पुलिस का हाईराईज प्रोजेक्ट: फर्जी एक्सल शीट लगाकर ठेकेदार को किया 40 लाख का पेमेंट, विवाद हुआ तो माइनस किया
यह वही हाईराईज बिल्डिंग है जिसमें बनने वाले 864 क्वार्टर में साढ़े तीन हजार के करीब पुलिस परिवार रहेंगे। इन दोनों ने मिलकर ना केवल बिल्डिंग मटेरियल में घोटाला किया, बल्कि वरिष्ठ अफसरों को भी कागजों में हेरा–फेरी कर झूठी जानकारी पहुंचाई है।
इंदौर के पहली बटालियन में तैयार हो रही 173 कराेड़ रुपए की बिल्डिंग में ठेकेदार कंपनी मै. यूनिवर्सल कॉन्ट्रैक्टर्स एंड इंजीनियरिंग प्रा. लि और एमपी पुलिस हाऊसिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के प्रोजेक्ट इंजीनियर किशन वधानी ने करोड़ों रुपए का घोटाला कर दिया है। इसमें जो एक्सल शीट पेमेंट भुगतान करने के लिए लगाई गई है वह फर्जी तरीके से दूसरी बार बनाई गई है। जबकि द सूत्र के पास पुरानी वह एक्सल शीट पहुंची है जिसके जरिए ठेकेदार को 40 लाख रुपए का भुगतान कर दिया गया था और फिर बाद में जब विवाद गहराया तो वह राशि ठेकेदार के खाते में से मायनस कर दी गई। अब ठेकेदार अपने 40 लाख रुपए के भुगतान के लिए विधानी के दफ्तर के चक्कर लगाकर उन पर दबाव बना रहा है। वहीं, बड़ी बात तो यह है कि जब ठेकेदार ने 40 लाख रुपए का काम किया ही नहीं था तो फिर विभाग ने उसे इतना पेमेंट किया ही क्यों? और दूसरी बात कि अगर पेमेंट कर भी दिया था तो फिर बाद में मायनल क्यों किया? विधानी अपनी इन्हीं कारस्तानियों को छिपाने के लिए कागजाें में हेराफेरी कर अफसरों को झूठी जानकारी भेज रहे हैं, जबकि साइट पर चला रहा काम हकीकत में कुछ और ही बयां कर रहा है।
यहां रहेंगे पुलिस परिवार के साढ़े तीन हजार लोग
यह वही हाईराईज बिल्डिंग है जिसमें बनने वाले 864 क्वार्टर में साढ़े तीन हजार के करीब पुलिस परिवार रहेंगे। इन दोनों ने मिलकर ना केवल बिल्डिंग मटेरियल में घोटाला किया, बल्कि वरिष्ठ अफसरों को भी कागजों में हेरा–फेरी कर झूठी जानकारी पहुंचाई है। द सूत्र के हाथ इस प्रोजेक्ट से जुड़े वे महत्वपूर्ण दस्तावेज लगे हैं जिनमें दोनाें कलाकारों ने मिलकर लंबा खेल कर डाला है। इसको लेकर मध्यप्रदेश पुलिस की विशेष शाखा को अप्रैल 2025 में एक शिकायत हुई है। इस मामले को पुलिस विभाग के भोपाल के वरिष्ठ अधिकारियों ने गंभीरता से लिया है और एमपी पुलिस हाऊसिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन के चीफ इंजीनियर को 24 अप्रैल 2025 को एक पत्र लिखकर जांच करके एक सप्ताह में रिपोर्ट सौंपने के आदेश दिए गए हैं। (इसके अगले पार्ट में पढ़िए प्रोजेक्ट इंजीनियर किशन विधानी ने बैंक गारंटी के नाम पर कैसे शासन को करोड़ों रुपए का चूना लगाया है।)
यह स्थिति है अभी प्रोजेक्ट की और अफसरों को झूठ बोला
