टॉप टू बॉटम पूरी कांग्रेस पिछड़ी, सारे प्रमुख संगठन ओबीसी के हाथ

मध्यप्रदेश में पूरा कांग्रेस संगठन पिछड़ा वर्ग के हाथों में सिमट गया है। अध्यक्ष से लेकर सारे फ्रंट आर्गेनाइजेशन के मुखिया ओबीसी से हैं। इसे लेकर अन्य वर्गों के नेताओं में असंतोष का असर अब कामकाज और आपसी मुद्दों में भी नजर आने लगा है...

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Jitendra Shrivastava
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BHOPAL. मध्यप्रदेश में कांग्रेस टॉप टू बॉटम पूरी पिछड़ी हुई है यानी सभी संगठन के प्रमुख पद ओबीसी के हाथ में हैं। पूरा कांग्रेस संगठन पिछड़ा वर्ग के हाथों में सिमट गया है। इसे लेकर अन्य वर्गों के नेताओं में असंतोष का असर अब कामकाज और आपसी मुद्दों में भी नजर आने लगा है। 2018 में अपनी सरकार के 15 महीने पिछड़ा वर्ग का आरक्षण बढ़ाने की बातें करते-करते सीएम कमलनाथ और उनकी पूरी सरकार प्रदेश में ओबीसी की संख्या को लेकर कंफ्यूज रही, अदालत को भी सही आंकड़े नहीं बता सकी। 

प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी भी ओबीसी

ओबीसी से आने वाले जीतू पटवारी के हाथ में प्रदेश की कमान तो है ही, जातिगत समीकरणों पर नियुक्तियां करने वाली कांग्रेस में महिला कांग्रेस, युकां, एनएसयूआई, किसान कांग्रेस, सेवादल और अल्पसंख्यक कांग्रेस तक में ओबीसी चेहरे ही मुखिया बना दिए गए हैं। जातिगत जनगणना का राग अलापने वाली कांग्रेस जितनी आबादी उतना अधिकार का नारा भी बुलंद कर रही है। मध्यप्रदेश कांग्रेस की बात करें तो यह नारा पूरी तरह से खोखला है। इसकी वजह है संगठन में ओबीसी को ज्यादा से ज्यादा मिलने वाला महत्व। कांग्रेस के जितने भी मोर्चे हैं, उनमें से दो तिहाई से ज्यादा की कमान ओबीसी के हाथों में दी गई है। 

एससी-एसटी को छोड़ दें तो पूरी कांग्रेस ओबीसीमय

कांग्रेस में सामान्य वर्ग की हालत तो यह है कि केवल एक-दो संगठन में ही मुखिया का पद मिल सका है। वहीं एससी-एसटी कांग्रेस में तो इन्हीं वर्गों से मुखिया बनाना मजबूरी है। एससी एसटी को छोड़ दें तो पूरी कांग्रेस ओबीसी का महासंगठन बनकर रह गई है। विपक्ष के नेता का पद भी एसटी के उमंग सिंघार के पास है। हालात तो यह है कि अल्पसंख्यक कांग्रेस की कमान भी ओबीसी वर्ग के हाथों में ही है। दूसरे किसी वर्ग का प्रतिनिधित्व ही नहीं बचा है। ऐसे में अब संगठन में बड़े बदलाव की बातों को हर रोज ही हवा मिल रही है। जानकारी के अनुसार कांग्रेस में 40 मोर्चा और करीब 10 फ्रंटल आर्गेनाइजेशन हैं इनमें से भी आठ में ओबीसी वर्ग से मुखिया हैं।

इन संगठनों में हैं ओबीसी वर्ग के नेता...

संगठन कमान
प्रदेश कांग्रेस जीतू पटवारी
महिला कांग्रेस विभा पटेल
युवक कांग्रेस  मितेंद्र दर्शन सिंह यादव
भाराछासं आशुतोष चौकसे
सेवादल योगेश यादव
किसान कांग्रेस दिनेश गुर्जर
पिछड़ा वर्ग कांग्रेस सिद्धार्थ कुशवाह
मोर्चा प्रकोष्ठ प्रभारी जेपी धनोपिया
अल्पसंख्यक कांग्रेस शेख अलीम

अब नेतृत्व बदलने की कवायद

मध्यप्रदेश कांग्रेस में सभी संगठनों में एक ही वर्ग का कब्जा होने के बाद अब विरोध के सुर उठने लगे हैं। कांग्रेस में बदलाव की बातों को भी हवा मिलने लगी है। इसके लिए कार्यकर्ता दिल्ली तक आपत्ति जता चुके हैं। अब सभी वर्गों के बीच संतुलन बैठाते हुए जल्द ही प्रदेश कांग्रेस में बड़े स्तर पर उठापटक की संभावना जताई जा रही है। मामला दिल्ली के पाले में जाने के बाद प्रदेश कांग्रेस का कोई भी प्रवक्ता इस संवेदनशील मुद्दे पर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं। प्रदेश कांग्रेस के मीडिया विभाग के अध्यक्ष मुकेश नायक का कहना है कि अब आगे जो भी फैसले होंगे, उसमें क्षेत्रीय और जातीय संतुलन बनाया जाएगा।

अन्य वर्गों के नेताओं-कार्यकर्ताओं में नाराजगी 

प्रदेश कांग्रेस में अध्यक्ष से लेकर सभी फ्रंटल संगठनों के प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति दिल्ली से ही होती है। प्रदेश स्तर से जो पैनल बनाकर भेजी जाती है उसी में से कोई एक नाम राष्ट्रीय नेतृत्व तय करता है। कांग्रेस में इस समय लगभग हर मोर्चा, विभाग और संगठन एक ही वर्ग के खेमे में जाने से यह प्रदेश नेतृत्व की लापरवाही से भी जोड़कर देखा जाने लगा है। वहीं इसे राष्ट्रीय एजेंडा भी बताया जा रहा है। मगर इससे अन्य वर्गों के नेताओं और कार्यकर्ताओं में नाराजगी बढ़ती जा रही है। इसे लेकर अब आपस में ही विवाद होने लगे हैं। राष्ट्रीय नेतृत्व की ओर से भेजे गए प्रदेश प्रभारी भंवर जितेंद्र सिंह के सामने भी यह नाराजगी आ चुकी है।

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