भूमाफिया केस में CJI से शिकायत, आरोपी दो साल से जमानत पर, पीड़ितों को नहीं मिला न्याय

मध्यप्रदेश के इंदौर में भूमाफिया के केस में करीब 25 एफआईआर लसूडिया, बाणगंगा और तेजाजीनगर थाने में दर्ज है। वहीं हाईकोर्ट में करीब 120 केस आपस में लिंक है जो इन सभी भूमाफिया की करतूतें हैं...

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Jitendra Shrivastava
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CJI से शिकायत

संजय गुप्ता, INDORE. भूमाफिया केस ( land mafia Case ) में चंपू उर्फ रितेश अजमेरा, नीलेश अजमेरा, हैप्पी धवन, चिराग शाह के साथ ही आरोपी सोनाली अजमेरा, योगिता अजमेरा व अन्य की मुश्किलें बढ़ने वाली है। इस मामले में न्याय का इंतजार कर रहे प्लॉट धारक, पीड़ितों ने सुप्रीम कोर्ट चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) को एक पत्र भेज दिया है।

खुद हाईकोर्ट जस्टिस ने कहा सुप्रीम कोर्ट से आया है

इस मामले में सोमवार को हाईकोर्ट इंदौर में सुनवाई थी। एक केस की सुनवाई के दौरान जस्टिस ने कहा कि तीन बजे से मुझे इस केस की सुनवाई करना है, इसलिए दूसरे केस नहीं सुनेंगे, सुप्रीम कोर्ट से आया है। इसके बाद तीन बजे इसमें सुनवाई शुरू हुई और तय किया गया कि इसे तेजी से लेते हुए केस को सुना जाएगा और इसकी शुरूआत एफआईआर के आधार पर करेंगे, यानि एक एफआईआर लेंगे और इसमें जो भी केस होंगे उन्हें सुना जाएगा। उल्लेखनीय है कि भूमाफिया के केस में करीब 25 एफआईआर लसूडिया, बाणगंगा और तेजाजीनगर थाने में दर्ज है। वहीं हाईकोर्ट में करीब 120 केस आपस में लिंक है जो इन सभी भूमाफिया की करतूतें हैं।

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पीड़ितों ने यह लिखा था सीजीआई को पत्र

पीडितों ने पत्र लिखकर कहा था कि- यह केस सुप्रीम कोर्ट में था, वहां से हाईकोर्ट में तेज निराकरण के लिए शिफ्ट हुआ। दो साल से सुनवाई चल रही है और हमारा न्याय का इंतजार बढ़ता जा रहा है। भूमाफिया रितेश उर्फ चंपू, नीलेश उर्फ कालू अजमेरा, योगिता अजमेरा, पवन अजमेरा, सोनाली अजमेरा, आर्जव अजमेरा. महावीर जैन, चिराग शाह, निकुल कपासी, रजत बोहरा व अन्य आरोपित है। इन सभी आरोपियों पर 25 से ज्यादा केस है और 300 करोड़ से ज्यादा की धोखाधड़ी है। सुप्रीम कोर्ट में एसएसपी 4144 जमानत याचिका स्वीकार कर हाईकोर्ट को सुनवाई के लिए निर्देशित किया गया। इसमें हाईद्वारा गठित कमेटी की रिपोर्ट भी आ चुकी है लेकिन अभी तक प्लाटधारकों को न्याय नहीं मिला है। इसलिए इसमें संज्ञान लेकर पीड़ितों को न्याय दिलवाया जाए। 

नवंबर 2021 से जमानत के मजे ले रहे भूमाफिया

सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2021 में जमानत याचिका में जेल में बंद भूमाफियाओं को जमानत की राहत इस शर्त पर दी थी कि यह पीड़ितों के केस का निराकरण करेंगे। इसके बाद चंपू व अन्य जेल से रिहा हुए। मार्च 2022 में जिला प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट में रिपोर्ट पेश कर बताया कि केस का निराकरण हो रहा है और 50 फीसदी से अधिक में निराकरण की स्थिति है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट को तेजी से निराकरण के लिए केस भेज दिया और कहा कि हाईकोर्ट को लगे तो वह इसमें रिटायर जस्टिस की अध्यक्षता में कमेटी बना दे और सभी को सुने और तेजी से निराकरण करें और यदि आरोपी सहयोग नहीं करें तो जमानत निरस्त कर दें। जमानत के मजे होने के बाद भूमाफिया पीड़ितों के निराकरण के वादे से मुकरने लगे और फरवरी 2023 में सुनवाई में जिला प्रशासन ने रिपोर्ट पेश की और कहा कि निराकरण नहीं हो पा रहे हैं क्योंकि आरोपी सहयोग नहीं कर रहे हैं। इन सभी की जमानत निरस्त की जाए। इसके बाद सुनवाई चलती रही फिर मई में हाईकोर्ट के रिटायर जस्टिस ईश्वर सिंह की अध्यक्षता में कमेटी बनी और उनकी रिपोर्ट हाईकोर्ट में 21 अगस्त पुटअप हुई। कमेटी के सामने भूमाफियाओं ने जो वादे किए थे वह भी पूरे नहीं किए। वहीं हाईकोर्ट में रिपोर्ट पुटअप होने के बाद 26 सितंबर, 17 अक्टूबर, 6 नवंबर, 4 दिसंबर, 12 दिसंबर, 31 जनवरी, 5 मार्च, 12 मार्च को सुनवाई हुई लेकिन कोई खास निराकरण अभी नहीं हुआ है और प्लाटधारक अभी भी पीडित है। अब 22 अप्रैल को सुनवाई हुई, जिसमें केस को एफआईआर के हिसाब से सुनने के आदेश हुए हैं। 

पहली एफआईआर फीनिक्स की 526 क्रमांक की

तय किया गया है कि 30 अप्रैल को एफआईआर क्रमांक 526 जो साल 2016 में फीनिक्स कॉलोनी को लेकर लसूडिया थाने में हुई थी, उससे लिंक केस को सुना जाएगा। इस एफआईआर में पवन अजमेरा, सोनाली, योगिता, पंकज भंडारी, चिराग, रजत बोहरा व अन्य लिंक है। इसमें चंपू अजमेरा व उनके परिवार ने मिलकर ही फिनिक्स कंपनी बनाई थी, इस कंपनी ने पीडीपीएल से एक करोड़ का लोन भी लिया और बाद में दिवालाया खुद को घोषित कर दिया। यह कंपनी एक्ट में केस अलग से हाईकोर्ट में चल रहा है। फिनिक्स कंपनी के डायरेक्टर चंपू व अन्य सहयोग नहीं कर रहे हैं इसकी शिकायत पहले से ही लिक्विडेटर ने हाईकोर्ट में की हुई है। कंपनी के दिवालिया होने के चलते इसमें पीडितों को प्लाट की रजिस्ट्री ही नहीं हो रही है, क्योंकि जब तक कंपनी के कर्ताधर्ता चंपू बताएंगे नहीं कि किससे कितना पैसा किस प्लाट के लिए लिया हुआ है और वह कहां पर है, इसकी इंट्री किस खाते में हैं, तब तक लिक्विडेटर से रजिस्ट्री की मंजूरी नहीं मिलेगी।

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