पुलिस हाऊसिंग के इस 173 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट में ठेकेदार कंपनी और अफसर ने मिलकर करोड़ों रुपए का खेल फर्जी एक्सल शीट बनाकर कर डाला। विभागीय सूत्रों के मुताबिक असल में हुआ यूं कि नींव में मूरम का भराव किया जाना था और ठेकेदार ने मूरम का भराव किया भी, लेकिन उतना नहीं जितना की कागजों में दिखाया गया। इस प्रोजेक्ट में 12 मंजिला ऊंची कुल 9 हाईराइज बिल्डिंग बनाई जा रही हैं। कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक एक बिल्डिंग की नींव में 300 क्यूबिक मीटर मुरम का भराव किया जाना था। ऐसे में कुल चार बिल्डिंग की नींव में ही 10723 क्यूबिक मीटर मूरम का भराव किया जाना एक्सल शीट में बता दिया गया। इसी एक्सल शीट को कर्मचारियों ने मेजरमेंट बुक (MB) में भी चढ़ा दिया।
यह एक्सल शीट जो अफसरों से छिपाई गई। इसे गायब कर दिया और दूसरी लगा दी
कॉन्ट्रैक्ट में काली मिट्टी का उपयोग करने को मना किया
विभाग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इस प्रोजेक्ट में प्लींथ में भराव का काम जा रहा था तो पुलिस हाऊसिंग डिपार्टमेंट की तरफ से इस प्रोजेक्ट में मॉनिटरिंग का जिम्मा प्रोजेक्ट इंजीनियर किशन विधानी को दिया गया। बताया गया कि इनकी अनुपस्थिति में कॉन्ट्रैक्टर द्वारा प्लींथ के अधिकांश हिस्से में मूरम के बजाए काली और पीली मिट्टी से भराव कर दिया गया। जबकि, कॉन्ट्रैक्टर को दिए वर्क ऑर्डर में 20 सेंटीमीटर की ऊपरी लेयर पर रेत, 30 सेंटीमीटर की बीच वाली लेयर पर मूरम और केवल जरूरत के मुताबिक पीली मिट्टी डाली जानी थी। कॉन्ट्रैक्ट में स्पष्ट तौर पर काली मिट्टी का उपयोग किए जाने पर मना किया गया था।
कॉन्ट्रैक्ट में साफ मना किया काली मिट्टी डालने से
मूरम के बदले मिट्टी डालने के नाम पर हो गया 40 लाख का भुगतान
असल में लगभग 12 मंजिल की नौ बिल्डिंग के लिए लगभग 25 हजार क्यूबिक मीटर मूरम लगनी है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक इसके लिए कॉन्ट्रैक्टर को 393 रुपए प्रति क्यूबिक मीटर के हिसाब से भुगतान किया जाना था। जबकि मिट्टी से भराव करने पर 95 रुपए प्रति क्यूबिक मीटर के हिसाब से भुगतान किया जाना है। ऐसे में पूरे प्रोजेक्ट की बात करें तो मिट्टी से भराव करने पर 23 लाख 75 हजार रुपए की कॉस्ट आएगी। वहीं, अगर नियमानुसार मूरम से भराव करते हैं तो कॉन्ट्रैक्टर को लगभग 98 लाख 25 हजार रुपए खर्च करने होंगे। ऐसे में कॉन्ट्रैक्टर प्लींथ में भराव मिट्टी का कर रहा है और पेमेंट मूरम का ले रहा है। केवल प्लींथ लेवल पर ही कॉन्ट्रैक्टर द्वारा शासन को 74 लाख 50 हजार रुपए का फटका लगा देगा। केवल चार ब्लॉक के काम के लिए कॉन्ट्रैक्टर की तरफ से जो पूर्व में 10723 क्यूबिक मीटर का बिल एक्सल शीट के साथ लगाया था उसके एवज में कॉन्ट्रैक्टर कोलगभग 40 लाख रुपए का भुगतान भी किया जा चुका है।
