इंदौर की DAVV यूनिवर्सिटी में राजनीति का खेला, विधायक ने जिस कर्मचारी नेता से समझौता कराया, संगठन ने उसे ही आंदोलन से बाहर किया

डीएवीवी के सेल्फ फाइनेंस के कर्मचारियों ने कुलपति डॉ. राकेश सिंघई की कार रोक ली थी। उसकी जानकारी संघ तक पहुंची। सूत्रों के मुताबिक इसके बाद वहां से फटकार पड़ी तो बीजेपी के नेता सोमवार को आरएनटी मार्ग स्थित यूनिवर्सिटी परिसर में पहुंच गए।

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Vishwanath Singh
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इंदौर में डीएवीवी के सेल्फ फाइनेंस के कर्मचारियों का आंदोलन 18 दिन से जारी है। इसमें पिछले दिनों कुलपति की कार रोके जाने के बाद सोमवार को हाई वोल्टेज ड्रामा शुरू हो गया। असल में संघ की फटकार के बाद इसमें राजनीति शुरू हो गई है। सोमवार को बीजेपी के दो विधायक और नगर अध्यक्ष डीएवीवी में विवाद समाप्त कराने पहुंच तो गए, लेकिन मामला कुछ जम नहीं पाया।

विधायक रमेश मेंदोला, गोलू शुक्ला, नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा ने कर्मचारी नेता को बात करने के लिए बुला तो लिया और उससे सादे कागत पर माफीनामा भी लिखवा लिया गया। लेकिन जब बैठक खतम हुई तो पता चला कि उसी कर्मचारी नेता को उसी के संगठन ने मंच पर आने से मना कर दिया। ऐसे में कर्मचारी नेता के साथ विधायकाें की बैठक बेनतीजा निकली। 

संघ से पड़ी फटकार के बाद यूनिवर्सिटी पहुंचे विधायक

डीएवीवी के सेल्फ फाइनेंस के कर्मचारियों ने कुलपति डॉ. राकेश सिंघई की कार रोक ली थी। उसकी जानकारी संघ तक पहुंची। सूत्रों के मुताबिक इसके बाद वहां से फटकार पड़ी तो बीजेपी के नेता सोमवार को आरएनटी मार्ग स्थित यूनिवर्सिटी परिसर में पहुंच गए।

इसमें विधायक रमेश मेंदोला, गोलू शुक्ला, नगर अध्यक्ष सुमित मिश्रा शामिल थे। उन्होंने कर्मचारी नेताओं को बुलाया और विवाद को समाप्त करवाने के लिए कुलपति के साथ बैठक की। बताया जाता है कि कुलपति संघ से जुड़े हुए हैं और संघ के कई कार्यक्रमों में भी शामिल होते हैं। 

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कर्मचारी नेता से सादे कागज पर लिखवाया माफीनामा

सभी नेताओं के डीएवीवी पहुंचने के बाद विवाद को समाप्त किए जाने को लेकर मंथन हुआ। इसी दौरान डीएवीवी स्ववित्त संस्थान कर्मचारी गैर शिक्षक संघ के महासचिव गजेंद्र परमार को भी बैठक में बुला लिया गया। बताया जाता है कि परमार का निवास विधायक मेंदोला के क्षेत्र में ही है। नेताओं ने परमार से विवाद को लेकर बातचीत की।

इस दौरान परमार से कहा कि मामले को खतम करो तो वे मान गए। साथ ही एक सादे कागज पर माफीनामा भी लिखवाया। कर्मचारी नेता ने यह भी माना कि कुलपति डॉ. राकेश सिंघई के साथ जो हुआ वह गलत हुआ। इसको लेकर हम खेद व्यक्त करते हैं और क्षमा प्रार्थी हैं। इस माफीनामे पर ना केवल महासचिव परमार बल्कि सचिव और उपाध्यक्ष ने भी हस्ताक्षर किए। 

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महासचिव परमार से यह लिखवाया माफीनामा

 

अध्यक्ष ने जाने से किया इनकार

इस बैठक के लिए डीएवीवी स्ववित्त संस्थान कर्मचारी गैर शिक्षक संघ के अध्यक्ष दीपक सोलंकी और यूनियन के अन्य लोगों को भी बुलावा भेजा गया था, लेकिन उन्होंने जाने से इनकार कर दिया। सोलंकी का कहना था कि जो भी बात होगी वह धरना स्थल पर ही होगी और वहां पर बात करने के लिए कुलपति को आना होगा। हालांकि सूत्रों के मुताबिक जिस संगठन के बैनल तले कर्मचारी ये धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। उसकी नींव परमार ने ही रखी थी।

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परमार को कर्मचारियों ने दी चेतावनी

महासचिव परमार के माफीनामे की सूचना जैसे ही बैठक से बाहर आई तो उसके बाद कर्मचारियों ने नाराजगी जाहिर कर दी। इसी कड़ी में अध्यक्ष सोलंकी और संस्था के अन्य पदाधिकारियों व कर्मचारियों ने परमार को चेतावनी दे डाली।

उन्होंने कहा कि अब अगर परमार कर्मचारियाें के मंच पर आएंगे तो उन्हें लिखकर देना होगा कि उन्होंने नेताओं के दबाव में आकर माफी मांगी है। अन्यथा हम आपको संघ से बाहर कर देंगे। सोलंकी की चेतावनी के बाद परमार बैठक के बाद धरना स्थल पर गए ही नहीं।

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धरने पर बैठे कर्मचारी बोले, यहीं होगी बातचीत

 

बैठक में हुई बातचीत से अध्यक्ष ने बनाई दूरी

अखिल भारतीय विश्वविद्यालय कर्मचारी महासंघ के सचिव और डीएवीवी स्ववित्त संस्थान कर्मचारी गैर शिक्षक संघ के अध्यक्ष दीपक सोलंकी ने परमार की नेताओं के साथ हुई बैठक को लेकर एक बयान और जारी किया है। उसमें कहा गया है कि हमारी ओर से कोई भी प्रतिनिधि बातचीत के लिए नहीं भेजा गया है। जब तक अध्यक्ष बात नहीं करेंगे और कुलपति स्वयं धरना स्थल पर आकर बात नहीं करेंगे, तब तक हम किसी प्रकार का समझौता नहीं करेंगे। हम किसी भी प्रकार के दबाव में नहीं आएंगे।

सोलंकी ने एक बयान जारी करते हुए कहा कि कर्मचारियों द्वारा दबाव की राजनीति को सिरे से नकारा है। किसी प्रकार की सहमति धरना स्थल पर बैठे कर्मचारियों की सहमति के बगैर जारी नही की जाएगी। सहमति पर संघ के अध्यक्ष के हस्ताक्षर ही मान्य होंगे। यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक मांगे पूरी नहीं हो जाती।

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कुलपति की कार फिर रोकेंगे

अध्यक्ष सोलंकी का कहना है कि कुलपति डॉ. राकेश सिंघई के साथ हमारे द्वारा किसी भी प्रकार की अभद्रता नहीं की गई है। हमसे सिर्फ उनकी कार रोकी थी। वे दोबारा यहां से निकलेंगे तो हम एक बार फिर उनकी कार रोकेंगे और उनके सामने अपनी बात रखेंगे। जिसमें उसने कहा जाएगा कि वे हमारे बीच आकर बैठें और बात करें। 

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इंदौर कुलपति कर्मचारी बीजेपी विधायक