नील तिवारी, JABALPUR. श्रमिक कार्ड बनवाने के नाम पर फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाकर सामाजिक सुरक्षा योजना से मिलने वाली अनुग्रह राशि के फर्जीवाड़ा (fraud) का मामला सामने आया है। जबलपुर में एक ऑनलाइन कियोस्क चलाने वाले शेख शहजाद ने अपने छत्तीसगढ़ के गैंग के सदस्यों के साथ मिलकर धोखाधड़ी करते हुए लगभग 40 व्यक्तियों के फर्जी मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाकर करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी की है।
कैसे सामने आया मामला
जबलपुर के आनंद नगर आधारताल में रहने वाली 45 वर्षीय सैयदा रिजवाना वर्ष 2020 में मजदूरी कार्ड बनवाया था। सैयदा को पता लगा कि शहजाद की ऑनलाइन की दुकान है और वह मजदूरी कार्ड बनाता है जिससे सरकार की योजना का लाभ मिलता है। वह अपना मजदूरी कार्ड बनवाने के लिये शहजाद की दुकान पर गई। शहजाद को उसने कार्ड बनवाने के लिये अपनी समग्र आईडी, परिवार और स्वयं का आधारकार्ड एवं सभी की पासपोर्ट फोटो के साथ कार्ड बनवाने का शुल्क 5 हजार रु. भी दे दिए और 6 महीने बाद उसे कार्ड भी मिल गया।
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कागजों में हुई मृत्यु
सैयदा को मोहल्ले के लोगों से सुनने में आया कि शहजाद लोगों के मजदूरी कार्ड का गलत उपयोग कर सरकारी योजना का पैसा निकाल रहा है। तब उसने शक होने पर नगर निगम में जाकर पता किया तो उसे पता चला कि कागजों में तो उसकी मृत्यु हो चुकी है और उसके मजदूरी कार्ड से उसका मृत्यु प्रमाण लगाकर सामाजिक सुरक्षा के अंतर्गत मिलने वाली अनुग्रह सहायता राशि 2 लाख रुपए सहित अंत्येष्टि सहायता राशि 6 हजार रुपए निकाली गई है। तब सैयदा ने हनुमानताल थाने में इस मामले कि शिकायत की। जिसके बाद आरोपियों से कुल 40 फर्जी मृत्यु प्रमाण जब्त हुए जिसमें से 30 मृत्यु प्रमाण इस्तेमाल कर, आरोपियों ने करोड़ों की राशि निकाल ली है।
क्या है सामाजिक सुरक्षा अनुग्रह सहायता
असंगठित श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार संबल योजना चला रही है। इस योजना में सामान्य मृत्यु होने पर 2 लाख रुपए की सहायता, दुर्घटना मृत्यु में 4 लाख रुपए की सहायता, आंशिक दिव्यांगता में 1 लाख रुपए की सहायता एवं स्थाई दिव्यांगता में 2 लाख रुपए सहायता राशि मिलती है। इसी योजना के तहत फर्जी मृत्यु दिखाकर इस फर्जीवाड़े को अंजाम दिया गया।
अंतरराज्यीय गिरोह कैसे देता था फर्जीवाड़े को अंजाम
हनुमानताल थाना प्रभारी मानस द्विवेदी ने मामले कि गंभीरता को देखते हुए जब शहजाद से पूछताछ की तो एक के बाद एक कई मामलों का खुलासा हुआ और इस गिरोह के तार छत्तीसगढ़ और हैदराबाद से जुड़ा होना भी सामने आया। सैयदा को मिलने वाली सहायता राशि की जब नगरनिगम और बैंक से पड़ताल कि गई तो यह 2 लाख 6 हजार रुपए आकिब रफीक के खाते में गए थे। जिसका पता एमपी बिल्डिंग हैदराबाद था। शेख शहजाद ने बताया कि वह अपने दोस्त आकिब रफीक से आधार कार्ड व बैंक पासबुक मे एडिटिंग करवाता था और मित्र मोहम्मद सद्दाम शेख उर्फ सलमान को देकर नगर निगम कार्यालय में जमा करवा देता था। वहीं फर्जी प्रमाण पत्र इनके गिरोह के छत्तीसगढ़ के सदस्य बनाते थे।
नगर निगमकर्मियों की मिलीभगत
इस पूरे फर्जीवाड़ा में नगर निगम के कर्मचारियों की संलिप्तता होने की आशंका है। क्योंकि मध्यप्रदेश भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल भोपाल द्वारा जारी कार्ड का उपयोग कर फर्जी दसतवेजों के जरिए इतनी बड़ी रकम निकाल लेना, बिना किसी नगर निगमकर्मी कि सहायता के संभव नहीं है। मामले की पड़ताल में छत्तीसगढ़ के गिरोह से जुड़े सदस्यों की गिरफ्तारी सहित नगर निगम की भूमिका की भी जांच की जाएगी।