यह पत्र लिखा अफसरों को
शिकायत हुई तो फाड़ दी मेजरमेंट बुक
ठेकेदार और प्रोजेक्ट मैनेजर की सांठगांठ की शिकायत जब भोपाल के अफसरों को हुई तो कार्रवाई से बचने के लिए दोनों ने बैठक की। विभाग से जुड़े सूत्रों के मुताबिक इसके बाद तय किया गया कि पुरानी एमबी को फाड़कर उसकी जगह पर नई एमबी को लगा दिया गया। फिर एक नई एमबी एक्सल शीट में तैयार कर लगाई गई और उसके एवज में 10 लाख रुपए का हिसाब बता दिया गया। वहीं, जो 40 लाख रुपए का भुगतान ठेकेदार को किया जा चुका था, उसको हेरा–फेरी कर ठेकेदार के हिसाब में से घटा दिया गया। अफसर जब कागजों की जांच करेंगे तो उन्हें इसकी इंट्री भी मिलेगी।
शिकायत के बाद बाद भोपाल के अफसरों ने जब घोटालेबाज प्रोजेक्ट इंजीनियर विधानी से जवाब मांगा तो इसने उन्हें भी गुमराह करत हुए झूठी जानकारी दे डाली। इसने अफसरों को दी जानकारी में बताया कि अभी प्रोजेक्ट में नींव भराव का काम चल ही रहा है और अभी केवल पीली मिट्टी से ही भराव किया गया है, जबकि सच बात तो यह है कि टावर 3 और 5 में मौके पर दो से तीन मंजिला तक बिल्डिंग खड़ी हो चुकी हैं। ऐसे में ये कैसे संभव है कि बिना नींव में पूरी तरह से भराव किए बिल्डिंग के दो से तीन फ्लोर खड़े कर दिए जाएं।
इसमें झूठ बताया कि अभी नींव का ही काम हो रहा
पत्र में लिखा नींव में भराव चल रहा है और मौके पर खड़ी कर दी बिल्डिंग
भ्रष्ट अफसर विधानी ने जो झूठा जवाब भोपाल के अफसरों को दिया गया है उसमें कहा है कि अभी नींव में भराव का काम चल रहा है। साथ ही केवल पीली मिट्टी से भराव किया गया है और उसी के एवज में ठेकेदार को भुगतान किया गया है। इसमें यह भी लिखा है कि मुरम से भराव किया ही नहीं गया है। जब इस बात की पुष्टि के लिए द सूत्र की टीम मौके पर पहुंची तो चौंकाने वाले तथ्य मिले। मौके पर तो बिल्डिंग के दो से तीन फ्लोर खड़े हो चुके हैं और उनके छतें ही डल चुकी हैं। ऐसे में विधानी अपने वरिष्ठ अफसरों को झूठी जानकारी दे रहे हैं।
यह कॉन्ट्रैक्ट मिला है कंपनी को
कॉन्ट्रैक्ट के नियमों की भी अवहेलना
असल में कॉन्ट्रैक्ट की बात करें तो ठेकेदार कंपनी को पीली मिट्टी से भराव जरूरत के हिसाब से सबसे नीचे वाले हिस्से में किया जाना है। उसके ऊपर (बीच के भाग में) मुरम और सबसे ऊपर के हिस्से में रेत से भराव करना है। ऐसी स्थिति में अगर विधानी के पत्र की मानें तो केवल पीली मिट्टी से ही नींव में भराव किया गया है। ऐसी स्थिति में नींव के बीच वाले और ऊपरी हिस्से में भराव हुआ ही नहीं है। तो फिर आश्चर्य की बात है कि बिना नींव में ठीक तरह से भराव किए ठेकेदार बिल्डिंग कैसे ताने जा रहा है। संभवत: यह दुनिया का एकमात्र ऐसा उदाहरण होगा जहां पर कि नींव में पूरी तरह से भरा किए बिना ही बिल्डिंग की दो से तीन मंजिल की छतें डाल दी गई हों।