इंदौर की महिला वकील अभिजीता ने अंतिम सांस में कर दिया ऐसा काम, तीन लोगों को मिल गई नई जिंदगी

इंदौर की हाईकोर्ट वकील अभिजीता राठौर (38) ब्रेन डेड घोषित हुईं। इसके बाद उनके अंगदान से तीन लोगों को नई जिंदगी मिल गई। वहीं उनके अंगों को सुरक्षित पहुंचाने के लिए शहर में 65वां ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया था।

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Amresh Kushwaha
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राहुल दवे @ INDORE

इंदौर में हाईकोर्ट की 38 वर्षीय वकील अभिजीता राठौर ने रविवार को जाते-जाते भी जिंदगी को नई दिशा दे दी। ब्रेन डेड घोषित होने के बाद अभिजीता का अंगदान किया गया। इससे कई लोगों को जीने की उम्मीद मिल गई। उनके अंगों को सुरक्षित पहुंचाने के लिए शहर में 65वां ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया। महिला वकील अभिजीता राठौर एक बहादुर बेटी, सशक्त पत्नी और संवेदनशील वकील थीं।

अस्पताल ने दिया गार्ड ऑफ ऑनर

ज्यूपिटर हॉस्पिटल का माहौल उस वक्त भावनाओं से भर गया, जब अभिजीता के पति प्रवीण राठौर ने पत्नी को अंतिम बार मंगलसूत्र पहनाकर विदाई दी। वो पल हर किसी के दिल में उतर गया। अस्पताल के स्टाफ ने अभिजीता को गार्ड ऑफ ऑनर देकर सम्मानपूर्वक विदा किया।

तीन लोगों को मिली नई जिंदगी

मुस्कान ग्रुप पारमार्थिक ट्रस्ट के सेवादार जीतू बगानी और संदीपन आर्य ने बताया कि अभिजीता का लिवर सीएचएल हॉस्पिटल, एक किडनी ज्यूपिटर हॉस्पिटल और दूसरी किडनी चोइथराम हॉस्पिटल में ट्रांसप्लांट के लिए भेजी गई। इन अंगों ने अब तीन जिंदगियों को नई शुरुआत दी है।

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25 अक्टूबर को हुआ था लंग्स इंफेक्शन

भाई अभिजीत सिंह राठौर ने बताया कि 25 अक्टूबर को उन्हें लंग्स में इंफेक्शन के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान ब्रेन में ब्लड क्लॉट बनने से उनकी हालत गंभीर हो गई। कई दिन इलाज के बाद डॉक्टरों ने शनिवार को उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया।

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गर्भवती थीं, तब की वकालत की पढ़ाई पूरी

अभिजीता ने इलेक्ट्रॉनिक्स और इंस्ट्रूमेंटेशन इंजीनियरिंग के बाद वकालत की पढ़ाई करने का फैसला लिया। वे उस वक्त गर्भवती थीं, लेकिन हालातों को रुकावट नहीं बनने दिया। एलएलबी के बाद उन्होंने क्रिमिनोलॉजी में एलएलएम की डिग्री हासिल की। भाई की मदद से जिला और हाईकोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की। बहुत कम वक्त में अपनी मिलनसारिता और कानूनी समझ से पहचान बना ली।

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परिवार आज भी उनके साहस को सलाम कर रहा है

अभिजीता के पति प्रवीण राठौर रेलवे कॉन्ट्रेक्टर हैं। उनके परिवार में बेटी पर्णिका (13) और बेटा अभिरत्न (5) हैं। बड़े भाई अभिजीत सिंह राठौर लोक अभियोजक हैं। पिता रतन सिंह राठौर डिप्टी डायरेक्टर, लोक अभियोजन के पद पर रहे और अखिल भारतीय क्षत्रिय राठौर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे। मां गिरिबाला राठौर शिक्षाविद हैं।

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अंतिम सांसों में भी जीवन दे गईं

अभिजीता ने जाते-जाते भी वही किया, जो उन्होंने जिंदगी भर किया - किसी का भला, किसी की मदद। उनका अंगदान सिर्फ एक चिकित्सा प्रक्रिया नहीं, बल्कि मानवता का सबसे सुंदर रूप बन गया।

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