पार्षद जीतू यादव को महापौर ने MIC से हटाया, संभागायुक्त पार्षद पद से भी ऐसे हटा सकते हैं

जानकारों ने बताया कि जीतू जाटव उर्फ यादव अभी मध्यप्रदेश के इंदौर में नगर निगम पार्षद बने रहेंगे। पार्टी से निष्कासन से पार्षदी नहीं जाती है, लेकिन वह अब निर्दलीय पार्षद हो चुके हैं। वहीं पार्षद पद भी उनका जा सकता है। इसके भी एक्ट में प्रावधान...

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Sanjay Gupta
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Councilor Jeetu Yadav Indore Mayor removed from MIC Photograph: (thesootr)

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INDORE. समर्थक गुंडों को पार्षद कालरा के घर पर भेजकर गुंडागर्दी करने वाले आदतन अपराधी जीतू यादव को बीजेपी ने 6 साल के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। दिल्ली से पीएम नरेंद्र मोदी की सख्ती के बाद बीजेपी जागी और यह कदम उठाया। वहीं निष्कासन के बाद महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने भी उन्हें एमआईसी पद से बाहर कर दिया है।

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महापौर ने पत्र में यह लिखा

पालिक निगम एक्ट 1956 की धारा 37 के प्रावधान के तहत जीतेंद्र कुमार (जीतू) को मेयर इन काउंसिल के सदस्य पद से मुक्त किया जाता है। 

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अब सवाल क्या वह पार्षद रहेंगे

जानकारों ने बताया कि जीतू जाटव उर्फ यादव अभी पार्षद बने रहेंगे। पार्टी से निष्कासन से पार्षदी नहीं जाती है। लेकिन वह अब निर्दलीय पार्षद हो चुके हैं। वहीं पार्षद पद भी उनका जा सकता है। इसके भी एक्ट में प्रावधान।

इस तरह जा सकती है जीतू की पार्षदी...

संभागीय आयुक्त को यदि लगता है कि किसी का पार्षद के रूप में बने रहना (म.प्र. अधिनियम सं. 18, 1997 द्वारा प्रतिस्थापित) की राय में, जनता या निगम के हित में वांछनीय नहीं है तो वह पार्षद पद से हटा सकता है।
(जिस तरह से गुंडागर्दी की है और जनता में आक्रोश है, उससे यह केस पार्षद पद से हटाने के लिए फिट है)

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  • वहीं यदि निगम ने कुल पार्षदों की कम से कम दो-तिहाई संख्या द्वारा समर्थित संकल्प द्वारा यह अनुशंसा की है कि कोई पार्षद अपने कर्तव्यों के निर्वहन में कदाचार या अपमानजनक आचरण के कारण पार्षद के रूप में बने रहने के योग्य नहीं है और इसलिए उसे हटा दिया जाना चाहिए। तो इस प्रस्ताव के आधार पर भी संभागीय आयुक्त पद से हटा सकते हैं। हालांकि इन दोनों ही स्थितियों में पार्षद को पहले कारण बताओ नोटिस जाएगा और पक्ष सुना जाएगा। 

  • कोई व्यक्ति जो पार्षद नहीं रह जाता है, वह स्वतः ही निगम में अपने सभी पदों को रिक्त कर देगा, जो वह पार्षद होने के कारण धारण करता है।

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