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जबलपुर में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलगुरु द्वारा महिला अधिकारी को प्रताड़ित करने के मामले में एक नया मोड़ सामने आया है। जहां महिला अधिकारी की शिकायत के बाद कार्यवाही सुनिश्चित करने के आदेश जारी हुए थे लेकिन उन आदेशों को नजरअंदाज कर कोई भी कार्यवाही नहीं की गई। पीड़ित महिला के द्वारा हाईकोर्ट में याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई गई।
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महिला अधिकारी से छेड़छाड़ का मामला
जबलपुर में रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो राजेश वर्मा पर एक वरिष्ठ महिला अधिकारी ने छेड़छाड़ करने, अभद्र इशारे गंभीर आरोप लगाए गए थे। जिससे परेशान होकर महिला अधिकारी के द्वारा मध्य प्रदेश के राज्यपाल सहित राज्य के उच्च शिक्षा विभाग ,महिला आयोग एवं राज्य विश्वविद्यालयीन सेवा अधिकारी संघ में पत्र लिखकर इस मामले में शिकायत की थी। कहीं से भी न्याय न मिलने के कारण अब महिला अधिकारी ने हाईकोर्ट की शरण ली है।
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शिकायत पत्र में लगाए गंभीर आरोप
महिला अधिकारी की ओर से की गई शिकायत में RDVV के कुलगुरु प्रो राजेश वर्मा पर गंभीर आरोप लगाते हुए बताया गया है कि राजेश वर्मा के द्वारा मुझे 21 नवंबर को अपने कक्ष में चर्चा के लिए बुलाया गया था। वहां अन्य कर्मचारी भी मौजूद थे। जहां कुलगुरु ने कर्मचारियों को मुझसे काम करवाने के लिए कहा साथ ही मेरे खिलाफ अशोभनीय टिप्पणियां करते हुए अभद्र इशारे भी किए और इसी दिन शाम 6 बजे आई.क्यू.ए.सी (IQAC) कार्यालय में बैठक के बाद डी.आई.टी परीक्षा की तारीख आगे करने के संबंध में मुझ पर झूठे आरोप लगाते हुए छात्रों ,कर्मचारियों ,सहकर्मियों के सामने कुलगुरु ने मुझे सार्वजनिक रूप से अपमानित भी किया। साथ ही शिकायत में यह भी बताया कि विश्वविद्यालय के ऑफिशियल वाट्सअप ग्रुप में 13 अक्टूबर को देर रात अतिथि मानदेय भुगतान के बारे में अतिथि शिक्षकों और विभागाध्यक्षों ने अशोभनीय टिप्पणियां की जिसकी शिकायत अगले दिन की गई, लेकिन इस पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसके बाद 20 और 21 नवंबर को रात में ऑफिशियल वाट्सअप ग्रुप में उनके खिलाफ उसी तरह की टिप्पणी फिर की गईं। इस पर भी कुलगुरु ने कोई भी कार्यवाही नहीं की। विश्वविद्यालय में कुलगुरु और उनके संरक्षण प्राप्त व्यक्तियों के द्वारा मुझे लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है।
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आंतरिक समिति का गठन कर मामले में जांच के आदेश
महिला अधिकारी के द्वारा मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग और राज्य महिला आयोग भोपाल में की गई शिकायत के बाद संबंधित शिकायत में जांच करने के लिए कलेक्टर कार्यालय (महिला एवं बाल विकास) के द्वारा 02 जनवरी 2025 एवं उच्च शिक्षा विभाग के द्वारा 06 जनवरी 2025 को विश्वविद्यालय के कुल सचिव को अलग-अलग आदेश पत्र जारी करते हुए संबंधित शिकायत पर आंतरिक समिति एवं विश्वविद्यालय की महिला उत्पीड़न समिति को गठित कर मामले में जांच कर समिति के निर्णय को प्रस्तुत करने के निर्देश जारी किए गए थे। कुलसचिव के पास इन आदेशों की प्रति लगभग 20 दिन पहले पहुंचा दी गई थी, लेकिन कुल सचिव के द्वारा इनको नजरअंदाज कर शासन के आदेशों की अवहेलना करते हुए संबंधित मामलों में कोई भी कार्यवाही नहीं की गई।
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NSUI ने की कुलगुरु के इस्तीफा की मांग
