नियमित पदों पर मर्जर की मांग लेकर राजधानी में जुटे संविदा बिजलीकर्मी

नियमितीकरण की अनदेखी कर 49 हजार पदों पर भर्ती की तैयारी से नाराज संविदा बिजलीकर्मी 2 नवम्बर को भोपाल पहुंचे। संविदाकर्मियों ने अंबेडकर उद्यान में प्रदर्शन कर नियमित पदों पर नियुक्ति की मांग की।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. नियमितीकरण की अनदेखी कर 49 हजार पदों पर भर्ती की तैयारी से नाराज संविदा बिजलीकर्मी 2 नवम्बर को भोपाल पहुंचे। संविदाकर्मियों ने अंबेडकर उद्यान में प्रदर्शन कर नियमित पदों पर नियुक्ति की मांग की। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश और ऊर्जा विभाग की गाइडलाइन के आधार पर पांच हजार संविदाकर्मियों के नियमितीकरण की मांग पर ध्यान आकर्षित कराया। 

नियमितीकरण देगा अनुभव का लाभ 

मध्य प्रदेश में बिजली कंपनियों द्वारा 49 हजार से ज्यादा आउटसोर्स, संविदा और नियमित पदों पर भर्ती की जा रही है। इसके लिए बिजली कंपनियों ने नोटिफिकेशन जारी करना भी शुरू कर दिया है। बिजली कंपनियों द्वारा नए ऑर्गनाईजेशन स्ट्रक्चर के तहत नवीन पदों पर भर्ती के लिए पूर्व से कार्यरत पांच हजार संविदा कर्मियों को पद मुक्त करने की भी तैयारी है। इसे देखते हुए एक दशक और उससे भी पहले से बिजली कंपनियों में कार्यरत संविदा बिजलीकर्मी सरकार से नाराज है। 

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योग्यता की अनदेखी से नाराजगी

संविदाकर्मियों के संगठन यूनाइटेड फोरम के पदाधिकारी व्हीकेएस परिहार का कहना है बिजली कंपनियों ने ये नियुक्तियां लिखित परीक्षा और भर्ती प्रक्रिया के जरिए की थीं। इन पदों पर सालों से काम कर रहे अधिकारी और तकनीकी कर्मचारी इंजीनियर पहले ही रिटर्न टेस्ट और इंटरव्यू के माध्यम से योग्यता साबित कर चुके हैं। इनमें लेखा अधिकारी, असिस्टेंट इंजीनियर, जूनियर इंजीनियर सहित अन्य तकनीकी कर्मचारी शामिल हैं जिनकी संख्या पांच हजार है। नियमित भर्तियां न आने की स्थिति में सालों से यही संविदाकर्मी बिजली कंपनियों की व्यवस्थाएं संभालते आ रहे हैं। अब जबकि 49 हजार पदों पर नियुक्तियां हो रही हैं तो पांच हजार नियमित पदों पर मर्जर इन संविदाकर्मियों का अधिकार है।

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संविदा मर्जर से घटेगा आर्थिक भार

राजधानी भोपाल के अंबेडकर उद्यान में संविदाकर्मियों ने बिजली कंपनी के पास लंबित प्रस्ताव पर सीएम डॉ. मोहन यादव से हस्तक्षेप की मांग की है। यूनाइटेड फोरम के लोकेन्द्र श्रीवास्तव का कहना था पांच हजार संविदाकर्मियों में से एक भी बैक डोर भर्ती से नहीं आया है। सभी के पास तकनीकी दक्षता से लेकर शैक्षणिक योग्यता भी है। ऐसे में सालों तक काम लेने के बाद उन्हें हटाने से व्यवस्था गड़बड़ा जाएगी। संविदाकर्मियों के नियमितीकरण की स्थिति में तकनीकी पदों के लिए प्रशिक्षण पर अतिरिक्त खर्च से भी राहत मिलेगी। नए पे स्केल पर भर्ती का बोझ भी कम होगा।  

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