व्यक्ति इसे बुक करता है, लॉटरी में दूसरा प्लाट निकलता है तो वह खरीदता ही नहीं, इसलिए ल़ॉटरी, ड्रा सिस्टम को बंद किया जाना चाहिए। इस पर भी सहमति बन गई।
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सरपंच कोई भवन मंजूरी देता है कोई नहीं देता
यह भी बात उठी कि जिस तरह कलेक्टोरेट का कॉलोन सेल के काम में एकरूपता है, उसी तरह से पंचायतों में भी हो। कोई पंचायत भवन अनुज्ञा, उपभोग प्रमाण पत्र जारी करता है और कोई मना कर देता है। ऐसे में हर पंचायत अपने अलग नियम चलाती है।
इस पर कलेक्टर ने सीईओ जैन को काम कर सिस्टम डेवलप करने के लिए कहा जिससे कोई समस्या नहीं हो और काम में एकरूपता आए। इसके साथ ही कॉलोनी सेल से से बड़े सर्कुलेशन वाले समाचार पत्रों में प्रारूप विज्ञप्ति जारी कराने की आ रही मौखिक शर्त पर भी राहत दी, सामान्य में भी कॉलोनाइजर इसे प्रकाशित कर सकता है।
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