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MP News : इन दिनों एक चौंकाने वाली बात सामने आई है। दरअसल राजगढ़ जिले के एसपी आदित्य मिश्रा के सामने एक युवती पहुंची और उस युवती की बात सुनकर एसपी भी कुछ पल के लिए हैरान रह गए। युवती ने बोला- साहब मैं चोरी छोड़कर अपना घर बसाना चाहती हूं। लेकिन कोई मेरा साथ नहीं दे रहा है। उन्होंने पूछा "जब तुम चोरी छोड़ना चाहती हो, तो इसमें परेशानी क्या है?" युवती ने जवाब दिया "मेरे घरवाले मेरा साथ नहीं दे रहे। मैं बस अब शादी कर एक नई जिंदगी शुरू करना चाहती हूं।" युवती को वन स्टॉप सेंटर भेज दिया गया है।
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युवती ने कहा:-
मैं 8 वर्ष की थी जब से मैं चोरी करने लगी थी। मैं बहुत सी वारदातों का हिस्सा रही, हालांकि मैंने फिलहाल तय कर लिया है कि मुझे अब खुदमें बदलाव लाना है मैं हर आम लड़की की तरह अपना जीवन यापन करना चाहती हूं। सात फेरों के बंधन में बंधना चाहती हूं। विवाह करना चाहती हूं, अब करूं तो करूं क्या फैमिली मेरा साथ ही नहीं दे रही है।
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दरअसल, एसपी के पास पहुंची युवती सांसी समुदाय से संबंध रखती है। यह समुदाय राजगढ़ और उसके आसपास के इलाकों में निवास करता है। परंपरागत रूप से, इस समुदाय के कुछ परिवार चोरी जैसे अपराधों में लिप्त रहे हैं, और ऐसा माना जाता है कि वे अपनी अगली पीढ़ी को भी इसी राह पर प्रशिक्षित करते हैं। हालांकि, यह युवती इस परंपरागत रास्ते को छोड़कर एक नया जीवन शुरू करना चाहती है, लेकिन उसके इस फैसले में उसे अपने परिवार का समर्थन नहीं मिल पा रहा है।
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सांसी समुदाय के ये लोग इन गतिविधियों में शामिल पाए गए
राजगढ़ जिले के कडिय़ा और गुलखेड़ी जैसे गांवों में सांसी समुदाय के कई परिवार रहते हैं। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, इनमें से कुछ लोग चोरी, लूटपाट और अन्य आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त पाए गए हैं। देशभर में इनसे जुड़े कुछ गिरोह सक्रिय हैं, जिनमें नाबालिग और महिलाएं भी शामिल होती हैं। कई बार माता-पिता अपने बच्चों को भी इसी दिशा में प्रशिक्षित करते हैं।
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टीआई धर्मेंद्र शर्मा के अनुसार, यह गिरोह किसी भी अपराध को अंजाम देने से पहले उसकी पूरी तरह से टोह लेता है। ये अपराधी आम तौर पर नकदी से भरे बैग चोरी करने या शादियों में गहनों की चोरी जैसी वारदातें करते हैं। इस गैंग में ज्यादातर महिलाएं और बच्चे शामिल रहते हैं। गिरफ्तारी के बाद इन्हें आसानी से जमानत मिल जाती है, जबकि गिरोह का मुख्य सरगना हर बार बच निकलता है।
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चोरी के लिए किराए पर लाए जाते हैं बच्चे
टीआई शर्मा ने बताया कि कई लोग सीधे तौर पर चोरी नहीं करते, लेकिन गैंग का हिस्सा होते हैं। कुछ लोग नाबालिग बच्चों के जरिए पूरे गैंग को ऑपरेट करते हैं। ये लोग खुद कहीं नहीं जाते, बल्कि पीछे से बैठकर पूरा संचालन करते हैं। पकड़े जाने पर गैंग के सदस्यों की जमानत भी करवा देते हैं। खास बात यह है कि दूसरे जिलों से बच्चों को एक साल के लिए किराए पर लाया जाता है और उनके माता-पिता को इसके बदले दो लाख रुपए तक दिए जाते हैं।
यह भी देखा जाता है कि बच्चा इस काम में कितना निपुण है। कुछ बच्चे बिल्कुल नए होते हैं, जिन्हें निशुल्क प्रशिक्षण दिया जाता है। इस प्रशिक्षण में उन्हें सिखाया जाता है कि जेब कैसे काटनी है, भीड़ में पैसे से भरा बैग कैसे चुराना है, और चोरी के बाद सुरक्षित तरीके से कैसे भागना है। यहां तक कि अगर पुलिस पकड़ ले तो मारपीट से कैसे बचना है, ये भी उन्हें सिखाया जाता है।
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टीआई शर्मा के अनुसार, बोड़ा थाना क्षेत्र के कड़ेया-गुलखेड़ी गांव से लगभग 150 लोग लापता हैं। ये लोग देश के अलग-अलग हिस्सों में जाकर चोरी जैसी घटनाओं को अंजाम देते हैं। हर दिन विभिन्न राज्यों की पुलिस टीमें यहां पहुंचकर इन संदिग्धों की खोज करती हैं।