देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड: पूर्व MLA रामबाई के पति समेत 25 को उम्रकैद

मध्य प्रदेश के दमोह जिले के हटा कोर्ट ने कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या के मामले में पूर्व विधायक रामबाई के पति गोविंद सिंह परिहार समेत 25 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई... 

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Jitendra Shrivastava
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मध्य प्रदेश के दमोह जिले में स्थित हटा अपर सत्र न्यायालय ने पथरिया विधानसभा की पूर्व विधायक रामबाई सिंह परिहार के पति गोविंद सिंह परिहार और उनके देवर कौशलेंद्र सिंह परिहार समेत 25 लोगों को कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई। यह मामला 15 मार्च 2019 को हुई हत्या से जुड़ा है। न्यायालय के न्यायाधीश सुनील कुमार कौशिक ने शनिवार को इस मामले का फैसला सुनाया। फैसला आने के साथ ही क्षेत्र में चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है, क्योंकि इस हत्याकांड ने जिले की राजनीति और सामाजिक ताने-बाने पर गहरा प्रभाव डाला था।

ठेकेदार देवेंद्र चौरसिया की हत्या का था मामला

मामले के मुख्य गवाह और मृतक के भाई महेश चौरसिया ने पुलिस को दी गई अपनी रिपोर्ट में बताया था कि वह और उनके भाई देवेंद्र चौरसिया ठेकेदारी का काम करते थे। उनकी एक डामर निर्माण फैक्ट्री हटा के पास धोलिया खेड़ा गांव में स्थित थी। 15 मार्च 2019 की सुबह लगभग 10:45 बजे, देवेंद्र अपने भतीजे सोमेश और अन्य परिजनों के साथ फैक्ट्री का ऑफिस खोलने गए थे। इसी दौरान काले रंग की डस्टर कार, लाल रंग की जीप, एक टीयूवी कार और चार बाइकों पर सवार गोविंद सिंह, कौशलेंद्र सिंह और अन्य आरोपियों ने अचानक हमला कर दिया।

इस हमले में लाठियों और लोहे की रॉड का इस्तेमाल किया गया। देवेंद्र को कौशलेंद्र ने लोहे की रॉड से गंभीर रूप से घायल कर दिया, जबकि अन्य आरोपियों ने उनके भतीजे सोमेश और परिवार के अन्य सदस्यों पर लाठियों से प्रहार किया। प्लांट पर मौजूद अन्य लोग मदद के लिए दौड़े, लेकिन हमलावर मौके से फरार हो गए। इस हमले में देवेंद्र को गंभीर चोटें आईं, जिन्हें पहले हटा अस्पताल और बाद में जिला अस्पताल रेफर किया गया। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई।

27 आरोपियों पर दर्ज हुआ था केस

घटना के बाद मृतक के भाई महेश चौरसिया की रिपोर्ट के आधार पर हटा पुलिस ने 27 आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या), 307 (हत्या का प्रयास), 323 (चोट पहुंचाना), 294 (गाली-गलौच), 147 (दंगा), 148 (घातक हथियारों के साथ दंगा), 149 (सामूहिक अपराध) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत मामला दर्ज किया। एफआईआर में मुख्य आरोपी के रूप में गोविंद सिंह परिहार और उनके देवर कौशलेंद्र सिंह परिहार के नाम शामिल किए गए।

5 साल तक चला कोर्ट में मुकदमा

पांच साल तक चले इस मुकदमे में न्यायालय ने मामले की विस्तार से सुनवाई की। लोक अभियोजक उमेश सोनी ने घटना का विवरण और गवाहों के बयानों के आधार पर आरोपियों के खिलाफ ठोस साक्ष्य पेश किए। कुल 27 आरोपियों में से 25 को दोषी पाया गया और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई। एक आरोपी विकास पटेल को सबूतों के अभाव में दोषमुक्त कर दिया गया, जबकि एक अन्य आरोपी त्रिलोक सिंह अब भी फरार है, जिसके चलते उसकी सुनवाई नहीं हो सकी।

यह थे घटना के मुख्य आरोपी...

गोविंद सिंह परिहार: पूर्व विधायक रामबाई के पति।

कौशलेंद्र सिंह परिहार: रामबाई के देवर।

गोलू ठाकुर: भतीजा।

इंद्रपाल पटेल: हटा जनपद अध्यक्ष।

शिव चरण पटेल: पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष का बेटा।

इसके अलावा अन्य आरोपियों में राजा डॉन, बलवीर ठाकुर, अनीश खान, मोनू तंतुवाय, अमजद पठान, श्रीराम शर्मा, लोकेश पटेल, और कई अन्य लोग शामिल हैं।

कोर्ट परिसर में रहा भारी पुलिस बल तैनात

इस महत्वपूर्ण फैसले को लेकर हटा न्यायालय में सुबह से ही भारी सुरक्षा इंतजाम किए गए थे। न्यायालय के आस-पास पुलिस बल तैनात था, और इस दौरान आम जनता और वाहनों की आवाजाही पर रोक लगाई गई। न्यायालय परिसर में बड़ी संख्या में मीडिया और राजनीतिक कार्यकर्ता मौजूद थे।

यह हत्याकांड दमोह जिले में राजनीतिक और सामाजिक रूप से एक बड़े विवाद का कारण बना रहा। पूर्व विधायक रामबाई के पति और परिवार के सदस्य का नाम इस मामले में आने से राजनीतिक दबाव और क्षेत्रीय राजनीति में बदलाव की अटकलें लगाई जा रही थीं। अब जब फैसला आ गया है, तो यह देखना होगा कि यह घटना क्षेत्रीय राजनीति और कानून व्यवस्था पर क्या प्रभाव डालती है।

खबर से संबंधित सामान्य सवाल

देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड कब हुआ था?
15 मार्च 2019 को दमोह जिले में कांग्रेस नेता देवेंद्र चौरसिया की हत्या हुई थी।
इस मामले में कितने लोगों को दोषी ठहराया गया?
कोर्ट ने 27 आरोपियों में से 25 को दोषी ठहराकर उम्रकैद की सजा सुनाई।
मुख्य आरोपी कौन थे?
मुख्य आरोपी पूर्व विधायक रामबाई के पति गोविंद सिंह परिहार और उनके देवर कौशलेंद्र सिंह परिहार थे।
कोर्ट ने क्या फैसला सुनाया?
हटा कोर्ट ने 25 दोषियों को आजीवन कारावास और एक आरोपी को सबूतों के अभाव में बरी किया।
इस घटना का क्षेत्रीय राजनीति पर क्या प्रभाव पड़ा?
इस घटना ने दमोह जिले की राजनीति और सामाजिक ताने-बाने पर गहरा प्रभाव डाला, जिससे क्षेत्रीय राजनीति में अस्थिरता आई।

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