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देश के प्रतिष्ठित द डेली कॉलेज, इंदौर के पुराने नियम को अब आधिकारिक रूप से निरस्त कर दिया गया है। ये नियम साल 1948 से चला आ रहा था। इसके मुताबिक, यदि कॉलेज का कोई सदस्य संस्था के खिलाफ कोर्ट में केस करता है तो उसकी सदस्यता खत्म मानी जाती थी।
नियम को संविधान विरोधी बताते हुए संदीप पारेख ने इसे हटाने की मांग की थी। इस पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने 2024 में आदेश जारी कर कहा था कि नियम की समीक्षा कर उचित कार्रवाई की जाए। हाईकोर्ट के निर्देश के बाद इस केस में रजिस्ट्रार फर्म्स एंड सोसायटीज ने जांच की और अब मई 2025 में फैसला ले लिया है।
क्या था मामला?
डेली कॉलेज के Memorandum of Association यानी संस्था के नियमों में प्रावधान था कि अगर कोई सदस्य कॉलेज या सोसायटी के खिलाफ कोर्ट में केस करता है तो उसकी सदस्यता रद्द हो जाएगी। इस नियम को संदीप पारेख ने संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बताते हुए चुनौती दी थी। उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की कि किसी संस्था के खिलाफ कोर्ट जाने को आधार बनाकर सदस्यता खत्म करना, नागरिक अधिकारों का हनन है।
हाईकोर्ट का आदेश
हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए जुलाई 2024 में आदेश दिया कि संस्था की ओर से इस नियम को लेकर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जबकि बार-बार निवेदन किया गया था। रजिस्ट्रार को निर्देश दिया गया कि याचिका के अनुसार संस्था के संविधान के इस प्रावधान पर विचार किया जाए और सभी पक्षों को नोटिस भेजकर निर्णय लिया जाए।
रजिस्ट्रार कार्यालय ने लिया एक्शन
हाईकोर्ट के आदेश पर कार्रवाई करते हुए रजिस्ट्रार कार्यालय ने नवंबर 2024 में डेली कॉलेज को नोटिस भेजा और 30 दिन में जवाब मांगा। डेली कॉलेज ने जवाब देने के लिए समय मांगा और फिर मार्च 2025 में दोनों पक्षों की सुनवाई की गई। रजिस्ट्रार कार्यालय ने पाया कि नियम 5(4) में उल्लेख है कि कोई सदस्य सोसायटी के खिलाफ कोर्ट जाए तो सदस्यता खत्म मानी जाएगी। यह नियम भारत के संविधान में दिए गए मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है।
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कानूनी रूप से मान्य नहीं नियम
अंतत: रजिस्ट्रार कार्यालय ने पाया कि यह नियम कानूनी रूप से मान्य नहीं है। इसलिए 5 अप्रैल 1948 को रजिस्टर्ड डेली कॉलेज के नियमों में से Rule 5(4) को आधिकारिक रूप से निरस्त कर दिया गया है। यह आदेश सहायक पंजीयक बी.डी. कुबेर द्वारा स्पष्ट रूप से अंतिम आदेश के रूप में जारी किया गया। द सूत्र से बातचीत में उन्होंने बताया कि द डेली कॉलेज का कोई भी सदस्य अब संस्था के खिलाफ न्यायालय का रुख करता है तो उसकी सदस्यता नहीं छीनी जाएगी। यह फैसला संस्था से जुड़े लोगों के अधिकारों की रक्षा करता है और यह सुनिश्चित करता है कि कानूनी लड़ाई लड़ने का अधिकार किसी से न छीना जाए।
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