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जबलपुर। मध्य प्रदेश में वाणिज्यकर निरीक्षक और कराधान सहायक (tax assistant) की भर्ती प्रक्रिया में भारी धांधली और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों के बाद, जबलपुर हाईकोर्ट ने इस मामले में हस्तक्षेप किया है। हाईकोर्ट ने भर्तियों को याचिका के निर्णयाधीन कर दिया है। जिसके अनुसार अब इस भर्ती प्रक्रिया में की गई नियुक्तियों इस याचिका के फैसले पर निर्भर करेंगी। हाईकोर्ट ने वाणिज्यकर विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों सहित नए नियुक्त किए गए अभ्यर्थियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
क्या है मामला?
मध्य प्रदेश वाणिज्यकर विभाग ने सीमित विभागीय प्रतियोगिता परीक्षा -2023 के तहत 219 पदों पर भर्ती के लिए 5 अक्टूबर 2023 को विज्ञापन जारी किया था। परीक्षा 9 दिसंबर 2023 को हुई और परिणाम 9 जनवरी 2024 को घोषित किया गया। लेकिन इसके बाद अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के कई गंभीर आरोप सामने आए हैं।
1. आरक्षण नियमों का उल्लंघन: कई ऐसे अभ्यर्थी, जिन्होंने सामान्य वर्ग में आवेदन किया था, उन्हें बाद में EWS (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) कोटे में नियुक्ति दी गई, जबकि उनके प्रमाणपत्र कट-ऑफ तिथि के बाद के थे।
2. अवैध रूप से आवेदन में बदलाव: कई अभ्यर्थियों ने कराधान सहायक पद के लिए आवेदन किया था, लेकिन अयोग्य होने के बावजूद उन्हें ऑफलाइन आवेदन बदलकर वाणिज्यकर निरीक्षक पद पर नियुक्ति दे दी गई।
3. प्रतीक्षा सूची में हेरफेर: कुछ अभ्यर्थियों को नियमों के विरुद्ध प्रतीक्षा सूची में भी शामिल कर दिया गया, जबकि जिन्हें इसमें होना चाहिए था, उन्हें बाहर कर दिया गया।
4. भर्ती से पहले प्रश्नपत्र लीक: आरोप है कि वाणिज्यकर आयुक्त कार्यालय में तैनात अधिकारियों ने अपने चहेते अभ्यर्थियों को परीक्षा से पहले प्रश्नपत्र उपलब्ध कराया, जिससे उन्होंने मेरिट सूची में ऊँचा स्थान हासिल किया।
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याचिकाकर्ताओं ने लगाए गंभीर आरोप
इस भर्ती घोटाले के खिलाफ टिकमगढ़ निवासी मनोज कुमार ताम्रकार, सागर निवासी संतोष कुमार साहू और दमोह निवासी सहर वानो ने याचिका क्रमांक 19919/2024 दायर की। चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैत और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने इस पर प्रारंभिक सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, रामभजन लोधी और विनायक प्रसाद शाह ने पैरवी की।
हाईकोर्ट ने किया जवाब तलब
कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए भर्तियों को याचिका के निर्णयाधीन कर दिया और शासन सहित अधिकारियों और नए नियुक्त हुए अभ्यार्थियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। हाई कोर्ट के द्वारा दिए गए निर्णय के अनुसार अब इस याचिका पर आने वाले निर्णय पर ही इन नियुक्तियों का फैसला हो सकेगा। कोर्ट ने मध्य प्रदेश शासन, सामान्य प्रशासन विभाग, प्रमुख सचिव, वाणिज्यकर विभाग, आयुक्त, वाणिज्यकर, इंदौर, एमपी ऑनलाइन (MP Online), स्वतंत्र कुमार सिंह (आयुक्त, वाणिज्यकर), नारायण मिश्रा (एडिशनल कमिश्नर, वाणिज्यकर) सहित 6 नए नियुक्त किए गए वाणिज्यकर निरीक्षको को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
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मुश्किल में फंसी एक और भर्ती प्रक्रिया
हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद यह साफ हो गया है कि भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी के आरोप गंभीर हैं और सरकार एवं वाणिज्यकर विभाग को अब कोर्ट में इसका जवाब देना होगा।यदि जांच में आरोप सिद्ध होते हैं, तो भर्ती रद्द की जा सकती है और दोषी अधिकारियों एवं अभ्यर्थियों के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है। आपको बता दें कि पहले से ही वाणिज्यकर आयुक्त स्वतंत्र कुमार सिंह और एडिशनल कमिश्नर नारायण मिश्रा पर भ्रष्टाचार के आरोप हैं, और अब भर्ती घोटाले में उनकी संलिप्तता पर भी सवाल उठ रहे हैं। इस भर्ती घोटाले ने मध्य प्रदेश की सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता को लेकर कई सवाल खड़े कर दिए हैं। हाईकोर्ट की सख्ती से साफ है कि अब सरकार को इस मामले में जवाब देना ही होगा। आगे की सुनवाई और जांच रिपोर्ट पर इस भर्ती प्रक्रिया का भविष्य निर्भर करेगा।
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