भारतीय राष्ट्रीय छात्र संगठन (NSUI) के जिला अध्यक्ष सचिन रजक ने बताया कि NSUI के द्वारा लगातार कुलगुरु प्रो राजेश वर्मा के कुलगुरु बनाए जाने का विरोध किया जा रहा है उन्होंने बताया है कि वह इस पद की लिए अमान्य है साथ ही उन्होंने बताया है कि इस विश्वविद्यालय का नाम रानी दुर्गावती एक महिला के नाम से है जो की शौर्य और ताकत का प्रतीक है लेकिन इसी विश्वविद्यालय में कुलपति के द्वारा एक महिला कर्मचारी के साथ अभद्र व्यवहार और अभद्र इशारे करना बहुत ही निंदनीय है। शासन के द्वारा कार्यवाही के आदेशों के बाद भी विश्वविद्यालय के द्वारा इस मामले में कोई भी कार्यवाही नहीं की गई। उसके बाद महिला कर्मचारी को मजबूरन हाईकोर्ट की शरण में जाना पड़ा जिसमें एक हफ्ते में कोर्ट के द्वारा सीसीटीवी फुटेजों के आधार पर यह सिद्ध हो ही जाएगा की प्रो.राजेश वर्मा के द्वारा किया गया कृत्य सही है या नहीं। NSUI के द्वारा नैतिकता के आधार पर कुलपति से इस्तीफे की मांग की जा रही है और यदि वह अपना इस्तीफा नहीं देते हैं तो NSUI के द्वारा अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाकर विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।
असुरक्षित महसूस कर रही छात्राएं
रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में महिला कर्मचारी के साथ कुलगुरु के द्वारा किया गया गए व्यवहार को लेकर छात्र छात्राओं में भी आक्रोश है। विश्वविद्यालय की छात्राओं से जब बात की तो उन्होंने बताया कि कुलपति को कुलगुरु का पद इसलिए मिलता है कि उनका एक दायरा होता है। उन पर पूरे विश्वविद्यालय के संचालन का भार होता है। यदि किसी महिला कर्मचारी द्वारा छेड़छाड़ करने के आरोप उन पर लगाए जा रहे हैं तो विश्वविद्यालय की छात्राएं कैसे सुरक्षित रहेंगी। उन्होंने इस मामले में शासन से निष्पक्ष जांच कर कठोर कार्यवाही किए जाने की मांग की है।
पीड़ित महिलाकर्मी ने ली हाईकोर्ट की शरण
पीड़ित महिला अधिकारी के द्वारा लगातार अपने साथ हुए अभद्र व्यवहार और सामाजिक अपमान के खिलाफ कार्यवाही किए जाने को लेकर उच्च अधिकारियों सहित राज्य महिला आयोग और राज्य उच्च शिक्षा विभाग तक इसकी शिकायत की गई लेकिन न्याय ना मिलते देख महिला अधिकारी के द्वारा हाईकोर्ट से इस मामले याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई गई है। उनके द्वारा अपने आरोपों की पुष्टि करने के लिए कुलगुरु के कमरे में हुई बैठकों के सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराने के लिए कई बार आवेदन भी दिए गए लेकिन अभी तक सीसीटीवी फुटेज नहीं मिले हैं।
बयान से बचते नजर आए कुलसचिव
जब इस मामले में 'द सूत्र' ने रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलसचिव आर के बघेल से बात करने की कोशिश की तो वह कैमरे से बचते नजर आए, साथ ही किसी भी बयान को देने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि मामला अभी हाईकोर्ट में लंबित है इसलिए इस पर किसी भी प्रकार पक्ष रखना उचित नहीं है।
हाईकोर्ट ने जारी किए सीसीटीवी फुटेज सीज करने के आदेश
इस याचिका पर सुनवाई जस्टिस विशाल मिश्रा की सिंगल बेंच में हुई जिसमें उन्होंने पाया की याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की तरफ से यह आशंका जताई गई है कि सीसीटीवी फुटेज को मिटा दिया गया है, जिसमें घटना रिकॉर्ड की गई है। साथ ही उन्होंने 21 नवंबर 2024 के उस सीसीटीवी फुटेज को सुरक्षित रखने की कोर्ट से अपील की है। इसके बाद कोर्ट ने कलेक्टर (महिला एवं बाल विकास) एवं RDVV के रजिस्ट्रार को सीसीटीवी फुटेज सुरक्षित रखने के निर्देश जारी किए हैं साथ ही आदेश दिया है कि उसमें किसी भी प्रकार का परिवर्तन या छेड़छाड़ ना की जाए। मामले को अगले हफ्ते की सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।