300 करोड़ की लागत से बना इंदौर बीआरटीएस तोड़ने का काम आज से शुरू, एसेंसी ने ढाई करोड़ में लिया टेंडर

इंदौर शहर में 300 करोड़ की लागत से बने बीआरटीएस को तोड़ने का काम शुरू हुआ। पहले चरण में जीपीओ से शिवाजी प्रतिमा तक रैलिंग हटाई जा रही है। कार्रवाई हाईकोर्ट के निर्देश पर की जा रही है।

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Sandeep Kumar
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INDORE. इंदौर शहर में  300 करोड़ की लागत से तय हुए बीआरटीएस को तोड़ने का काम आज से  शुरू कर दिया गया है।प्रथम चरण  में जीपीओ चौराहा से शिवाजी प्रतिमा तब रेलिंग हटाई जा रही है।

यह कार्रवाई मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद की जा रही है। आज सुबह महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने जेसीबी का पूजन कर कार्य का शुभारंभ किया। इससे पहले सीएम डॉक्टर मोहन यादव ने इस संबंध में इंदौर में बड़ी घोषणा में फरवरी माह में की थी।  सीएम ने कहा था कि बेहतर ट्रैफिक के लिए जरूरी है कि बीआरटीएस को हटाया जाए।

बीआरटीएस हटाने की जिम्मेदारी एजेंसी को

बीआरटीएस को हटाने का कार्य अधिकृत एजेंसी तय होने के बाद शुरू किया गया। बीते कई दिनों से बीआरटीएस हटाने के लिए कोई एजेंसी नगर निगम द्वारा तय नहीं किए जाने के कारण यह काम अटका हुआ था। नगर निगम द्वारा टेंडर प्रक्रिया पूरी कर एक एजेंसी को बीआरटीएस हटाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

प्रथम चरण में जीपीओ चौराहे से शिवाजी वाटिका तक बीआरटीएस कॉरिडोर को हटाया जाएगा। इस दौरान यातायात व्यवस्था को सुचारू रखने के लिए विशेष तैयारी की गई है। निगम अधिकारियों का कहना है कि कॉरिडोर हटाने के बाद सडक की चौड़ाई लगभग 60 मीटर तक बढ़ाई जाएगी, जिससे ट्रैफिक प्रवाह बेहतर होगा।

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बीआरटीएस को लेकर दो याचिकाएं

इंदौर बीआरटीएस का सफर करीब 12 वर्ष का रहा। 10 मई 2013 को इसकी विधिवत शुरुआत हुई थी। 11.47 किमी लंबा बीआरटीएस निरंजनपुर से राजीव गांधी चौराहा तक जाता है। बीआरटीएस को लेकर दो जनहित याचिकाएं मप्र हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ के समक्ष दायर हुईं। इन याचिकाओं का निराकरण करते हुए अंतत: 27 फरवरी 2025 को हाई कोर्ट ने शासन को बीआरटीएस तोडऩे की अनुमति दे दी थी। 

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300 करोड़ में बना था 

बीआरटीएस के निर्माण पर करीब 90 करोड़ रुपये खर्च का अनुमान था, लेकिन यह राशि बढक़र करीब 300 करोड़ रुपये तक पहुंच गई थी

तकनीकी कमियों के कारण नहीं मिल सका लाभ 

महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा बीआरटीएस से अपेक्षित लाभ नहीं मिला। उन्होंने कहा तकनीकी कमियों के कारण शहरवासी इसका फायदा नहीं उठा सके। अदालत के निर्देश के बाद तय प्रक्रिया से इसे हटाया जा रहा है। उन्होंने कहा सुरक्षा मानकों के अनुसार बीआरटीएस हटाया जाएगा। उन्होंने कहा बीआरटीएस ने शहर की सेवा की है। उन्होंने कहा इसके बाद सड़क को नए रूप में बनाया जाएगा।

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बसें चालू रहेंगी 

महापौर भार्गव ने कहा कि इस रूट पर जो बसें चल रही हैं। वह चालू रहेंगी। कुछ बसों का रूट चेंज हो जाएगा। यहां से लोगों के आने-जाने के सवाल पर उनका कहना था कि जहां -जहां भी स्ट्रक्चर नहीं है वहां-वहां लोग चल सकते हैं। उन्होंने कहा कि डिवाइडर निर्माण का कार्य भी समानांतर रूप से किया जाएगा। जहाँ आवश्यकता होगी। वहां अस्थायी डिवाइडर भी लगाए जाएंगे ताकि ट्रैफिक प्रभावित न हो। 

ढाई करोड़ में हुआ टेंडर 

महापौर के मुताबिक ढाई करोड़ रुपए में बीआरटीएस हटाने का टेंडर हुआ है। अधिकृत एजेंसी को निर्देश दिए गए हैं कि स्टेशन हटाने, जाली निकालने और निर्माण सामग्री को व्यवस्थित ढंग से हटाने का कार्य जल्द से जल्द पूरा किया जाए। नगर निगम और यातायात विभाग के समन्वय से कार्य किया जा रहा है ताकि सुरक्षा और यातायात में किसी प्रकार की बाधा न उत्पन्न हो। 

हाईकोर्ट ने भी दिए थे हटाने के आदेश 

लगभग नौ माह पूर्व हाईकोर्ट ने बीआरटीएस हटाने के आदेश जारी किए थे। अब उसी के अनुपालन में यह कार्रवाई प्रारंभ की गई है। उम्मीद की जा रही है कि जिस एजेंसी को यह कार्य सौंपा गया है वह तय समय पर अपना कार्य पूरा करेगी और नई सडक़ की सौगात शहरवासियों को मिलेगी। 

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11.47 किमी लंबा है बीआरटीएस

बीआरटीएस करीब 11.47 किमी लंबा है, जिसमें सेंटर में बस लेन हैं और दोनों ओर वाहनों के चलने की जगह के अलावा सर्विस रोड भी बनाई गई है। हालांकि कहीं-कहीं पर जगह नहीं होने के चलते सर्विस रोड नहीं है। वहीं जहां पर सर्विस रोड है वहां अधिकांश जगहों पर इसक पार्किंग के लिए उपयोग होता है। 

21 बस स्टैंड हैं बीआरटीएस पर

BRTS पर 21 बस स्टैंड हैं, जहां पर बसें रूकती है। 500 मीटर की दूरी पर एक बस स्टैंड बनाया है। आधुनिक तरीके से बनाए गए इन बस स्टैंड को भी हटाया जाएगा। अब इस मार्ग पर 40 नए बस स्टैंड बनाए जाएंगे। 

सीएम मोहन यादव ने की थी घोषणा

सीएम डॉक्टर मोहन यादव ने इस संबंध में इंदौर में बड़ी घोषणा में फरवरी माह में की थी। सीएम ने कहा था कि बेहतर ट्रैफिक के लिए जरूरी है कि बीआरटीएस को हटाया जाए। सीएम की घोषणा के बाद हाईकोर्ट जबलपुर में केस में रिपोर्ट पेश की गई और उसके बाद हाईकोर्ट ने इसको हटाने पर मुहर लगाई है। अब यहां पर अलग-अलग फ्लाय ओवर की प्लानिंग है।

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