जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश की निजी स्कूल उड़ा रहे धज्जियां, पूरी फीस जमा करने की दे रहे धमकी

मध्यप्रदेश के जबलपुर के जिला कलेक्टर द्वारा शुरू की गई जांच में कार्रवाई के बाद जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से जारी फीस निर्धारण और अवैध फीस लौटाने के आदेश को निजी स्कूल मानने को ही तैयार नहीं है...

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Neel Tiwari
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जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से अवैध फीस वसूली को वापस करने का आदेश जारी हुआ था तो अभिभावकों में खुशी की लहर दौड़ गई थी। पर कागजों पर जारी हुआ आदेश यह कागजों तक ही सीमित है। क्योंकि निजी स्कूल यह मानने को ही तैयार नहीं है कि उन्होंने अवैध फीस वसूली की है। अन्य निजी स्कूल तो दूर वह स्कूल भी इस आदेश को नहीं मान रहे हैं जो जांच के दायरे में आए है और उनके प्रिंसिपल से लेकर मैनेजमेंट के कर्मचारी तक अब भी जेल में बंद है।

अब भी मनमानी पर उतारू निजी स्कूल

जबलपुर शहर में निजी स्कूलों की मनमानी जैसे थमने का नाम ही नहीं ले रही है। स्कूलों के द्वारा अभिभावकों को यह मैसेज भेजे जा रहे हैं कि जल्द से जल्द पूरी फीस जमा करें अन्यथा उनके बच्चों को एग्जाम में बैठने नहीं दिया जाएगा। इसी के खिलाफ गुरुवार को बड़ी संख्या में अभिभावक पोली पाथर स्थित सेंट एलॉयसिस स्कूल पहुंचे और शासन के द्वारा नियत की गई फीस ही लेने का स्कूल प्रबन्धन से निवेदन किया। अभिभावकों के हंगामे को देखते हुए स्कूल के फादर ने उनका आवेदन तो स्वीकार कर लिया पर मीडिया से चर्चा करते हुए उन्होंने साफ कहा कि हम अपनी फीस को अवैध फीस वसूली नहीं मानते और इसके खिलाफ हम कोर्ट में जाएंगे।

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जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश की खुलेआम अवहेलना

जबलपुर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के द्वारा जारी की गई सूची में नियत की गई फीस को भी मानने निजी स्कूल तैयार नहीं है।  स्टेम फील्ड विजय नगर स्कूल के एक अभिभावक जिनका बच्चा 11वीं कक्षा में कॉमर्स विषय में पढ़ रहा है उन्होंने स्कूल की फीस रसीद 'द सूत्'र को भेजी है। जिसमें स्कूल के द्वारा साल भर का 45 हजार रुपए अभिभावकों से वसूला जा रहा है, जबकि आदेश के अनुसार यह अधिकतम 40 हजार रुपए ही फीस ले सकते हैं। इसी तरह की शिकायतें अन्य स्कूलों से भी लगातार मिल रही हैं।

क्या है स्कूलों का बहाना

स्कूल प्रशासन का यह दावा है कि कलेक्टर के द्वारा की गई जांच में कोरोना काल को बेस ईयर मानकर उसके बाद बढ़ाई गई फीस को अवैध वसूली बताया जा रहा है। जबकि असलियत में इस जांच में साल 2018 से अब तक वसूली गई फीस की जांच हुई है।   अगर सेंट अलॉयसिस स्कूल पोली पाथर के फादर एम. स्टेनलिन की माने तो यह साफ नजर आ रहा है कि सभी निजी स्कूल इस जांच को ही धता बता रहे हैं और इसके खिलाफ वह कोर्ट जाएंगे। क्योंकि अन्य सभी स्कूलों में भी यही हाल है कि अभिभावकों पर अब भी मनमानी फीस जमा करने का दबाव बनाया जा रहा है।

अब भी हो रही है भारी अवैध वसूली

जांच के दायरे में आए स्कूलों सहित अन्य स्कूलों के अभिभावकों ने भी 'द सूत्र' को अपनी फीस की रसीदें भेजी है । जिसमें प्री नर्सरी जैसी छोटी कक्षा में भी हजारों रुपए की फीस वसूली जा रही है। अभिभावकों ने यह भी आरोप लगाए हैं कि अब भी स्कूल प्रशासन के द्वारा यूनिफॉर्म और किताबें विशेष दुकान से ही खरीदने का दबाव बनाया जा रहा है। शिक्षा माफिया के ऊपर हुई बड़ी कार्यवाही के बाद इंसाफ की आस लगाए बैठे अभिभावक अब मायूस होते हुए नजर आ रहे हैं।

अब अभिभावक कराएंगे FIR

बीते दिनों जिला कलेक्टर स्कूल संचालकों की हुई बैठक में अपना विरोध दर्ज करने बड़ी संख्या में अभिभावक भी पहुंचे थे। अब इन अभिभावकों ने अपनी लड़ाई खुद लड़ने की ठान कर एक बहुत बड़ा एसोसिएशन भी बनाया है। पैरंट्स एसोसिएशन आफ मध्य प्रदेश के जरिए अभिभावकों का नेतृत्व कर रहे सचिन गुप्ता ने यह बताया कि आज सेंट अलॉयसिस के फादर के द्वारा दिए गए बयान पर हम शासन का आदेश न मानने की FIR भी दर्ज कराएंगे। इसके साथ ही अभिभावक अब सड़कों पर उतरेंगे और अपने इंसाफ की लड़ाई खुद लड़ेंगे।

पुस्तक मेले के बाद अब लगेगा यूनिफार्म मेला

स्कूलों पर की गई कार्यवाही के ठीक बाद जबलपुर में पुस्तक मेला लगाया गया था। ताकि किताब विक्रेताओं की मनमानी पर लगाम लगाई जा सके। अब जबलपुर जिला कलेक्टर ने जानकारी देते हुए यह बताया कि जबलपुर में 27 से 31 जुलाई तक गारमेंट क्लस्टर मेला लगाया जाएगा जिसमें स्कूल की यूनिफॉर्म सहित जूते और बैग भी अभिभावक उचित मूल्य पर खरीद सकते हैं। इसके लिए सभी निजी स्कूलों से यह निवेदन किया गया है कि वह अपनी यूनिफॉर्म का सैंपल दें ताकि इससे जुड़े व्यापारी विद्यार्थियों की मांग के अनुसार यूनिफॉर्म उपलब्ध करा सके। 15 और 16 जुलाई को व्यापारी अपनी यूनिफॉर्म बैग और जूते के सैंपलों का प्रदर्शन भी करेंगे। इसके साथ ही जबलपुर जिला कलेक्टर दीपक सक्सेना के द्वारा निजी स्कूलों से यह अनुरोध किया गया है कि इस क्लस्टर मेले के लगने तक किसी भी छात्र-छात्रा को स्कूल बैग यूनिफॉर्म या जूते खरीदने के लिए बाध्य न किया जाए।

लेकिन जब जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से जारी किए गए आदेश को यह निजी स्कूल मानने को तैयार नहीं है। तो जिला कलेक्टर के द्वारा किए गए अनुरोध को यह कितना मानते हैं यह देखना होगा ।

जबलपुर एमपी न्यूज जिला शिक्षा अधिकारी अवैध फीस वसूली