इस धन्वंतरि मंदिर में देशभर से आए थे आयुर्वेद विशेषज्ञ

भोपाल में भगवान धन्वंतरि की यह एकमात्र प्रतिमा है जो सागौन की लकड़ी से बनी है। प्रतिमा की खासियत यह है कि पांच फीट ऊंची इस प्रतिमा में एक भी जोड़ नहीं है।

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Ravi Singh
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Dhanvantri Temple Bhopal : सुख, समृद्धि, धन और ऐश्वर्य का त्योहार दिवाली आने वाला है। प्रदोष त्रयोदशी तिथि धनतेरस पर आयुर्वेद के देवता भगवान धन्वंतरि स्वर्ण कलश लेकर प्रकट हुए। भोपाल में भगवान धन्वंतरि की यह एकमात्र प्रतिमा है जो सागौन की लकड़ी से बनी है। 

जयपुर से मंगवाई थी प्रतिमा 

देशभर के आयुर्वेद विशेषज्ञ धनतेरस पर आयुर्वेद के देवता की पूजा करते हैं। लेकिन भोपाल शहर में धन्वंतरि का एक ही मंदिर है। इसे आरोग्य भारती के केंद्रीय कार्यालय परिसर में बनाया गया है। इसकी स्थापना 5 अगस्त 2021 को धनतेरस पर की गई थी। 4 फीट की यह प्रतिमा जयपुर से मंगवाई गई थी।

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देशभर से आए थे आयुर्वेद विशेषज्ञ

जब मूर्ति लाई गई थी, तब देशभर से आयुर्वेद विशेषज्ञ इसकी प्राण प्रतिष्ठा के लिए आए थे। प्राण प्रतिष्ठा के लिए इस्तेमाल किया गया हवन पूरी तरह औषधीय था। आयुर्वेद मंत्र विशेषज्ञों ने विधि-विधान से मंत्रों की पूजा की थी। यह अपने आप में अनूठा मंदिर है।

भगवान धन्वंतरि मंदिर की खासियत

भगवान धन्वंतरि की पांच फीट ऊंची प्रतिमा है। इसकी खासियत यह है कि नक्काशी इस तरह की गई है कि इसमें एक भी जोड़ नहीं है। शहर में भगवान धन्वंतरि की यह इकलौती प्रतिमा है, जो सागौन की लकड़ी से बनी है। प्रतिमा में की गई नक्काशी इतनी बारीक है कि भगवान द्वारा पहने गए कपड़ों की तहें साफ देखी जा सकती हैं। भगवान ने अपने हाथों में अमृत कलश, शंख, आयुर्वेद पत्रिका और पुष्प जलोका धारण किया हुआ है।

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आयुर्वेद के देवता हैं धन्वंतरि

आयुर्वेद की दुनिया के धन्वंतरि देवता माने जाते हैं। भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में भगवान धन्वंतरि की पूजा वेद समाज में की जाती है। उनकी प्रतिकृत्यायन पुस्तक प्रकाशित होती है। उनसे प्रार्थना की जाती है कि वे पूरे विश्व को स्वस्थ रखें और मानव समाज को रोगमुक्त करके दीर्घायु प्रदान करें। वहीं उनकी याद में धन त्रयोदशी के दिन नए बर्तन और आभूषण खरीदे जाते हैं और उन्हें शुभ और मांगलिक मानकर पूजा जाता है। लोगों का मानना ​​है कि वे बर्तन और आभूषण उन्हें हमेशा समृद्ध और समृद्ध रखेंगे और उन्हें कभी भी खालीपन महसूस नहीं होगा। आयुर्वेद की दुनिया में भगवान धन्वंतरि को चिकित्सा विज्ञान का देवता माना जाता है।

इस खबर से जुड़े सामान्य से प्रश्न

भगवान धन्वंतरि की पूजा का महत्व क्या है?
धनतेरस पर भगवान धन्वंतरि की पूजा का महत्व आयुर्वेद और स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है। उन्हें आयुर्वेद का देवता माना जाता है, और इस दिन लोग नए बर्तन और आभूषण खरीदकर समृद्धि की कामना करते हैं।
भोपाल में भगवान धन्वंतरि की प्रतिमा कहां स्थापित है?
भोपाल में भगवान धन्वंतरि की एकमात्र प्रतिमा विंध्य हर्बल परिसर में स्थित है। यह प्रतिमा सागौन की लकड़ी से बनी है और इसमें एक भी जोड़ नहीं है।
इस प्रतिमा की विशेषताएं क्या हैं?
यह प्रतिमा पांच फीट ऊंची है, जिसमें की गई नक्काशी इतनी बारीक है कि भगवान के वस्त्र की तहें स्पष्ट दिखाई देती हैं। भगवान अपने हाथों में अमृत कलश, शंख, आयुर्वेद पत्रिका और पुष्प जलोक धारण किए हुए हैं।
प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा कैसे की गई थी?
प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के लिए देशभर से आयुर्वेद विशेषज्ञ आए थे, जिन्होंने औषधीय हवन और मंत्रों के साथ विधि-विधान से पूजा की थी।

 

भोपाल न्यूज मध्य प्रदेश दिवाली धन्वंतरि देव की पूजा विधि धनतेरस 2024 भगवान धन्वंतरि की अष्टधातु Dhanvantri Temple