दमोह फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट कांड के बाद शासन ने की सख्ती, निजी नर्सिंग होम्स पर कसेगा शिकंजा

दमोह में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट की नियुक्ति और कैथलैब के पंजीयन की धोखाधड़ी का मामला सामने आने के बाद, मध्य प्रदेश सरकार ने निजी अस्पतालों की जांच तेज कर दी है।

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Abhilasha Saksena Chakraborty
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MP News: मध्य प्रदेश के दमोह में फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट की नियुक्ति और कैथलैब के पंजीयन की धोखाधड़ी का मामला सामने आने के बाद, मध्य प्रदेश सरकार ने निजी अस्पतालों की जांच तेज कर दी है। सीएमएचओ ने दो दल गठित कर जिलेभर के नर्सिंग होम्स की जांच शुरू कर दी है।

दमोह के मिशन अस्पताल में एक बड़े स्वास्थ्य धोखाधड़ी का मामला सामने आया था, जिसमें फर्जी कार्डियोलॉजिस्ट की नियुक्ति और कैथलैब पंजीयन के लिए फर्जी साइन किए गए थे। यह मामला प्रदेश भर में स्वास्थ्य विभाग को सतर्क कर चुका है, और निजी अस्पतालों की जांच की प्रक्रिया को कड़ी कर दिया गया है।

सीएमएचओ ने गठित किए जांच दल

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) ने जांच के लिए दो दलों का गठन किया है, जो जिलेभर के नर्सिंग होम्स की सघन जांच करेंगे। इस दौरान, जिन अस्पतालों में कमियां पाई जाएंगी, उन्हें नोटिस दिया जाएगा। यदि तय समय में सुधार नहीं किया गया, तो अस्पतालों का पंजीयन रद्द कर दिया जाएगा।

पिछले साल की जांच

पिछले साल दिसंबर में जांच की गई थी, लेकिन मार्च में फिर से होने वाली जांच इस मामले के उजागर होने के कारण नहीं हो पाई थी। अब, अप्रैल में दोबारा जांच प्रक्रिया शुरू की गई है। दोनों दलों को जिलेभर के 27 नर्सिंग होम्स की जांच पूरी करके सीएमएचओ को रिपोर्ट सौंपनी है।

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दमोह अस्पताल पर दबिश

जांच दल ने दमोह अस्पताल का दौरा किया और वहां अस्पताल के बुनियादी ढांचे, पार्किंग, बायोमेडिकल वेस्ट के निष्पादन, फैकल्टी और स्टाफ की जानकारी एकत्र की। हालांकि, इस जांच में अस्पताल में कोई बड़ी खामी सामने नहीं आई। दल के प्रमुख डॉ. राजेश नामदेव ने कहा कि उन्हें आठ नर्सिंग होम्स की जांच करनी है, जबकि अन्य दल दूसरे अस्पतालों की जांच करेंगे।

गंदगी और अन्य कमियां

कुछ बड़े अस्पतालों में बिना पंजीयन के पैथोलॉजी, सोनोग्राफी और एक्सरे हो रहे थे। कई अस्पतालों में आइसीयू में योग्य चिकित्सक नहीं थे और फार्मासिस्ट के स्थान पर अपात्र लोग दवाओं का वितरण कर रहे थे। इस खुलासे के बाद, अस्पताल संचालक अपनी कमियों को छुपाने की कोशिश कर रहे हैं।

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सीएमएचओ (CMHO) ने एनआरसी का निरीक्षण किया

मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. मुकेश जैन ने एनआरसी का निरीक्षण किया और पाया कि वहां सफाई में कमी थी। उन्होंने सफाईकर्मी को फटकारते हुए निर्देश दिए कि एनआरसी में सफाई का उच्च स्तर बनाए रखें, ताकि बच्चों को सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण मिल सके।

बिना डिग्री के कर रहा था इलाज 

डॉ. नरेंद्र यादव दमोह के मिशन अस्पताल में वर्षों से फर्जी तरीके से डॉक्टर बनकर इलाज कर रहा था। जांच में पता चला कि उसके पास न तो किसी मान्यता प्राप्त मेडिकल कॉलेज की डिग्री है, न ही मेडिकल काउंसिल का रजिस्ट्रेशन।स्थानीय नागरिकों की शिकायत पर जब स्वास्थ्य विभाग ने जांच की, तब यह खुलासा हुआ कि नरेंद्र यादव बिना किसी वैध प्रमाणपत्र के मरीजों का इलाज कर रहा था। उसके क्लीनिक में कोई भी मेडिकल प्रमाणपत्र नहीं मिला। वह सात लोगों की मौत का आरोपी है। पुलिस ने नरेंद्र यादव के खिलाफ फर्जीवाड़ा, धोखाधड़ी और बिना लाइसेंस इलाज करने के आरोप में FIR दर्ज कर ली है। स्वास्थ्य विभाग ने उसके क्लीनिक को सील कर दिया है और आगे की जांच जारी है।

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