महिला रेप नहीं कर सकती, लेकिन उकसा सकती है: एमपी हाईकोर्ट

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा कि महिला बलात्कार के लिए आरोपित नहीं हो सकती, लेकिन वह बलात्कार के लिए उकसा सकती है। यह निर्णय भारतीय कानून में उकसावे की परिभाषा को स्पष्ट करता है।

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Sandeep Kumar
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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने बलात्कार के मामले में उकसावे की परिभाषा को स्पष्ट करते हुए एक महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया है। न्यायमूर्ति प्रमोद कुमार अग्रवाल ने अपने फैसले में कहा कि भले ही कोई महिला स्वयं बलात्कार के लिए आरोपी नहीं हो सकती, लेकिन वह आईपीसी की धारा 109 के तहत बलात्कार के लिए उकसाने की दोषी हो सकती है। यह निर्णय भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 109 के तहत उकसावे के लिए सजा के प्रावधान को स्पष्ट करता है, जिसमें उकसाने के परिणामस्वरूप होने वाले अपराध के लिए दोषी व्यक्ति को दंडित करने का प्रावधान है।

उकसावे के मामले में क्या है फैसला?

इस फैसले के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य को बलात्कार जैसे अपराध करने के लिए उकसाता है, तो वह व्यक्ति आईपीसी की धारा 109 के तहत दोषी हो सकता है, भले ही उसने प्रत्यक्ष रूप से अपराध न किया हो। इस निर्णय में यह भी बताया गया कि उकसाना और बलात्कार दोनों अलग-अलग अपराध हैं और प्रत्येक का परिणाम अलग-अलग दंड के रूप में माना जाएगा।

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पीड़िता के वकील का बयान

पीड़िता के वकील ने बताया कि आरोपी ने भोपाल सेशन कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। निचली अदालत ने आरोपी को दोषी मानते हुए उसकी मां और भाई को भी सह अभियुक्त बनाया था। महिला का आरोप था कि आरोपी ने कई बार शादी के नाम पर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए और बाद में शादी से मुकर गया।

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यह था मामला

यह मामला भोपाल के छोलामंदिर थाना में दर्ज एफआईआर से संबंधित है, जो 21 अगस्त 2022 को हुई थी। एक महिला ने अपने पड़ोसी पर बलात्कार का आरोप लगाया था। महिला का कहना था कि आरोपी ने उसे शादी का वादा किया और उसके बाद जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाए। इसके बाद जब आरोपी ने शादी से इंकार कर दिया, तो महिला ने उसे बलात्कार और अन्य गंभीर आरोपों के तहत पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करवाई।

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5 बिंदुओं में समझिए पूरा मामला

✅ न्यायमूर्ति प्रमोद कुमार अग्रवाल ने यह स्पष्ट किया कि भले ही कोई महिला स्वयं बलात्कार का आरोपी नहीं हो सकती।  वह आईपीसी की धारा 109 के तहत बलात्कार के लिए उकसाने की दोषी हो सकती है। 

✅ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 109 के तहत किसी अपराध के उकसाने के परिणामस्वरूप होने वाले अपराध के लिए दोषी व्यक्ति को दंडित किया जा सकता है। इस निर्णय में यह बताया गया कि उकसाना और अपराध अलग-अलग अपराध होते हैं और उनके परिणामस्वरूप अलग-अलग दंड होंगे।

✅  यह मामला भोपाल के छोलामंदिर थाना से संबंधित है, जहां एक महिला ने अपने पड़ोसी पर बलात्कार का आरोप लगाया। महिला ने आरोप लगाया कि आरोपी ने शादी का वादा किया था, लेकिन बाद में उसे जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाने के बाद शादी से इंकार कर दिया।

✅  पीड़िता के वकील ने कहा कि आरोपी ने निचली अदालत के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिसमें आरोपी को दोषी ठहराया गया था और उसकी मां और भाई को सह-अभियुक्त बनाया गया था। महिला का आरोप था कि आरोपी ने कई बार शादी के नाम पर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए और फिर शादी से मुकर गया।

✅  इस फैसले से यह साफ होता है कि यदि कोई व्यक्ति किसी अन्य को अपराध करने के लिए उकसाता है, तो वह भी कानूनी रूप से दोषी हो सकता है। अदालत ने इस मामले में उकसावे की परिभाषा और उसके परिणामों को स्पष्ट किया।

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