कांग्रेस जिला अध्यक्ष चयन में MP से शिकायतों का तांता, राहुल गांधी नाराज, बोले- ऐसी गलती अन्य राज्यों में न हो

कांग्रेस जिला अध्यक्ष चयन विवाद में मध्यप्रदेश से सबसे ज्यादा शिकायतें दर्ज हुईं। राहुल गांधी ने नाराजगी जताई और कहा कि ऐसी गलतियां अन्य राज्यों में नहीं दोहराई जानी चाहिए।

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Amresh Kushwaha
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कांग्रेस पार्टी इन दिनों अपने संगठन सृजन अभियान (Organization Creation Campaign) के तहत पूरे देश में जिला अध्यक्षों (District Presidents) की नियुक्ति कर रही है। लेकिन मध्यप्रदेश(Madhya Pradesh) में हुए जिला अध्यक्ष चयन को लेकर पार्टी के भीतर जबरदस्त विरोध सामने आया है। इतना ही नहीं, इस पर लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने भी कड़ी नाराजगी जताई है और पार्टी नेताओं को स्पष्ट संदेश दिया है कि जो गलतियां मध्यप्रदेश में हुईं, वे अन्य राज्यों में नहीं दोहराई जानी चाहिए।

संगठन सृजन अभियान में नाराज राहुल गांधी

कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने सोमवार (25 अगस्त) को दिल्ली के कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी की बैठक को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने एमपी में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में हुई गड़बड़ियों को लेकर अपनी नाराजगी जताई है। साथ ही उन्होंने कहा कि एमपी जैसी गलती अन्य राज्यों में नहीं दोहराई जानी चाहिए।

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मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा शिकायतें क्यों?

दूसरे जिलों से नेताओं की नियुक्ति

सबसे बड़ा आरोप यह है कि स्थानीय नेताओं को दरकिनार कर बाहरी जिलों के नेताओं को जिलाध्यक्ष बना दिया गया।

  • आगर के पूर्व विधायक विपिन वानखेड़े (Vipin Wankhede) को इंदौर ग्रामीण का अध्यक्ष बनाए जाने पर देपालपुर और दिल्ली तक विरोध हुआ।

  • गुना की रहने वाली प्रतिभा रघुवंशी (Pratibha Raghuvanshi) को खंडवा सिटी अध्यक्ष बनाए जाने पर कार्यकर्ताओं ने तीखी प्रतिक्रिया दी।

एक व्यक्ति, अनेक पद पर सवाल

सतना में कार्यकर्ताओं ने कहा कि विधायक और ओबीसी कांग्रेस अध्यक्ष सिद्धार्थ कुशवाह (Siddharth Kushwaha) को फिर से जिलाध्यक्ष बनाना एक व्यक्ति, एक पद के सिद्धांत का उल्लंघन है।

मध्यप्रदेश कांग्रेस जिला अध्यक्ष चयन विवाद पर एक नजर

  • कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मध्यप्रदेश में जिला अध्यक्षों की नियुक्ति में हुई गड़बड़ियों पर नाराजगी जताई और कहा कि ऐसी गलतियां अन्य राज्यों में नहीं दोहराई जानी चाहिए।

  • मध्यप्रदेश में कई जिलों में बाहरी नेताओं को जिलाध्यक्ष बना दिया गया, जिससे स्थानीय नेताओं में असंतोष है।

  • कुछ जिलों में कार्यकर्ताओं ने "एक व्यक्ति, एक पद" के सिद्धांत के उल्लंघन का आरोप लगाया, खासकर सिद्धार्थ कुशवाह की पुनर्नियुक्ति पर।

  • मध्यप्रदेश के विभिन्न जिलों, जैसे भोपाल, इंदौर और सतना में कार्यकर्ताओं ने जिलाध्यक्षों की नियुक्ति के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया और कुछ ने पार्टी से इस्तीफा भी दिया।

  • 16 अगस्त 2025 को मध्यप्रदेश में 71 जिलाध्यक्षों के नाम घोषित हुए थे, जिसके बाद विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए।

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मप्र में जिलाध्यक्षों की नियुक्तियों पर इन जिलों में विरोध

भोपाल-

भोपाल शहर कांग्रेस अध्यक्ष प्रवीण सक्सेना की दोबारा नियुक्ति पर पूर्व अध्यक्ष प्रदीप सक्सेना उर्फ मोनू ने खुलकर विरोध दर्ज कराया। उनका आरोप है कि जिला अध्यक्ष का पद दिलाने के लिए डेढ़ करोड़ की डिफेंडर कार गिफ्ट की गई है। मोनू और कार्यकर्ताओं ने इस नियुक्ति के विरोध में राहुल गांधी को खून से खत भी लिखा था।

इंदौर ग्रामीण-

आगर के पूर्व विधायक विपिन वानखेड़े को इंदौर ग्रामीण जिला अध्यक्ष बनाए जाने पर बड़े स्तर पर नाराज़गी सामने आई। इंदौर और देपालपुर से लेकर दिल्ली तक विरोध प्रदर्शन हो चुके हैं। यहां तक कि दिल्ली स्थित कांग्रेस मुख्यालय में जिला अध्यक्षों की कार्यशाला के दौरान लगभग 50 कार्यकर्ताओं ने वानखेड़े की नियुक्ति के विरोध में प्रदर्शन किया।

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डिंडोरी-

ओंकार सिंह मरकाम को जिला अध्यक्ष बनाए जाने पर भी असंतोष देखा गया। स्थानीय नेता अजय साहू ने उनके खिलाफ पुतला दहन की घोषणा की थी। वहीं, राजेश मरावी ने इसे आदिवासी वर्ग से भविष्य में मुख्यमंत्री बनने की संभावनाओं को कमज़ोर करने की कोशिश बताया।

सतना (शहर और ग्रामीण)-

सतना में शहर और ग्रामीण दोनों जिलाध्यक्ष पद पर सिद्धार्थ कुशवाह की नियुक्ति से कार्यकर्ताओं में नाराज़गी है। सिद्धार्थ पहले से विधायक हैं और मेयर व लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। वे ओबीसी कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। ऐसे में कार्यकर्ताओं का सवाल है कि "एक व्यक्ति, एक पद" का नियम क्यों लागू नहीं किया गया।

बुरहानपुर-

बुरहानपुर में जिला प्रवक्ता एवं राजीव गांधी पंचायती सेल के अध्यक्ष हेमंत पाटिल ने विरोध स्वरूप पार्टी से इस्तीफा दे दिया।

देवास (ग्रामीण)-

देवास ग्रामीण में जीतू पटवारी के करीबी माने जाने वाले गौतम बंटू गुर्जर ने जिला अध्यक्ष की नियुक्ति से असंतुष्ट होकर पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया।

16 अगस्त को हुआ था जिला अध्यक्षों का चयन

कांग्रेस ने संगठन सृजन अभियान (Organization Creation Campaign) के तहत जिला कांग्रेस कमेटी (District Congress Committee) के अध्यक्षों की नियुक्ति प्रक्रिया शुरू की। सबसे पहले गुजरात, फिर हरियाणा और उसके बाद मप्र में कांग्रेस जिला अध्यक्षों की नियुक्ति की घोषणा हुई। लेकिन मध्यप्रदेश में हालात बिगड़ गए।

16 अगस्त 2025 को जब प्रदेश के 71 संगठनात्मक जिलों के अध्यक्षों के नाम घोषित हुए, उसी समय से विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए। राजधानी भोपाल से लेकर दिल्ली तक नाराज कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया।

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